India Vs Pak Missiles: भारतीय एयर डिफेंस भेदने का पाक का मंसूबा, परमाणु मिसाइल अबाबील में कितन दम?
पाकिस्तान का दावा है कि एक बार तैनात होने के बाद इस मिसाइल से भारत में कहीं भी प्रभावी ढंग से मार की जा सकती है। पाकिस्तान ने अबाबील का दूसरा परीक्षण 18 अक्टूबर को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सखी सरवर रेंज से किया।
भारत-पाक मिसाइल
India Vs Pak Missiles: पिछले महीने पाकिस्तान ने एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अबादील का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। पाकिस्तान ने दावा किया कि इसे भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने के लिए डिजाइन किया गया है। अबाबील वेपन सिस्टम को एक ही उड़ान में कई हथियार पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। पाकिस्तान का दावा है कि एक बार तैनात होने के बाद इस मिसाइल से भारत में कहीं भी प्रभावी ढंग से मार की जा सकती है। पाकिस्तान ने अबाबील का दूसरा परीक्षण 18 अक्टूबर को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सखी सरवर रेंज से किया। एक ब्लॉग पोस्ट में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) के एक शोधकर्ता एंटोनी लेवेस्क ने कहा कि अबाबील स्वतंत्र रूप से टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRV) को ले जाने में सक्षम है।
क्या है MIRV?
एमआईआरवी एक परिष्कृत मिसाइल तकनीक है जो एक एकल बैलिस्टिक मिसाइल को कई हथियार ले जाने की ताकत मिलती है। इनमें से प्रत्येक एक अलग टारगेट पर हमला करने में सक्षम है। यह तकनीक रणनीतिक परमाणु युद्ध में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक ही मिसाइल को एक साथ कई लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से निशाना बनाने में सक्षम बनाती है। एमआईआरवी को शीत युद्ध के दौरान हथियारों की होड़ के बीच विकसित किया गया था, खास तौर पर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) और पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों (एसएलबीएम) की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए। एमआईआरवी की अवधारणा ये है कि इस तकनीक से परमाणु हथियार ले जाने वाले कई ICBM और SLBM को लॉन्च करना शामिल है।
क्या अबाबील भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा है?
विशेषज्ञों का कहना है कि एमआईआरवी की सैकड़ों किमी दूर तक हथियार पहुंचाने की क्षमता भारत की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) को चुनौती दे सकती है, जो अभी राजधानी दिल्ली और आर्थिक केंद्र मुंबई की रक्षा कर रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, वर्तमान में चीन और पाकिस्तान के साथ लगती सीमाओं पर तैनात रूस निर्मित एस-400 किसी भी पाकिस्तानी MIRV मिसाइल से किसी भी खतरे से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
अमेरिका ने सबसे पहले किया MIRV का इस्तेमाल
अमेरिका पहला देश था जिसने 1970 में आईसीबीएम पर MIRV तकनीक इस्तेमाल की थी। आज अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस एसएलबीएम पर MIRV तकनीक का उपयोग करते हैं जबकि चीन ने इस तकनीक को अपने आईसीबीएम में लगाया है। सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफरेशन के अनुसार, रूस एकमात्र देश है जिसने आईसीबीएम और एसएलबीएम दोनों में ही MIRV तकनीक का इस्तेमाल किया है।
भारत का MIRV कार्यक्रम
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अपनी स्वदेशी MIRV तकनीक विकसित कर रहा है। हालांकि नई दिल्ली ने कभी भी आधिकारिक तौर पर अपनी योजना का खुलासा नहीं किया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत ने MIRV तकनीक के साथ अग्नि प्राइम (Agni-P) मिसाइल के कम से कम दो परीक्षण किए हैं। अग्नि-प्राइम, अग्नि मिसाइलों का नवीनतम संस्करण है। जहां, अग्नि-प्राइम की मारक क्षमता 1500-2000 किमी. है, वहीं MIRV इंटीग्रेशन के साथ विकसित की जा अग्नि-VI मिसाइल 9,000 किमी और 12,000 किमी तक के लक्ष्यों पर हमला कर सकती है। यह अपने साथ 10 परमाणु/थर्मोन्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम है।
पाकिस्तान क्यों विकसित कर रहा है MIRV?
इस्लामाबाद का मानना है कि भारत के भूमि और समुद्र आधारित मिसाइल रक्षा के तेजी से विकास, परीक्षण और तैनाती से भारतीय सशस्त्र बलों को परमाणु हमले की क्षमताओं में बढ़त मिलेगी और इस्लामाबाद जवाबी कार्रवाई नहीं कर पाएगा। पाकिस्तान के विश्लेषकों का तर्क है कि अबाबील का दूसरा परीक्षण इस साल अप्रैल में युद्धपोत-आधारित "एंडो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्टर मिसाइल" रक्षा प्रणाली के सफल परीक्षण से प्रेरित होकर किया गया। इनका कहना है कि हालांकि, कागज पर भारत की बीएमडी प्रणाली रक्षात्मक तरह दिखती है, लेकिन असल में यह एक आक्रामक प्रणाली है।
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