कभी जिस मराठी के नाम पर मनसे ने चमकाई थी राजनीति, समझिए अब उसी के कारण कैसे बैकफुट पर आने को मजबूर हुए राज ठाकरे

मनसे एक बार फिर से मुंबई में रहने वाली उत्तर भारतीयों को निशाना बना रही थी। मुंबई में काम करने वाले उन बैंक कर्मियों को निशाना बना रही थी, जो मराठी नहीं बोल सकते हैं, क्योंकि वो उत्तरी राज्य से हैं। अब चूंकि मनसे पहले से ऐसा करते रही है, उसे लगा इस बार भी कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन इस बार दांव उल्टा पड़ गया, मनसे का विरोध स्थानीय लेवल पर ही होने लगा।

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मनसे चीफ राज ठाकरे (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र की राजनीति ने हाल के दिनों में इस तरह से करवट बदला है कि दो सबसे ताकतवर परिवार, अब सबसे कमजोर दिख रहे हैं। कभी मुंबई में ठाकरे परिवार की तूती बोलती थी, मराठी बोलने को लेकर उत्तर भारतीय को पीट देना, उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देना आम था, लेकिन अब समय का पहिया घूमता दिख रहा है। पहले ठाकरे परिवार टूटा, शिवसेना से अलग हो राज ठाकरे ने मनसे बनाई, फिर शिवसेना भी टूटी। आज ठाकरे परिवार के दोनों सदस्य उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की राजनीतिक शक्ति काफी कमजोर हुई है। ऐसा ही हाल पवार परिवार का भी है। अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक और बदलाव दिख रहा है। ठाकरे परिवार मराठी को मुद्दा बनाकर अपनी राजनीति शक्ति बढ़ाते रहा है, इस बार कुछ दिनों से यह कोशिश राज ठाकरे की पार्टी मनसे करती दिख रही है, लेकिन इस बार यह मुद्दा मनसे के लिए बैकफायर कर गया। मनसे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दाखिल हो गई है।

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कैसे आई मनसे बैकफुट पर?

दरअसल मनसे एक बार फिर से मुंबई में रहने वाली उत्तर भारतीयों को निशाना बना रही थी। मुंबई में काम करने वाले उन बैंक कर्मियों को निशाना बना रही थी, जो मराठी नहीं बोल सकते हैं, क्योंकि वो उत्तरी राज्य से हैं। कुछ मामलों में मनसे के कार्यकर्ता पर आरोप लगा कि उन्होंने मारपीट की है। अब चूंकि मनसे पहले से ऐसा करते रही है, उसे लगा इस बार भी कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन इस बार दांव उल्टा पड़ गया, मनसे का विरोध स्थानीय लेवल पर ही होने लगा। सोशल मीडिया पर मनसे से लेकर वर्तमान केंद्र और राज्य सरकार से सवाल पूछे जाने लगे। लोग राज ठाकरे को निशाने पर लेने लगे। इसके बाद राज ठाकरे भी बैकफुट पर आ गए।

बैंक एसोसिएशन का विरोध और फडणवीस की चेतावनी

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अख्तियार किया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस मुद्दे पर एक खत लिखा। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने पत्र में कहा था कि मनसे कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले लोग बैंक शाखाओं में जाकर कर्मचारियों को धमका रहे हैं। पत्र में आरोप लगाया गया कि बैंक अधिकारियों को धमकाया गया और उनके साथ मारपीट की गई। फडणवीस ने इसके बाद कानून को अपने हाथ में लेने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

राज ठाकरे की अपील

इसके बाद राज ठाकरे खुद मैदान में उतरे और पार्टी कार्यकर्ताओं से बैंकों और अन्य प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा के प्रयोग को लागू करने के लिए जारी आंदोलन को फिलहाल रोकने का आह्वान करते हुए कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर पर्याप्त जागरूकता पैदा कर दी है। ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा कि आंदोलन ने स्थानीय भाषा के इस्तेमाल पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मानदंडों का पालन न करने के नतीजों को दिखाया है। ठाकरे ने कहा- “अब इस आंदोलन को रोकने में कोई समस्या नहीं है क्योंकि हमने इस मुद्दे पर पर्याप्त जागरूकता पैदा कर दी है। आंदोलन को फिलहाल रोक दें, लेकिन इससे ध्यान न भटकने दें। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह सुनिश्चित करे कि कानून का पालन हो।"

सुप्रीम कोर्ट चला गया मामला

राज ठाकरे की अपील के बाद भी यह मामला शांत नहीं हुआ। उनकी पार्टी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो गई। उत्तर भारतीय विकास सेना के मुंबई में रहने वाले कार्यकर्ता सुनील शुक्ला ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने हाल ही में बैंकों और अन्य प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा के इस्तेमाल को लागू करने के लिए पार्टी द्वारा किए गए आंदोलन को लेकर मनसे का पंजीकरण रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि मनसे न केवल उत्तर भारतीयों की विरोधी है, बल्कि हिंदू विरोधी भी है क्योंकि मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा जिन बैंक अधिकारियों पर हमला किया गया वे हिंदू थे।

अब मनसे दे रही धमकी

सुप्रीम कोर्ट में पार्टी के खिलाफ याचिका पर मनसे नेता बिफरे दिख रहे हैं। हालांकि राज ठाकरे ने इस मामले पर अब चुप्पी साध ली है, लेकिन उनकी पार्टी के एक नेता इस मामले पर धमकी देते हुआ कहा है कि पार्टी को इस बात पर विचार करना होगा कि उत्तर भारतीयों को राज्य में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। पार्टी के प्रवक्ता और मुंबई इकाई के अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। देशपांडे ने एक पोस्ट में लिखा- “एक अजीबोगरीब भैया (उत्तर भारतीय) राजनीतिक दल के रूप में मनसे के पंजीकरण को रद्द करने का अनुरोध करते हुए अदालत चले गए हैं। अगर उत्तर भारतीय, मराठी मानुष की पार्टी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, तो (हमें) यह सोचने की जरूरत है कि क्या उन्हें मुंबई और महाराष्ट्र में रहने दिया जाना चाहिए। यह भाजपा द्वारा क्षेत्रीय दलों को खत्म करने का काम है। वे अपने गुर्गों के जरिए ऐसा कर रहे हैं। हम उनसे डरते नहीं हैं।”

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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