इक्के वाले का लड़का कैसे बना ए गैंग का मुखिया, अतीक अहमद के काले कारोबार का किस्सा
Atiq Ahmed Story: अपराध की दुनिया में अतीक अहमद हमेशा से चर्चा के केंद्र में हुआ करता था। लेकिन इस दफा चर्चा में वो दो वजहों से आया। आरोप है कि साबरमती जेल में बंद रहते उसने उमेश पाल की हत्या करा दी और दूसरी वजह जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव से विधानसभा में कहा कि अपराधी कोई भी हो मिट्टी में मिला देंगे। यहा पर हम विस्तार से अतीक अहमद की अतीत से लेकर वर्तमान की जानकारी देंगे कि कैसे इक्केवाले का लड़का जरायम की दुनिया का बड़ा नाम बन गया।
यूपी की कुख्यात बदमाश साबरमती जेल में बंद
- उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद का नाम
- प्रयागराज के चकिया का रहने वाला
- यूपी सरकार की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों की संपत्ति जब्त
Atiq Ahmed Story: जरायम की दुनिया के इतिहास को खंगाल कर देखे तो कातिलों की एक बड़ी फेहरिस्त नजर आती है अतीक अहमद का नाम इसी फेहरिस्त में सबसे ऊपर लिखा हुआ है। अतीक के अतीक बनने का सफर जितना दिलचस्प है उतना ही लंबा रहा है। क्षेत्रीय पार्टियों के सहारे खादी पहन कर सियासी राह थाम अतीक ने खुद को खाकी की पकड़ से इतना दूर कर लिया कि पुलिस अतीक पर कार्यवाही करना तो दूर उसकी जी हुजूरी में लगी रहती थी । हुकूमत से हासिल रियायत और खाकी से मिली सहूलियत के दम पर इस सफेदपोश माफिया ने अवैध रूप से एक बड़ा साम्राज्य बना लिया था ।
साल-1986, जगह-इलाहाबाद, इलाका- चकिया
नए लड़कों की फौज जमकर उधम काट कर रही थीऔर उनका कप्तान लगातार इलाके में पकड़ बना रहा था।जिन पुलिस वालों के कांधे पर चढ़कर गुंडई का एवरेस्ट छूने की कोशिश वो 24 बरस का लड़का कर रहा था।अब उसी लड़के को खाकी की फौज ढूंढ रही थी।वो लड़का पुलिस के हत्थे चढ़ता है।पुलिस उसकी खातिरदारी का इंतज़ाम कर ही रही थी।कि तभी फोन की घण्टी बजती है।ट्रिंग ट्रिंग।और फिर उस लड़के को छोड़ दिया जाता है।वो फोन दिल्ली से आया था।पंजा छाप पार्टी के सांसद की मेहरबानी हो गयी थी।और जिस पर मेहरबानी हुई थी।उसी लड़के ने जरायम की दुनिया से लेकर राजनीति के गलियारे में जमकर कांड किए।और एक कांड से तो योगी सरकार तक हिल गई। 70 का दशक था। संगमनगरी तब प्रयागराज नहीं इलाहाबाद हुआ करती थी।ओला उबर का जमाना नहीं था।तांगे चलते थे इनमें से एक तांगे वाला था फिरोज जिसका लड़का अतीक रातों रात अमीर बनने। रुतबे और रुबाब का ख्वाब देखता था।पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता था।तो हाईस्कूल की परीक्षा में फेल हो गया।लेकिन रुतबे रुबाब का ड्रीम नहीं टूटा।17 बरस की उम्र में तांगे वाले के लड़के अतीक ने कांड कर दिया।
साल-1979, जगह- इलाहाबाद, चकिया
इलाके में हल्ला हो गया।कि 17 साल के नए लड़के ने काम लगा दिया।हत्या की वारदात से हड़कंप मच चुका था।इस कांड में नाम आया अतीक का..और इसके बाद अतीक जरायम की दुनिया मे आगे बढ़ता चला गया।धमकी मारपीट दबंगई और रंगदारी का धंधा शुरू हो गया।दरअसल ये वो दौर था जब पुराने इलाहाबाद इलाके में चांद बाबा नाम के गुंडे की तूती बोलती थी।पुलिस की हवा भी चांद बाबा के नाम से टाइट रहती थी।वो विज्ञापन देखा है..कि एक आईडिया बदल दे आपकी दुनिया।हां बदल गयी दुनिया अतीक अहमद की भी।और पुलिस वालों की भी।ये नहीं पता कि लाख टके का आईडिया किसने पुलिस के कान में फूंक दिया।लेकिन चांद बाबा को ठिकाने लगाने के लिए पुलिस अतीक को आगे बढ़ा रही थी और नेता भी अतीक को बढ़ावा दे रहे थे।लेकिन वही अतीक अहमद आगे चलकर पुलिस का सिरदर्द बन गया।।
जल्द ही पुलिस को अपनी गलती का अहसास हो गया था।और पुलिस अतीक अहमद को सॉरी बाबू बोलने के लिए ढूंढ रही थी।अतीक समझ गया था..ज्यादा दिन आजाद पंछी नहीं बना जा सकता..चुप्पे से कोर्ट में सरेंडर कर दिया।छोटी सी उमरिया में ही अतीक पर NSA लग गया।बाहर आया तो नेतागिरी का चस्का चढ़ा।पंजा छाप पार्टी के इलाहाबादी सांसद का साथ था अरे वो ही वाले जिन्होंने एक बार दिल्ली से फोन करके अतीक को छुड़वाया था..उन्ही के मार्फ़त 1989 में विधायकी लड़ ली वो भी निर्दलीय जीत गया वहीं लगातार चांद बाबा और अतीक गैंग में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी तभी किसी ने चांद बाबा का काम तमाम कर दिया धीरे धीरे चांद बाबा गैंग भी निपट गयी अब बचा तो बस अतीक अहमद।
साल 1989 प्रयागराज
वक्त ने पलटी मार दी।काले कारनामे करने वाला अब सफेद कुरताधारी हो गया था।पहली दफा अतीक अहमद निर्दलीय चुना गया..इलाहाबाद पश्चिमी से विधायकी लड़ी जीत गया।1991 और 1993 में भी जीत का झंडा गाड़ दिया।अतीक के लिए राजनीति राजनीति न हो।ओलिम्पिक हो।मतलब कभी सपा..फिर अपना दल..फिर सपा..मतलब कतई कूदम काद मचा दी।कानून को कुचलने वाला अपने कुर्ते की जेब मे कानून को रखने लगा।फिर एक और शौक चढ़ गया।महंगी गाड़ी और हथियारों का।।
कई सालो तक इलाहाबाद से लेकर फूलपुर, कोशांबी चित्रकूट तक अतीक का जूता पुजने लगा।तो वहीं बिहार में भी अतीक ने कई कांड कर दिए।लेकिन एक कांड जो अतीक ने किया उसने इस बाहुबली के गुर्दे छील कर रख दिए।दरअसल राजनीति का चस्का अतीक को चढ़ गया था।2002 में अपना दल से विधायकी लड़ी..जीत गए।लेकिन मन बड़ा चंचल था तो माना नहीं 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी..तो अतीक समाजवादी हो गए।नेता जी का आशीर्वाद मिला तो 2004 में फूलपुर से सांसदी लड़ी और जीत गए।विधायकी छोड़नी पड़ी।तो अपने छोटे भाई अशरफ को सपा की टिकट पर विधायकी लड़वा दी।उधर राजू पाल बसपा की टिकट पर ताल ठोक रहा था।अतीक को लगा भाई का रास्ता साफ है।लेकिन राजू पाल ने अशरफ का सूपड़ा ही साफ कर दिया।राजू पाल विधायक बना।तो अतीक अहमद की नींव हिल गयी।और फिर हुआ एक बड़ा कांड।
तारीख- 25 जनवरी, साल-2005
विधायक राजू पाल की गाड़ी जा रही थी।तभी फिल्मी स्टाइल में राजू पाल की गाड़ी को रोका गया।और ताबड़तोड़ फायरिंग की।ये कोई मामूली वारदात नहीं थी।तब बताया गया था कि रास्ते से गुजरने वाले जिसने देखा उसके गुर्दे छिल गए थे।दहशत में भागमभाग शुरू हो गयी।कई गाड़ियों की टक्कर हो गई।तो कई गाड़ियां डिवाइडर से टकरा गईं।इसी बीच विधायक राजू पाल के समर्थक विधायक को टेंपो में डालकर अस्पताल ले जाने लगे..हमलावरों को लगा राजू पाल जिंदा है।तो 5 किलोमीटर तक टेम्पों का पीछा करते रहे।और दे दनादन फायर झोंकते रहे। राजू पाल को 19 गोलियां लगी थी।और विधायक जी दिवंगत हो गए।आरोप लगा अतीक और उसके भाई पर।2005 में फिर से चुनाव हुए।तो इस बार अशरफ के खिलाफ राजू पाल की बेवा पूजा पाल चुनाव लड़ी।लेकिन अतीक के भाई अशरफ ने बाजी मार ली..और फिर पूरी तरीके से अतीक का दबदबा कायम हो गया..
साल-2007, प्रयागराज
ये वो साल था।जो अतीक के बुरे दिन लेकर आया..दरअसल अपने उत्तर प्रदेश में सरकार बदल गयी।सत्ता से नेता जी गए और बहन जी आईं।फिर अतीक के खिलाफ कार्रवाई का डंडा चलाया।न न।राजू पाल की हत्या का बदला नहीं ले रही थी।बहन जी की अपनी खुन्नस थी।अतीक अहमद के कांड बड़े बड़े हैं।दरअसल 1995 में जब लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हुआ था..मायावती पर हमला हुआ था।तो वहां पर अतीक भी था।और सपा का झंडा उठाकर अफलातून बन रहा था।बस तभी से बहन जी की नजर में चढ़ गया था।मायावती पर मौका था..तो दे दी धोबी पछाड़। तो वही तब तक राजू पाल की पत्नी भी अशरफ को हरा कर विधायक बन चुकी थी।तो पति की हत्या का ऐसा प्रतिशोध लिया कि चकिया छोड़ो।अतीक का इलाहाबाद आना मुश्किल कर दिया।कुर्की..सम्पत्ति पर कब्जा।गुर्गों की गिरफ्तारी।और अतीक की तलाश में दबिश दे दबिश।सांसद अतीक पर 20 हजार का इनाम भी रख दिया।तब अतीक अहमद दिल्ली के प्रीतमपुरा के फ्लैट से पकड़ा गया।तभी से सरकारी मेहमान है।कभी नैनी जेल..कभी बरेली जेल..कभी देवरिया जेल।तो कभी साबरमती जेल।लेकिन अतीक का रुतबा और दहशत आज भी बनी हुई है।2018 में जब अतीक देवरिया जेल में बंद था।तब भी जोरों पर रंगदारी का काम चल रहा था।एक कारोबारी की प्रॉपर्टी पर नजर पड़ी।तो उसे डराने धमकाने के लिए बाकयदा देवरिया जेल के भीतर लाया गया।जम कर उसकी कुटाई की।और प्रोपेर्टी के कागजों पर दस्खत करवा लिए।मामला उछला तो।अतीक को कोर्ट के आदेश पर गुजरात की साबरमती जेल में शिफ्ट कर दिया गया।लगा था कि बाबा के राज में अतीक अपनी हद में रहेगा।लेकिन वो ठहरा छटा हुआ बदमाश।.कहां काबू में आता।तो राजूपाल हत्याकांड के गवाह को बीच सड़क मौत के घाट उतार दिया गया। बताया जा रहा है कि उमेश पाल की हत्या का आदेश साबरमती की जेल से अतीक अहमद ने ही दिया था।
अतीक के परिवार का बड़ा इनामिया बना उसका बेटा असद
अतीक अहमद से जुड़े कई किस्से हैं।एक गुंडे।एक माफिया।एक बाहुबली के तौर पर जितने उसके चर्चे हैं।तो वही कुछ लोग उसे रॉबिनहुड भी मानते हैं।एक वक्त था जब अतीक का सिक्का इलाहाबाद में चलता था..तो वो बाकयदा दरबार लगाता था।और जो फैसला अतीक ने अपने दरबार से सुना दिया।उसको कोई भी चुनोती नहीं देता था।। तो ये तो थी कहानी अतीक अहमद की..जो नेता है..जो माफिया है।जो बाहुबली है।लेकिन इस कहानी में ही कई और कहानियां जुड़ गई है जैसे अतीक के परिवार के बड़ा इनामिया बन चुके असद की कहानी । उमेश पाल हत्याकांड अब केवल प्रयाग जिले की वारदात नही है बल्कि ये घटना यूपी पुलिस के लिए नाक और उसकी साख पर सवाल बन गई है। खुद सीएम योगी इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहे है। एसटीएफ की 22 टीम और 150 पुलिसकर्मी दिन रात ताबड़तोड़ दबिश दे रहे है। उत्तर प्रदेश , बिहार , मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात ऐसी हर जगह पुलिस टीम छानबीन कर रही है जहा शूटर्स की मौजूदगी हो सकती है। नेपाल में असद की मौजूदगी की जानकारी के बाद मामला इंटरनेशनल हो गया है।
अब तक उमेश पाल हत्याकांड में क्या कार्यवाही हुई
अब तक कार्यवाही के नाम पर एसटीएफ ने अरबाज और उस्मान के एनकाउंटर सहित सदाकत की गिरफ्तारी और कुछ एक लोगो को हिरासत में लिया है। लेकिन असद, गुलाम गुड्डू मुस्लिम, अरमान और साबिर अभी भी पुलिस के शिकंजे से दूर महफूज है। लेकिन इन अपराधियो की ये गलफत अब ज्यादा समय की नही है क्योंकि एसटीएफ के हाथ अब असद के गले तक पहुंचने वाले है। एसटीएफ को असद के नेपाल कनेक्शन की अहम कड़ी मिल गई है। तो राजस्थान और गुजरात में उमेश पाल हत्याकांड के बाकी शूटर्स की तलाश की जा रही है। प्रयाग राज में बुलडोजर एक्शन के जरिए काली कमाई से बनाए ठिकानों पर प्रहार किया जा रहा है। गुलाम के बाद अब गुड्डू मुस्लिम की बारी है। इसके अलावा अतीक के खुल्लाबाद के दफ्तर पर छापेमारी कर उसकी काली कमाई सहित हथियारों की खेप कब्जे में ले गई है।
योगी ने अतीक की सल्तनत की तबाह तो नेपाल को बना लिया ठिकाना
योगी सरकार में अतीक अहमद की सल्तनत पर जोरदार प्रहार किया गया। काले कारनामों से इकठ्ठा की गई 900 करोड़ से ज्यादा मालियत की संपत्ति को सीज कर दिया गया कई जगह अतीक के अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाकर जमीदोज किया गया। लेकिन अतीक ठहरा शातिर अपराधी।.उसकी करतूतें रुकने वाली कहा थी।..यूपी में उसके खौफ का खात्मा कर योगी की पुलिस ने उसे दहशत में तो ला दिया लेकिन अतीक ने अपने कारोबार को बाहरी राज्यों में शिफ्ट कर दिया।
एसटीएफ की पड़ताल में अतीक एंड कंपनी के कई राज एक एक करके सामने आ रहे है।..अतीक ने नेपाल बॉर्डर से सटे यूपी के कई जिलों में अपने नेटवर्क को मजबूत किया है और नेपाल में अपने नाते रिश्तेदारों का कारोबार स्थापित करने में मदद की है अतीक अहमद ने अपनी बहिन के देवर को नेपाल में हॉस्पिटल बनवाने के लिए पैसा दिया । अपने नजदीकी कयूम को नेपाल में पेट्रोल पंप सहित कई कारोबार खोलने में मदद की । इसके अलावा अतीक के कई गुर्गे नेपाल में सेटल है अतीक ने छोटे छोटे कारोबार से उन्हें जोड़कर आर्थिक रूप से उन्हे मजबूत बनाया है। अतीक ने यूपी में सिकुड़ते जा रहे अपने आर्थिक साम्राज्य की भरपाई करने के लिए सोच समझ कर रणनीति बनाकर नेपाल में अपने नेटवर्क को मजबूत किया है। ताकि यहां से खुद की आर्थिक सेहत मजबूत की जा से साथ ही वक्त पड़ने पर नेपाल उसके गुर्गों का महफूज ठिकाना बन सके ।
अतीक और अशरफ ने मिलकर बनाई उमेश पाल हत्याकांड की साजिश।
उमेश पाल हत्याकांड में पहले स्टेप में साबरमती जेल में अतीक और बरेली जेल में अशरफ ने मिलकर हत्याकांड की योजना बनाई।दूसरे स्टेप में अतीक के खास सिपहसालार गुलाम ने सदाकत के जरिए मुस्लिम हॉस्टल में बैठक कर इस योजना को अमलीजामा पहनाने का पूरा इंतजाम किया।तीसरे स्टेप में घटना को अंजाम दिया गया।चौथे स्टेप में सभी आरोपी प्रयागराज में ही 4 घंटे अपने एक नजदीकी प्रधान के घर रुके। क्योंकि अगर तुरंत प्रयाग से निकलते तो पुलिस ने जगह जगह नाकेबंदी की हुई थी उसमे पकड़े जाने का रिस्क था। इसलिए पहले प्रयाग में ही रुकने और उसके बाद सभी आरोपियों के अलग अलग ठिकानों पर निकलने की तैयारी की गई ।
पांचवे स्टेप में सब अपने अपने ठिकानों पर रवाना हुए इसी योजना के तहत अतीक का बेटा असद प्रतापगढ़ सुल्तानपुर होते हुए बस्ती और फिर सिद्धार्थनगर पहुंचा । पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि कुछ टोल प्लाजा पर सिल्वर फिल्म की संदिग्ध गाड़ी बॉर्डर इलाके की तरफ गई है।असद किसी भी सर्विलास में नही आना चाहता था सो उसने नेपाल में सीसीटीवी से लैस बॉर्डर को क्रॉस करने के बजाय गाड़ी छोड़कर।.पैदल ही ओपन बॉर्डर पार किया नेपाल में पहले से कयूम गाड़ी मौजूद था। कयूम के साथ असद कपिलवस्तु आया और यहां अतीक ने अपने नेपाल में सैटल रिश्तेदार जो कि हॉस्पिटल चलाता है उसे असद को नेपाल में सुरक्षित पनाह देने का जिम्मा सौंपा था। इसी डॉक्टर की गाड़ियों का इस्तेमाल असद अपने आने जाने के लिए कर रहा है । इस डॉक्टर की नेपाल प्रशासन में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
सूत्रों की माने यूपी एसटीएफ को कयूम से पूछताछ में जानकारी मिली है कि असद लुंबनी के आसपास इलाको में हों सकता है महजिदिया में उसके होने की संभावनाएं है। असद के साथ शूटर अरमान भी हो सकता है। इसलिए यूपी एसटीएफ की एक टीम नेपाल में डेरा डाले हुए है। असद तक पहुंचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का सहारा लिया जा रहा है।अतीक ने सोच समझ कर असद के सेफ पैसेज से अपने गुर्गों अपने नेटवर्क को एकदम दूर रखा। अतीक ने असद के मामले में केवल अपने रिश्तेदारों पर ही भरोसा करते हुए उसे नेपाल भेजा है।अतीक का खास सिपहसालार गुलाम भी यूपी छोड़ चुका है। गुलाम न केवल हत्याकांड में एक शूटर की भूमिका में था बल्कि इस योजना का अहम साझीदार है।बम बाज गुड्डू मुस्लिम के नेटवर्क के आगे तो इनमे से कोई नहीं है अतीक छोड़िए मुख्तार और धनजय से लेकर कई राज्यो के बड़े अपराधियो से गुड्डू का मेलजोल है गुड्डू की बम बनाने की काबिलियत से उसका खुद का नेटवर्क मजबूत हैं । केवल धुंए वाला बम केवल आवाज वाला बम या ऐसा बम जो जानलेवा हो, या फिर ऐसा बम जो जख्म तकभी सीमित रहे जान का जोखिम न रहे।..अलग अलग तरह के इस तरह के बम बनाने में गुड्डू माहिर है। गुड्डू बस के जरिए पहले पश्चिमी यूपी पहुंचा फिर सहारनपुर मुजफ्फर नगर और बिजनौर में कन्ही पनाह लिए हुए है।तीसरे शूटर अरमान के असद के साथ होने की संभावना है। अतीक के भरोसेमंद और पुराने ड्राइवर साबिर ने भी घटना के बाद अलग राह पकड़ी और पश्चिमी यूपी और गुजरात में उसकी तलाश की जा रही है।
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