#Safe Her: वर्कप्लेस पर महिलाएं अगर हो रही हैं प्रताड़ित, जान लें अपने अधिकार और सेफ्टी टिप्स

Women Safety Tips: सड़क हो, घर हो या दफ्तर... आज के दौर में महिलाएं कभी भी सुरक्षित महसूस नहीं करती। जब तक समाज में गंदी सोच वाले लोग रहेंगे, बेटियां कभी महफूज नहीं रहेंगी। ऐसे में वर्किंग वुमेन को अपने अधिकार मालूम होने बेहद जरूरी हैं। आपको इस रिपोर्ट में कुछ सेफ्टी टिप्स बताते हैं।

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जान लें अपने अधिकार

How to Ensure Women Safety at workplace: क्या आपको भी वर्कप्लेन पर उत्पीड़न (Harassment - हरासमेंट) का शिकार हो पड़ता है, प्रताड़ना सहने के बावजूद आपको कोई विकल्प नजर नहीं आता है? तो अपनी आंखें खोल लीजिए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐसे कई नियम हैं, जिसके सहारे वो प्रताड़ित करने वाले शख्स को सलाखों के पीछे भेज सकती हैं। बेटियों को हमेशा अपने अधिकारों के बारे में जानना चाहिए, खास तौर पर जब बात वर्किंग वुमेन या गर्ल हो तो उसे ये जानकारी जरूर रखनी चाहिए कि वर्कप्लेस पर महिला सुरक्षा के लिए क्या कानून हैं।

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वर्कप्लेस पर प्रताड़ना के खिलाफ उठाएं आवाज

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 9 अगस्त को महिला डॉक्टर से रेप और मर्डर की वारदात के बाद से महिलाओं की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। यौन उत्पीड़न के आंकड़ों से ये समझा जा सकता है कि आज के दौर में भी कितने घटिया सोच वाले लोग समाज में रह रहे हैं। लड़कियां घर, बाजार और तो और वर्कप्लेस पर भी सुरक्षित नहीं हैं। कार्यस्थल (Work Place) पर प्रताड़ना सह रही कई महिलाएं तो खुद के साथ होने वाली अत्याचार के बारे में किसी से कह तक नहीं पाती हैं।

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हैरान कर देंगे महिला उत्पीड़न के आंकड़ें

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने जो आंकड़े पेश किए हैं, वो वाकई चिंता बढ़ाने वाले हैं। वर्ष 2018 से 2022 तक भारत में हर साल 400 से अधिक वर्कप्लेस पर सेक्शुअल हैरासमेंट के केस रिपोर्ट किए जा चुके हैं। यदि 2022 का जिक्र किया जाए, तो कुल 419 मामले दर्ज हुए थे। एवरेज की बात करें तो हर महीने भारत में वर्कप्लेस पर लगभग 35 हरासमेंट के मामले सामने आते हैं। हर साल एवरेज की बात की जाए तो 445 केस दर्ज किए जाते हैं। यदि अनुपात लगाया जाए तो, तो कार्यस्थल पर हर दिन एक ऐसा मामला सामने आता है।

वर्कप्लेस पर हरासमेंट के लिए क्या है कानून?

इसके लिए जो कानून है, जिसे 'कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) (Prevention of Sexual Harassment Act- PoSH) अधिनियम, 2013' के नाम से जाना जाता है। इसे आमतौर पर PoSH एक्ट कहा जाता है। इस कानून के होने के बावजूद भी वर्कप्लेस पर महिलाओं को शिकार बनाया जाता है। इस कानून का उद्देश्य ये है कि कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाया जाए।

PoSH अधिनियम के तहत क्या है प्रक्रिया?

भारत सरकार द्वारा PoSH अधिनियम 2013 इसलिए बनाया गया था, जिसके जरिए महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मसलों को हल किया जाए, ऐसे में ये कानून बनाया गया। महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल कार्य वातावरण बनाना, साथ ही उन्हें यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना, इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य है। द हिंदू की एक रिपोर्ट में इसके कुछ प्रमुख प्रावधानों का जिक्र किया गया है।

रोकथाम और निषेध: अधिनियम कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए नियोक्ताओं पर कानूनी दायित्व डालता है।

आंतरिक शिकायत समिति (ICC): यौन उत्पीड़न की शिकायतें प्राप्त करने और उनका समाधान करने के लिए नियोक्ताओं को 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक कार्यस्थल पर एक ICC का गठन करना आवश्यक है। शिकायत समितियों के पास साक्ष्य एकत्र करने के लिए दीवानी अदालतों की शक्तियां हैं।

नियोक्ताओं के कर्तव्य: नियोक्ताओं को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, एक सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना चाहिए और कार्यस्थल पर POSH अधिनियम के बारे में जानकारी प्रदर्शित करनी चाहिए।

शिकायत तंत्र: अधिनियम शिकायत दर्ज करने, पूछताछ करने और शामिल पक्षों को उचित अवसर प्रदान करने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित करता है।

दंड: अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने पर दंड का प्रावधान है, जिसमें ज़ुर्माना और व्यवसाय लाइसेंस रद्द करना शामिल है।

वर्कप्लेस पर महिलाएं के सुरक्षित रहने के लिए कुछ टिप्स:

कंपनी की नीतियों और अपने अधिकारों को जानिए

आप जिस कंपनी में कार्यरत हैं, उसकी नीतियों से जरूर परिचित हो जाएं। आपको अपरने उन अधिकारों को समझना होगा, जो PoSH अधिनियम के तहत दिए गए हैं। आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये सबसे अहम पहलु है।

प्रोफेशनल और पर्सनल दायरा बनाए रखना जरूरी

व्यक्तिगत जीवन और प्रोफेशनल लाइफ दो अलग-अलग छोर हैं। वर्कप्लेस पर प्रोफेशनल दायरा बनाए रखना बेहद जरूरी है। किसी भी सहकर्मी से ऐसी निजी जानकारी शेयर नहीं करना जारिए, जिससे आपको नुकसान हो सके।

उत्पीड़न की किसी भी घटना की तुरंत रिपोर्ट कीजिए

यदि कभी कार्यस्थल पर आप यौन उत्पीड़न का अनुभव करते हैं, तो आपको शांत नहीं रहना चाहिए। तुरंत अपने ICC या HR को इसकी शिकायत करनी चाहिए। शिकायत में देरी करने से आपका मामला कमजोर पड़ सकता है।

शिकायत के लिए जरूरी डॉक्यूमेंटेशन करें

प्रताड़ना के अलग-अलग तरीके होते हैं, यदि आपका सहकर्मी या मैनेजर आपको टेक्स्ट या मेल के जरिए आपके साथ अनुचित व्यवहार करता है, तो उसका प्रमाण जरूर रखें। कॉल रिकॉर्डिंग, मैसेज या मेल्स का डॉक्यूमेंटेशन आपका पक्ष मजबूत करता है। ये ध्यान रखना जरूरी है कि इस प्रमाण का सारा रिकॉर्ड- तारीख, वक्त, जगह और शामिल लोगों का नाम आपके पास होना चाहिए।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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