अखिलेश यादव और मायावती के बीच बढ़ रही नजदीकियां, तो कांग्रेस-सपा में बढ़ेंगी दूरियां? तब क्या करेंगे राहुल गांधी
UP Politics: क्या अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच फिर से दूरियां बढ़ने वाली हैं? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि इन दिनों समाजवादी पार्टी के मुखिया की मायावती से नजदीकियां बढ़ती नजर आ रही हैं। वहीं अखिलेश के नेता कांग्रेस से खफा-खफा नजर आ रहे हैं। आपको सारा माजरा समझाते हैं।
अखिलेश-राहुल की दोस्ती का क्या होगा?
Akhilesh Yadav, Mayawati, Rahul Gandhi: मायावती और अखिलेश यादव के बीच बढ़ती नजदीकियां राहुल गांधी के लिए सिरदर्द की वजह बन सकती है। यूपी की सियासत कब किस ओर करवट लेने वाली है, इसकी भविष्यवाणी बड़े से बड़े राजनीतिक विशेषज्ञ भी नहीं कर पाते हैं। इस बीच बसपा सुप्रीमो के प्रति समाजवादी पार्टी के प्रमुख की नरमी की चर्चाओं ने तेजी पकड़ ली हैं। सियासी गलियारे में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह, 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भी अखिलेश और मायावती साथ आने वाले हैं?
क्या यूपी में फिर से अकेले पड़ जाएंगे राहुल गांधी?
2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी के दो लड़के (अखिलेश और राहुल) की खूब चर्चा हो रही थी, हालांकि सपा-कांग्रेस गठबंधन का चुनाव में बुरा हश्र हुआ, हार के बाद दोनों अलग हो गए। दो साल बाद ही यूपी में फिर से नई जोड़ी बनी। इस बार अखिलेश यादव ने राहुल गांधी से हाथ छुड़ाकर मायावती के हाथी की सवारी की। इन दोनों की जोड़ी को भाजपा ने बुआ-बबुआ कहकर पुकारा। एक बार फिर अखिलेश और राहुल का मिलन 2024 में हुआ, इस बार विधानसभा चुनाव नहीं, बल्कि लोकसभा चुनाव था। चुनावी नतीजों में दोनों पार्टियों को जीत भी हासिल हुई, लेकिन अब फिर से ये सुगबुगाहट तेज हो रही है कि अखिलेश यादव की चाहत है कि सपा और बसपा के बीच बात बन जाए।
कैसे बढ़ी सुगबुगाहट, समझिए इसकी वजह
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक की 'आपत्तिजनक टिप्पणियों' पर नाराजगी व्यक्त की और ये कहा है कि सार्वजनिक रूप से दिये गये इस वक्तव्य के लिए विधायक पर मानहानि का मुकदमा होना चाहिए। इसके बाद मायावती ने अखिलेश के इस कदम के लिए उनका आभार जताया। बसपा सुप्रीमो के प्रति अखिलेश की इस नरमी के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
मायावती और अखिलेश यादव एकसाथ!
अखिलेश-मायवती के मिलन से राहुल पर कितना असर?
सवाल उठ रहे हैं कि क्या जिस तरह अखिलेश और मायावती ने 2019 का लोकसभा चुनाव एकसाथ लड़ा था, उसी तरह आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में क्या सपा और बसपा का गठबंधन होगा, या फिर मायावती की पार्टी भी विपक्षी गठबंधन INDIA का हिस्सा बनेगी? सवाल ये भी है कि यदि ऐसा होता है तो राहुल गांधी का क्या होगा, यूपी में कांग्रेस पार्टी की क्षमता बढ़ेगी या सिमटकर रह जाएगी। जाहिर है कि सपा-बसपा के साथ आने से कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ेगा। उनके खाते में कम सीट आएगी, इसके अलाव राहुल गांधी और अखिलेश यादव की दोस्ती पर असर पड़ सकता है। हालांकि हरियाणा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस और सपा के बीच दूरी बढ़ सकती है।
राहुल गांधी।
तस्वीर साभार : PTI
हरियणा में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को किया खारिज
समाजवादी पार्टी अपनी परिधि को विस्तारित करने की दिशा में अब हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। सपा ने कांग्रेस से पांच सीटों की भी मांग की है, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि वो समाजवादी पार्टी के साथ सीटों का बंटवार करने के मूड में नहीं है। इस संबंध में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहन यादव ने कहा, 'यह सारी बातें सपा-कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा, लेकिन अगर मैं पूर्व के चुनाव की बात करूं, तो आप सभी लोगों ने देखा था कि किस तरह से इसी तरह के बयान मध्य प्रदेश से आए थे। वहीं, स्थानीय नेताओं द्वारा दिए गए बयान को कांग्रेस ने आत्मसात भी कर लिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, इसलिए मैं सभी लोगों से आग्रह करूंगा कि वो किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले थोड़ा चिंतन-मंथन करें। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचे।'
राहुल गांधी और अखिलेश यादव।
आखिर क्यों तिलमिला उठे अखिलेश की सपा के नेता?
सपा नेता ने आगे कहा, 'बात अगर हरियाणा के राजनीतिक समीकरण की करें, तो वहां कई ऐसी जगहें हैं, जहां समाजवादी पार्टी के लोग बड़ी संख्या में हैं। उनके पास समाजवादी पार्टी का कोई आधार नहीं है, इसलिए वे बीजेपी के खेमे में शामिल हो जाते हैं, लेकिन अब हमने इस समीकरण को बदलने का फैसला किया है। उधर, इंडी गठबंधन बनने के बाद और सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन के बाद लोगों के मन में यह विश्वास जगा है कि किसी भी चुनाव में बीजेपी को पराजित किया जा सकता है। अब बीजेपी को पराजित करना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है, लेकिन पहले ऐसा लगता था।'
सपा और कांग्रेस के रिश्तों में इस वजह से पड़ेगा दरार?
हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से पांच सीटों की मांग की है, लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अभी तक सपा की ओर से किसी भी प्रकार की सीटों की मांग नहीं की गई है। इस पर जब सपा प्रवक्ता से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जो भी नेता ऐसा कह रहे हैं, वो लोग अपनी राजनीति कर रहे हैं, जिसे मैं किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं कर सकता हूं।
राहुल गांधी से बात करते हुए अखिलेश यादव।
तस्वीर साभार : Twitter
बार-बार सपा और कांग्रेस पर हमलावर हैं मायावती
मायावती और अखिलेश यादव की पार्टी का मिलन हो पाएगा या नहीं फिलहाल ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि भले ही अखिलेश ने मायावती के प्रति नरम रुख अपना लिए हो, लेकिन मायावती ने कांग्रेस और सपा को लेकर तीखे तेवर अख्तियार कर रखे हैं। बसपा की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रयागराज में आयोजित 'संविधान सम्मान सम्मेलन' को लेकर कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी (सपा) पर रविवार को तंज कसते हुए उन्हें ‘दोगली सोच’ वाले दल बताया और लोगों से उनके ‘चाल और चरित्र को लेकर सजग’ रहने को कहा। ऐसे में फिलहाल कुछ भी अंदाजा लगा पाना अंधेरे में तीर चलाने जैसा होगा। फिलहाल सभी को वेट एंड वॉच की रणनीति अपनानी होगी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
End of Article
आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो...और देखें
End Of Feed
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited