हरियाणा में कांग्रेस-आप के बीच पक रही खिचड़ी, राहुल गांधी क्यों चाहते हैं केजरीवाल का साथ?
Haryana Election: क्या हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच समझौता होने वाला है, क्या दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच कोई सियासी खिचड़ी पक रही है? अगर हां, तो कल तक जो ये दावे कर रहे थे कि सभी 90 सीटों अकेले चुनाव लड़ेंगे, वो कैसे यू-टर्न ले रहे हैं। राहुल आखिर क्यों केजरीवाल का साथ चाहते हैं।
राहुल और केजरीवाल के बीच बन रही है बात?
Congress-AAP Plan for Haryana: आखिर कांग्रेस को ऐसी कौन सी गरज हो गई है, जिसकी वजह से इन दिनों राहुल गांधी आम आदमी पार्टी के साथ आने के बारे में विचार करने लगे हैं। बीते लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के नेताओं ने ये साफ कर दिया था कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) में दोनों का साथ राष्ट्रीय स्तर पर है, वे विधानसभा चुनावों में अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे। हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में हरियाणा के चुनावी रणनीति को देखते हुए ये सुगबुगाहट तेज हो गई है कि कांग्रेस और आप यहां भी मिलकर चुनावी मैदान में अपना दम दिखा सकते हैं।
क्या आप और कांग्रेस के बीच पक रही है खिचड़ी?
कांग्रेस और आप ने बीते लोकसभा चुनाव में हरियाणा के अलावा गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि इसका लाभ आम आदमी पार्टी को तो कुछ खास नहीं मिला, लेकिन उसके वोट प्रतिशत में जरूर इजाफा हुआ। अगले महीने 5 अक्टूबर को हरियाणा में सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है। हरियाणा विधानसभा चुनावों (Haryana Assembly Election 2024) के लिए अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन (AAP-Congress Alliance in Haryana Polls) की संभावनाएं तेज होती दिख रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में इसे लेकर तमाम दावे भी किए जा रहे हैं।
राहुल गांधी का आम आदमी पार्टी के प्रति झुकाव
फिलहाल तो ये दावे सूत्रों के हवाले से किए जा रहे हैं कि बीते सोमवार को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक के दौरान राहुल गांधी ने हरियाणा के कांग्रेस नेताओं से ये राय मांगी है कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना सही होगा या नहीं। हालांकि पिछले महीने पार्टी की दिग्गज नेता कुमारी शैलजा ने अपना रुख साफ किया था कि कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने ये भी कहा था कि हरियाणा में कांग्रेस अपने दमखम पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा खुद सीएम अरविंद केजरीवाल भी ये कह चुके हैं कि कि उनकी पार्टी अपने दम पर हरियाणा विधानसभा चुनाव सभी 90 सीटों पर लड़ेगी। ऐसे में राहुल गांधी का आम आदमी पार्टी के प्रति झुकाव क्यों देखा जा रहा है।
क्यों केजरीवाल का साथ पाना चाहते हैं राहुल गांधी?
इस सवाल का जवाब तलाशने में शायद बहुत मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हरियाणा के राजनीतिक गुणा-गणित को समझा जाए तो इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस और आप यदि अलग-अलग चुनाव लड़ती हैं तो दोनों एक-दूसरे को ही नुकसान पहुंचाएंगी। लोकसभा चुनाव में जो नेता एक-दूसरे के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आए, वही विधानसभा में एक-दूसरे के विरोध में बयानबाजी करेंगे तो ये अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान होगा। अब ये समझना जरूरी है कि राहुल गांधी आखिर आप के साथ को लेकर इतने गंभीर क्यों हैं? इसका जवाब है बीते लोकसभा चुनाव के नतीजे।
हरियाणा में कुल 10 लोकसभा सीटें हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डाली जाए, तो 2014 में भाजपा ने 10 में से 7 सीटें जीती थीं। उस वक्त कांग्रेस महज 1 सीट पर सिमट गई थी। कांग्रेस ने रोहतक सीट पर जीत कायम रखी थी। वहीं इनेलो ने उस वक्त दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2019 में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया और सभी 10 की 10 सीटों पर जीत का डंका बजाया, लेकिन इस बार भाजपा का स्ट्राइक रेट 100 परसेंट से घटकर 50 प्रतिशत ही रह गया है। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने हरियाणा की 10 में से 5 और भाजपा ने भी 5 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा को 5 सीटों पर हराने में कांग्रेस और आप का साथ काम आया। ऐसे में राहुल गांधी ये सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं कि कांग्रेस और आप का साथ विधानसभा चुनाव में भी कारगर साबित हो सकता है।
90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान
इस बीच सूत्रों ने ये भी दावा किया है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उनके गढ़ गढ़ी सांपला-किलोई (Garhi Sampla-Kiloi) से मैदान में उतारा जा सकता है, जबकि राज्य कांग्रेस प्रमुख उदय भान होडल से चुनाव लड़ सकते हैं। हरियाणा, जिसमें 90 विधानसभा सीटें हैं, में 5 अक्टूबर को मतदान होगा, परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
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