10 प्वाइंट में समझिए कैसे स्पीकर चुनाव में अगर विपक्ष उतारता है उम्मीदवार तो बन जाएगा नया इतिहास, टूट जाएगा आम सहमति का रिकॉर्ड

Lok Sabha Speaker Election 2024: लोकसभा में अपनी बढ़ी हुई ताकत से उत्साहित विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ अब आक्रामक तरीके से उपाध्यक्ष के पद की मांग कर रहा है। दरअसल लोकसभा उपाध्यक्ष का पद परंपरागत रूप से विपक्षी दल के सदस्य के पास होता है।

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लोकसभा अध्यक्ष 2024 के चुनाव में विपक्ष उतार सकता है अपना उम्मीदवार

Lok Sabha Speaker Election 2024: देश में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए 26 जनवरी को चुनाव होना है। यह पद लोकसभा में काफी महत्वपूर्ण होता है और आम तौर पर आजादी के बाद से इस सीट पर सत्ता पक्ष का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार की कहानी अलग दिख रही है। लोकसभा चुनाव परिणाम में विपक्ष ने इस बार अच्छा प्रदर्शन किया है, जिसके बाद वो स्पीकर के चुनाव में अपना खुद का कैंडिडेट उतारने का मन बना रहा है। अगर विपक्ष ऐसा करता है तो यह अपने आप में इतिहास होगा, क्योंकि आजादी के बाद से अब तक लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव आम सहमति से होते रहा है। भले की सरकार किसी की भी हो।

विपक्ष की मंशा है स्पष्ट

लोकसभा में अपनी बढ़ी हुई ताकत से उत्साहित विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ अब आक्रामक तरीके से उपाध्यक्ष के पद की मांग कर रहा है। दरअसल लोकसभा उपाध्यक्ष का पद परंपरागत रूप से विपक्षी दल के सदस्य के पास होता है। इसीलिए विपक्ष इसकी मांग कर रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा ने इस लेकर साफ कर दिया है कि यदि सरकार विपक्ष के नेता को उपाध्यक्ष बनाने पर सहमत नहीं होती है तो हम लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे।

10 प्वाइंट में समझिए कैसे बनेगा इतिहास

  1. स्वतंत्रता के बाद से, लोकसभा अध्यक्षों का चयन सर्वसम्मति से किया जाता रहा है। इस पद पर विपक्ष ने कभी उम्मीदवार नहीं उतारे। अगर ऐसा होता है तो यह अपने आप में एक इतिहास होगा।
  2. अगर बीजेपी इस बार विपक्ष के उम्मीदवार उतारने के बाद भी इस पद पर चुनाव जीत जाती है, तो यह भी अपने आप में इतिहास होगा।
  3. और अगर विपक्ष का उम्मीदवार, बीजेपी के उम्मीदवार को हरा देता है, जिसकी संभावना कम है, तो भी यह अपने आप में इतिहास होगा।
  4. इस बार का स्पीकर का चुनाव आजादी के बाद सबसे हॉट चुनाव हो सकता है
  5. अगर बीजेपी एक बार फिर से ओम बिड़ला को अपना कैंडिडेट घोषित करती है और जीत भी जाती है तो भी यह एक रिकॉर्ड होगा
  6. क्योंकि केवल एम ए अयंगर, जी एस ढिल्लों, बलराम जाखड़ और जी एम सी बालयोगी ही बाद की लोकसभाओं में प्रतिष्ठित पदों पर पुनः निर्वाचित हुए हैं।
  7. लोकसभा के पहले उपाध्यक्ष अयंगर वर्ष 1956 में मावलंकर की मृत्यु के बाद अध्यक्ष चुने गये थे। उन्होंने 1957 के आम चुनावों में जीत हासिल की और उन्हें दूसरी लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया था।
  8. ढिल्लों को 1969 में वर्तमान अध्यक्ष एन संजीव रेड्डी के इस्तीफे के बाद चौथी लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया था। ढिल्लों को 1971 में पांचवीं लोकसभा का अध्यक्ष भी चुना गया और वे 1 दिसंबर 1975 तक इस पद पर बने रहे। उन्होंने आपातकाल के दौरान यह पद छोड़ दिया था।
  9. जाखड़ सातवीं और आठवीं लोकसभा के अध्यक्ष रहे और उन्हें दो पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र पीठासीन अधिकारी होने का गौरव प्राप्त है।
  10. बालयोगी को 12वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया, जिसका कार्यकाल 19 महीने का था। उन्हें 22 अक्टूबर 1999 को 13वीं लोकसभा का अध्यक्ष भी चुना गया। बालयोगी की 3 मार्च 2002 को एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

क्या है सत्ता पक्ष का समीकरण

18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू होगा, जिस दौरान निचले सदन के नए सदस्य शपथ लेंगे और अध्यक्ष का चुनाव होगा। लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ ने 234 सीटें जीतीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राजग ने 293 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखी। 16 सीटों के साथ तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और 12 सीटों के साथ जनता दल (यू) भाजपा की सबसे बड़ी सहयोगी हैं। भाजपा ने 240 सीटें जीती हैं। विपक्षी गठबंधन भाजपा की सहयोगी तेदेपा पर भी लोकसभा अध्यक्ष के पद पर जोर देने या पार्टी में धीरे-धीरे विघटन का सामना करने के लिए कह रहा है। जद(यू) ने लोकसभा अध्यक्ष के लिए भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की है, जबकि तेदेपा ने इस प्रतिष्ठित पद के लिए सर्वसम्मत उम्मीदवार का समर्थन किया है।

लोकसभा अध्यक्षों की सूची

क्रमांकलोकसभा अध्यक्षकार्यकाल
1गणेश वासुदेव मावलंकर15 मई 1952 - 27 फ़रवरी 1956
2अनन्त शयनम् अयंगार8 मार्च 1956 - 16 अप्रॅल 1962
3सरदार हुकम सिंह17 अप्रॅल 1962 - 16 मार्च 1967
4नीलम संजीव रेड्डी17 मार्च 1967 - 19 जुलाई 1969
5जी. एस. ढिल्‍लों8 अगस्त 1969 - 1 दिसंबर 1975
6बलि राम भगत15 जनवरी 1976 - 25 मार्च 1977
7नीलम संजीव रेड्डी26 मार्च 1977 - 13 जुलाई 1977
8के एस हेगड़े21 जुलाई 1977 - 21 जनवरी 1980
9बलराम जाखड़22 जनवरी 1980 - 18 दिसंबर 1989
10रवि राय19 दिसंबर 1989 - 9 जुलाई 1991
11शिवराज पाटिल10 जुलाई 1991 - 22 मई 1996
12पी. ए. संगमा25 मई 1996 - 23 मार्च 1998
13जी एम सी बालयोगी24 मार्च 1998 - 3 मार्च 2002
14मनोहर जोशी10 मई 2002 - 2 जून 2004
15सोमनाथ चटर्जी4 जून 2004 - 30 मई 2009
16मीरा कुमार4 जून 2009 – 4 जून 2014
17सुमित्रा महाजन6 जून 2014 – 17 जून 2019
18ओम बिरला19 जून 2019 - पदस्थ

आजादी से पहले का इतिहास

पीटीआई के अनुसार स्वतंत्रता से पहले संसद को केंद्रीय विधानसभा कहा जाता था और इसके अध्यक्ष पद के लिये पहली बार चुनाव 24 अगस्त 1925 में हुआ था जब स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार विट्ठलभाई जे. पटेल ने टी. रंगाचारियर के खिलाफ यह चुनाव जीता था। अध्यक्ष के रूप में चुने जाने वाले पहले गैर-सरकारी सदस्य पटेल ने दो वोटों के मामूली अंतर से पहला चुनाव जीता। पटेल को 58 वोट मिले थे, जबकि रंगाचारियार को 56 वोट मिले थे। केन्द्रीय विधान सभा के अध्यक्ष के पद के लिए 1925 से 1946 के बीच छह बार चुनाव हुए। केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए अंतिम मुकाबला 24 जनवरी, 1946 को हुआ था, जब कांग्रेस नेता जी.वी. मावलंकर ने कावसजी जहांगीर के खिलाफ तीन मतों के अंतर से चुनाव जीता था। मावलंकर को 66 मत मिले थे, जबकि जहांगीर को 63 मत मिले थे। इसके बाद मावलंकर को संविधान सभा और अंतरिम संसद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद अस्तित्व में आई। मावलंकर 17 अप्रैल, 1952 तक अंतरिम संसद के अध्यक्ष बने रहे, जब पहले आम चुनावों के बाद लोकसभा और राज्यसभा का गठन किया गया।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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