उद्धव ठाकरे, शरद पवार के साथ आए ओवैसी; तो कितना बदलेगा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव? समझिए सारा गेम

Maharashtra Politics: क्या महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे, शरद पवार, राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी के बीच करार होने वाला है? क्या सूबे के विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) से एक और पार्टी जुड़ने वाली है? यदि ऐसा होता है तो आगामी विधानसभा चुनाव कितना बदल जाएगा, समझिए समीकरण।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने बनाया खास प्लान।

Owaisi Plan for Maharashtra Chunav: विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में कोई बड़ा उलटफेर होने वाला है? इसके आसार बढ़ने लगे हैं, क्योंकि अदुद्दीन ओवैसी की चाहत है कि वो विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बने और भाजपा को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दें। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूटीबी), शरद पवार की एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस के साथ ओवैसी की एआईएमआईएम अब कोई सियासी समझौता कर सकती है। महाविकास अघाड़ी से हाथ मिलाने की पेशकश खुद ओवैसी की पार्टी AIMIM ने की है, अगर ये पहल सफल हुई तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कितना बदल जाएगा?

भाजपा नीत गठबंधन से कैसे करेंगे दो-दो हाथ?

महाराष्ट्र की सियासत में लंबे वक्त से ये देखा जाता रहा है कि कभी चाचा-भतीजे की लड़ाई होती है, तो कभी पार्टी तोड़कर सत्ता के सिंहासन पर सवार होने का खेल चलता है। फिलहाल की स्थिति-परिस्थिति की बात की जाए तो कौन ज्यादा शक्तिशाली है? ये सवाल बरकरार है। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में महाराष्ट्र के सियासी हालात जगजाहिर हो गए हैं। नतीजों से निकली तस्वीरों ने बयां किया कि सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है, यही वजह है कि ओवैसी की पार्टी ने पहली बार विपक्षी दलों के गठबंधन से जुड़ने की खुद ही पेशकश कर दी है। हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव में शिवसेना को इसका नफा और नुकसान दोनों ही हो सकता है।

अगर ओवैसी साथ आए, तो कितना बदलेगा चुनाव?

हर सिक्के के दो पहलु होते हैं, यदि असदुद्दीन ओवैसी और विपक्षी गठबंधन एमवीए का मिलन होता है तो इसके भी दो छोर सामने आ सकते हैं। एक ओर से देखा जाए तो विपक्षी गठबंधन को महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक एकमुश्त वोट देंगे। काफी हद तक इसका असर ये होगा कि शरद पवार, उद्धव ठाकरे की पार्टी और कांग्रेस और मजबूत होगी। वहीं इस पहलु पर भी नजर डालना होगा कि उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी शिवसेना की छवि अब तक एक हिंदुत्ववादी पार्टी के तौर पर रही है, ऐसे में यदि वो ओवैसी से हाथ मिलाते हैं तो उनके अपने वोटबैंक पर भाजपा आसानी से सेंध लगा सकती है।
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