महाराष्ट्र के विदर्भ में सब पर भारी ‘भाजपा’, जानें कैसे 29 से 34 सीटों तक पहुंची भगवा ब्रिगेड

Maharashtra Assembly Election: विदर्भ क्षेत्र में भाजपा ने मजबूत किलेबंदी की थी क्योंकि महाराष्ट्र का यह इलाका सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाता है। विदर्भ में महाराष्ट्र के 11 जिले आते हैं, जिनमें अकोला, अमरावती, भंडारा, बुलढाणा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, गोंदिया, नागपुर, वर्धा, वाशिम और यवतमाल शामिल हैं, जबकि कुल 62 सीटें आती हैं।

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विदर्भ में पिछली बार से इस बार बेहतर है भाजपा का प्रदर्शन।

Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र में इस बार सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो-फाड़ होने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा हुए। 20 नवंबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को जारी हुए नतीजों में भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन महायुति ने ऐतिहासिक सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। इस चुनाव में महायुति गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं जिसमें से 134 सीटों पर अकेले भाजपा ने जीत दर्ज की है। इस चुनाव में जीत का परचम लहराने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी।

सरकार बनाने में विदर्भ की भूमिका अहम

विदर्भ क्षेत्र में भाजपा ने मजबूत किलेबंदी की थी क्योंकि महाराष्ट्र का यह इलाका सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाता है। विदर्भ में महाराष्ट्र के 11 जिले आते हैं, जिनमें अकोला, अमरावती, भंडारा, बुलढाणा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, गोंदिया, नागपुर, वर्धा, वाशिम और यवतमाल शामिल हैं, जबकि कुल 62 सीटें आती हैं। 2019 के चुनाव में विदर्भ की कुल 62 सीटों में से भाजपा ने 29 सीटें जीती थीं जबकि इस बार सर्वाधिक 34 सीटों पर कमल खिला है। वहीं महायुति गठबंधन में शामिल शिंदे सेना ने 5 सीटें हासिल की हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस जीत से गदगद है। भाजपा की यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई चेहरे, अमित शाह की अचूक रणनीति, जेपी नड्डा के संगठनात्मक कौशल और पार्टी कैडर की कड़ी मेहनत का नतीजा है।

विदर्भ के नागपुर में है आरएसएस कार्यालय

भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय विदर्भ के केंद्र नागपुर में है। यहां पार्टी ने अपनी सभी इकाइयों, मोर्चा और प्रकोष्ठों को सक्रिय किया है और टोली बनाकर चुनाव प्रबंधन में लगाया। बूथ स्तर तक का मैनेजमेंट बारीकी से किया। ग्राउंड से लेकर सोशल मीडिया तक चुनावी प्रचार प्रसार पर काम किया। भाजपा का मुख्य फोकस विदर्भ की 62 सीटों पर था। इन सीटों पर भाजपा ने 2 राज्यों के संगठन महामंत्रियों को लगाया था जिनमें तेलंगाना के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और मध्य प्रदेश के हितानंद शामिल हैं। अगस्त महीने से ही राजस्थान के पूर्व संगठन महामंत्री चंद्रशेखर विदर्भ क्षेत्र में प्रवास शुरू किया और चुनाव नजदीक आते ही वहीं डेरा डाल लिया। उन्होंने विदर्भ क्षेत्र के पदाधिकारियों, चुनाव प्रबंधन टोली, चुनाव संचालन टोली, महिला मोर्चा टीम, अनुसूचित मोर्चा, युवा मोर्चा की टोलियों की बैठकें कीं जिससे कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार हुआ।

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किस रणनीति पर भाजपा ने किया काम

भाजपा ने हर बूथ पर कमेटियां नियुक्त की हैं, साथ ही विस्तारकों और पन्ना प्रमुखों की पूरी फौज तैयार की। ग्राउंड के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी पूरी मुस्तैदी से अभियान चलाया। विदर्भ के बारे में कहा जाता है कि यह जिसका साथ देता है, वही महाराष्ट्र की सत्ता के नजदीक पहुंच पाता है। इसीलिए चुनाव से पहले भाजपा की टोलियों ने क्षेत्र में शोषितों, वंचितों, गरीब, मजदूर, कामगार, दैनिक वेतन भोगियों, घरों में काम करने वाली महिलाओं, रिक्शा चालकों, फल विक्रेताओं तक संपर्क किया। भाजपा ने केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं को आधार बनाया है और उनके लाभार्थियों से संपर्क कर नया वोट बैंक तैयार किया। इस क्षेत्र में रिकॉर्ड प्रदर्शन के लिए भाजपा ने संघ के एक ऐसे प्रचारक चंद्रशेखर को लगाया था जिनके नाम काशी से लेकर पश्चिमी यूपी और राजस्थान विधानसभा चुनाव से लेकर तेलंगाना लोकसभा चुनाव तक में भाजपा की जीत का रिकॉर्ड दर्ज है।

माइक्रोमैनेजमेंट में माहिर चंद्रशेखर

चुनावी माइक्रोमैनेजमेंट में माहिर चंद्रशेखर को भाजपा ने जनवरी महीने में राजस्थान से तेलंगाना के महामंत्री संगठन के रूप में नियुक्त कर भेजा था। वह 2017 से राजस्थान में भाजपा के महामंत्री संगठन थे और उन्होंने पार्टी को बूथ स्तर तक ले जाकर विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी को विजयश्री दिलाने में अहम भूमिका निभाई। चंद्रशेखर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उससे पहले काशी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रह चुके हैं। साल 2014 में चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कदम से कदम मिलाकर बनारस सीट को जीतने की बड़ी पटकथा लिखी थी। साल 2014 में चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कदम से कदम मिलाकर बनारस सीट पर उनकी जीत के सारथी बने। इतना ही नहीं, उन्होंने काशी क्षेत्र में लोकसभा की सभी सीटों को जीतने के लिए ऐसी कुशल रणनीति बनाई कि विपक्षी पार्टियां धराशायी हो गईं। चुनावी माइक्रो मैनेजमेंट में माहिर चंद्रेशखर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और बीजेपी संगठन ने तेलंगाना में जिस सोच के साथ भेजा था, उन्होंने उसे पूरा कर दिखाया। लोकसभा चुनाव में तेलंगाना में 4 सीटों वाली बीजेपी को 8 सीटें दिलाने का काम किया। अब एक बार फिर चंद्रेशखर ने अपने विदर्भ अभियान को सफलतापूवर्क पूरा कर दिखाया है।

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कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

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