बड़े शहरों की बजाय, छोटे शहरों और कस्बों में घरों की बिक्री बढ़ने के क्या हैं संकेत
Homes in Smaller Cities: हर कोई अपने सपनों का आशियाना बनाना चाहता है, कहते हैं कि जिंदगी में घर बना लेना सबसे बड़ी जिम्मेदारी और बोझ से मुक्त होना कहलाता है। हालांकि आज के दौर में बड़े शहरों की बजाय, छोटे शहरों और कस्बों में घरों की बिक्री बढ़ रही है, इसके क्या संकेत है?
सांकेतिक तस्वीर। (साभार- Freepik)
Explained: भागदौड़ की जिंदगी में आज हर कोई सुकून की तलाश करना चाहता है। काम करने के बाद जब कोई व्यक्ति अपने सपनों के आशियाने में पहुंचता है तो वो आरामदायक जीवनयापन की चाहत रखता है, भीड़-भाड़ और चिल्ल-पों से दूर रहना चाहता है। ये एक बड़ी वजह है कि आज बड़े शहरों की बजाय छोटे शहरों और कस्बों में घरों की बिक्री ने तेजी पकड़ ली है। आंकड़ों की जुबानी समझा जाए तो ये संपत्ति की खरीद के मामले में बड़े शहरों में रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है। बीते साल घरों की बिक्री और कीमतों में खासा बदलाव देखने को मिला है। आपको इस लेख के जरिए समझाते हैं कि आखिर इसकी असल वजह क्या है।
क्यों छोटे शहरों में घर खरीद रहे हैं लोग?
वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि मुख्य वजहों की बात की जाए तो बीते कुछ वर्षों में देशभर के छोटे शहरों में सुविधाएं बढ़ी हैं। जो लोगों को वहां जीवनयापन करने के लिए आकर्षित करती है। इसके अलावा बड़े शहरों से छोटे शहरों और कस्बों की कनेक्टिविटी भी आसान हुई है। जैसे रोड और हाइवे के बनने से लोगों की पहुंच आसान हो गई है। साथ ही ट्रेनों में इजाफा, रेल यात्रा की सुविधाओं में बढ़ोतरी और बस, मेट्रो की कनेक्टिविटी से लोग इस ओर आकर्षित हो रहे हैं।
सपनों का आशियाना। (साभार- Freepik)
यदि दिल्ली एनसीआर का जिक्र करें तो जिस तरह दिल्ली से मेरठ की कनेक्टिविटी रैपिड रेल के जरिए आसान हुई। आगरा, फरीदाबाद, झज्जर जैसी जगहों पर पहुंचना अब आसान हो गया है। ऐसे में लोग चाहते हैं कि वो बड़े शहरों की भीड़ से थोड़ा दूर जाकर सुकून की जिंदगी जी सके।
कम खर्च में बड़ा मकान खरीदने का विकल्प
बड़े शहरों में सिर्फ भीड़-भाड़ और ट्रैफिक की समस्या नहीं है, बल्कि यहां जमीनें और घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसकी तुलना में छोटे कस्बे और शहर में आवासों की कीमत बेहद कम है। जिसकी कीमत में कोई व्यक्ति बड़े शहर में एक छोटा सा घर या फ्लैट खरीद पाता है, उतना खर्च करके वो छोटे शहर में बड़ा मकान खरीद सकता है। कोई भी इस विकल्प को बेहतर समझेगा और ये तो हर कोई समझ सकता है कि बड़े शहर में छोटा घर लेने से बेहतर है कि छोटे शहर में बड़ा घर खरीद लिया जाए।
सपनों का घर। (साभार- Freepik)
कोरोना के बाद बदल गई लोगों की सोच
बीते कुछ वर्षों में आखिर लोगों के जेहन में ये ख्याल क्यों आने लगा? इस सवाल का एक जवाब नहीं हो सकता है। कोरोना काल में जो बदतर स्थिति बड़े शहर और मेट्रो सिटीज ने देखी, उसके बाद लोग डर के जीना नहीं चाहते हैं। इसके अलावा बढ़ते प्रदूषण और मौसम की मार के चलते लोग बड़े शहरों की बजाय छोटे शहरों में अपना सुकून तलाशने के लिए सपनों का घर बनाने पर जोर दे रहे हैं।
छोटे शहर के घरों के भविष्य को लेकर आई रिपोर्ट
एक मीडिया रिपोर्ट के सर्वे में ये बात सामने आई है कि पिछले वित्त वर्ष में 52 छोटे शहरों की बिक्री में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा ये भी दावा किया गया है कि वर्ष 2025 में छोटे शहरों और कस्बों में 25 प्रतिशत बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। इसकी वजह बताई गई है कि यहां विकास की गति काफी तेज रफ्तार पकड़ चुकी है।
सांकेतिक तस्वीर। (साभार- Freepik)
वित्त वर्ष 2024 में टियर-2 शहरों में आवासीय संपत्ति की बिक्री में इसलिए बढ़ोतरी हुई है क्योंकि लोग बेहतर गुणवत्ता वाले घरों की खरीद करना चाहते हैं। मिंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि कंसल्टेंसी फर्म लियासेस फोरास के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में कम से कम 52 छोटे शहरों की बिक्री में 26% की वृद्धि हुई, 21% की जबकि शीर्ष आठ शहरों में 21 वृद्धि हुई।
छोटे शहरों और कस्बों में क्यों महंगे हो रहे हैं आवास?
घरों की डिमांड लगातार बढ़ रही है, जिसमें आ रही तेजी ने लोगों का ध्यान महानगरों पर केंद्रित किया है, जिसके प्रमुख कारणों को समझना मुश्किल नहीं है। संपत्ति में निवेश करने वाले कोराना के झटके से उबर चुके हैं और अब वो छोटे शहरों पर दांव लगा रहे हैं। यही वजह है कि छोटे शहरों में आवासों की कीमतों में उछाल आया है। कानपुर, लखनऊ, देहरादून और जयपुर में घरों की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। इसकी वजह ज्यादा डिमांड और अपेक्षाकृत कम आवास आपूर्ति है। इन शहरों के आस पास के छोटे कस्बों में भी घरों की मांग तेज हुई है।
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