ट्रांस-शिपमेंट सुविधा बंद कर भारत ने बांग्लादेश पर कसी नकेल! भारी पड़ गया मोहम्मद यूनुस का 'बड़बोलापन'
Bangladesh News : बीते 26 मार्च यानी बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यूनुस चीन के दौरे पर गए थे। यहां उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई। इस मुलाकात और बातचीत के दौरान यूनुस ने भारत के सेवेन सिस्टर्स को लेकर जो बातें कहीं, वह भारत के भू-राजनीतिक स्थिति को चुनौती और भारत की सामरिक नीति को चुनौती देने वाला था।

भारत ने बंद की बांग्लादेश को दी हुई पारगमन की सुविधा।
Bangladesh News : तल्खी के दौर से गुजर रहे भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई है। संबंधों में यह गिरावट भारत द्वारा बांग्लादेश को दी गई पारगमन यानी ट्रांस-शिपमेंट सुविधा बंद करने से आई है। ट्रांस-शिपमेंट सुविधा का मतलब है कि एक देश से दूसरे देश में सामान भेजने के लिए किसी तीसरे देश के बंदरगाह या हवाई अड्डे का इस्तेमाल करना। भारत ने 2020 में बांग्लादेश को यह सुविधा दी थी। इससे बांग्लादेश अपने सामान को भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के जरिए दूसरे देशों में भेज सकता था। लेकिन अब वह अपना माल किसी तीसरे देश में भेजने के लिए भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। जाहिर है कि अमेरिकी टैरिफ के बाद बांग्लादेश को भारत से बहुत बड़ा झटका लगा है। आने वाले दिनों में इसका असर उसके कारोबार और निर्यात पर पड़ेगा।
भारत ने क्यों बद की यह सुविधा?
सवाल है कि आखिर भारत ने अपने पड़ोसी देश को दी हुई यह सुविधा आखिर बंद क्यों कर दी? तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस सुविधा के कारण पिछले कुछ समय में हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर काफी दिक्कतें पैदा हो रही थीं। लॉजिस्टिक्स में देरी और उच्च लागत के कारण हमारे अपने निर्यात में बाधा आ रही थी और बैकलॉग भी बन रहा था। इसलिए, यह सुविधा वापस ले ली गई लेकिन इसका भारत से होकर नेपाल और भूटान को जाने वाले बांग्लादेश के निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, एक्सपर्ट भारत सरकार के इस फैसले को बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के चीन दौरे और पूर्वोत्तर के राज्यों जिन्हें सेवेन सिस्टर्स कहा जाता है, उस बारे में दिए गए उनके बयान से जोड़ रहे हैं।
चीन में जाकर यूनुस ने की 'बकवास'
दरअसल, बीते 26 मार्च यानी बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यूनुस चीन के दौरे पर गए थे। यहां उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई। इस मुलाकात और बातचीत के दौरान यूनुस ने भारत के सेवेन सिस्टर्स को लेकर जो बातें कहीं, वह भारत के भू-राजनीतिक स्थिति को चुनौती और भारत की सामरिक नीति को चुनौती देने वाला था। यूनुस ने कहा कि भारत के सेवेन सिस्टर्स लैंड लॉक्ड हैं, समुद्र तक इनकी पहुंच नहीं है। जबकि इस इलाके में बांग्लादेश समुद्र का 'गार्जियन' है। चीन को बांग्दालेश में निवेश करना चाहिए। यहां वह सामान बनाए और समुद्र के रास्ते दुनिया भर में भेजे। यही नहीं, रिपोर्टों यह भी है कि यूनुस ने ललमोनिरहाट में एयरबेस बनाने के लिए चीन को न्योता भी दिया। इससे भी बड़ी बात है कि इस एयरबेस का रखरखाव पाकिस्तान करेगा। ललमोनिरहाट सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक कहा जाता है, उसके काफी करीब है। इस गलियारे से ही पूर्वोत्तर के सातों राज्य जुड़े हैं। यानी सिलीगुड़ कॉरिडोर ही पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ता है। जाहिर है कि यह भारतीय सुरक्षा हितों को सीधी चुनौती है। भारत और चीन के बीच रिश्ते कैसे हैं, यूनुस को यह पता है। फिर भी उन्होंने जानबूझकर भारत को उकसाने वाला बयान दिया। इस पर भारत की ओर से एक्शन होना लाजिमी था। भारत ने यूनुस के बयान पर तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन एक्शन लेकर जवाब दे दिया। पारगमन सुविधा बंद कर दी।
बांग्लादेश के निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा
बांग्लादेश में पांच अगस्त के तख्तापलट के बाद उसका कारोबार लगातार नीचे गया है। अर्थव्यवस्था चरमराती जा रही है। ऊपर से पारगमन सुविधा बंद होने से बांग्लादेश के निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ेगा क्योंकि 2023-24 और 2024-25 के दौरान पारगमन सुविधा से होने वाले निर्यात से बांग्लादेश की कमाई 46 प्रतिशत बढ़ गई थी। पेट्रापोल क्लियरिंग एजेंट्स स्टाफ वेल्फेयर एसोसिएशन की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में 2,357.27 करोड़ रुपये मूल्य की 4,733 खेप ले जाने वाले 3,473 ट्रक पेट्रापोल के रास्ते बांग्लादेश से भारतीय सीमा में पहुंचे थे।
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पारगमन माल ढोने वाले चार ट्रकों को लौटा दिया
जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में 4,861 ट्रकों ने 3,446.66 करोड़ रुपये मूल्य की 7,772 खेपों का परिवहन किया। यह उससे पहले के साल की तुलना में ट्रक आवाजाही में 36 प्रतिशत और माल के मूल्य में 46 प्रतिशत की उछाल को दर्शाता है। भारत ने 29 जून, 2020 से भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से और बाद में भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से बांग्लादेश से तीसरे देशों को भेजे जाने वाले निर्यात माल के पारगमन की अनुमति दी थी। हालांकि, इस साल आठ अप्रैल को, भारत सरकार ने पारगमन सुविधा को रद्द कर दिया। इस फैसले के बाद बांग्लादेश के बेनापोल बंदरगाह ने नौ अप्रैल को पारगमन माल ढोने वाले चार ट्रकों को लौटा दिया।
विदेशों में महंगे हो जाएंगे बांग्लादेश के सामान
भारत और बांग्लादेश के बीच कारोबार की अगर बात करें तो साल 2023-24 में दोनों देशों के बीच 14 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इसमें बांग्लादेश ने भारत को 1.97 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया। बांग्लादेश की कमाई का मुख्य जरिया वहां गेरिमेंट उद्योग है। एक आंकड़े के मुताबिक बांग्लादेश के पास निर्यात से होने वाली कुल आय का 83 प्रतिशत हिस्सा रेडीमेड गारमेंट से आता है लेकिन भारत के इस फैसले के बाद बांग्लादेश से हवाई जहाजो में भेजे जा रहे निर्यात के सामान पर अब खर्च बढ़ जाएगा। नौ अप्रैल से पहले बांग्लादेश से आए लगभग 50-60 ट्रकों में से लगभग 15-20 ट्रक यूरोप और अमेरिका जैसे पश्चिमी बाजारों के लिए तैयार कपड़ों से भरे कंटेनर ले जा रहे थे। अब बांग्लादेश को मिडिल इस्ट, यूरोप और अमेरिका की तरफ अपना माल भेजने के लिए दूसरे समुद्री और हवाई मार्ग का इस्तेमाल करना पड़ेगा। यह रूट काफी लंबा है। रूट लंबा होने से जाहिर है कि सामान भेजने की लागत बढ़ जाएगी और उसकी वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। यह एक तरह से बांग्लादेश पर अघोषित भारतीय टैरिफ है जो उस पर भारी पड़ने जा रहा है।
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