15 अगस्त 1947 को फहराया गया था जो तिरंगा, वो कहां है? जानें उससे जुड़ी 5 खास बातें

History of Tiranga: क्या आप जानते हैं कि भारत के 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कैसा तिरंगा फहराया गया था? उस झंडे का आकार कैसा था और फिलहाल वो तिरंगा कहां रखा हुआ है? इतिहास के पन्नों पर हिंदुस्तान की आजादी से जुड़े कई ऐसे तथ्य स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज हैं। आपको कुछ खास बातों से रूबरू करवाते हैं।

Indian National Flag of 15 August, 1947

1947 में फहराए गए तिरंगे झंडों में से बचा हुआ भारत का एकमात्र ध्वज।

Indian National Flag of Independent India: कहां है वो तिरंगा, जिसे 15 अगस्त 1947 को पहली बार आजाद भारत फहराया गया था? उसका आकार कैसा है, वो तिरंगा किस कपड़े से बना है, फिलहाल वो कैसा दिखता है? इस तिरंगे को फहराने का समय क्या था और चेन्नई के फोर्ट संग्रहालय से इसका क्या नाता है, आपको इस लेख में उस तिरंगे से जुड़ी कई रोचक बातें बताते हैं।

15 अगस्त 1947 को फहराया गया जो तिरंगा

चेन्नई के सदियों पुराने फोर्ट सेंट जॉर्ज क्षेत्र में स्थित एक संग्रहालय की अमूल्य संपत्तियों में एक पुराना भारतीय तिरंगा भी है, जिसे 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र भारत के जन्म के समय फहराए जाने का दुर्लभ गौरव प्राप्त है। संस्कृति मंत्रालय के अनुसार फोर्ट संग्रहालय में रखा यह तिरंगा शुद्ध रेशम का बना है और 3.5 मीटर लंबा तथा 2.4 मीटर चौड़ा है।

कितने बजे फहराया गया था ये ऐतिहासिक तिरंगा?

मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि 'यह 1947 में फहराए गए तिरंगे झंडो में से बचा हुआ भारत का एकमात्र ध्वज है। यह ध्वज उस संपूर्ण संघर्ष का प्रमाण है, जो भारतीयों ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए किया था।' मंत्रालय ने कहा कि यह ध्वज 15 अगस्त, 1947 को फोर्ट सेंट जॉर्ज में सुबह 5.30 बजे फहराया गया था। ‘पीआईबी कल्चर’ ने भी ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा किया जिसमें तिरंगे के साथ संग्रहालय की गैलरी की कुछ तस्वीरें हैं।

क्यों किले का नाम पड़ा था सेंट जॉर्ज फोर्ट?

कोरोमंडल तट के साथ साथ चेन्नई के एक छोर पर स्थित इस किले की उत्पत्ति संबंधी जानकारी शहर के इतिहास से जुड़ी हुई है। तमिलनाडु पर्यटन विभाग की वेबसाइट के अनुसार, यह किला 23 अप्रैल, 1644 को सेंट जॉर्ज डे पर बनकर तैयार हुआ था, जिसे बाद में सेंट जॉर्ज फोर्ट नाम दिया गया। इस किले के अस्तित्व में आने के साथ ही जार्ज टाउन नामक एक नयी बस्ती का जन्म हुआ जिसमें आसपास के गांव भी शामिल किए गए और बाद में यही बस्ती मद्रास यानि के आधुनिक समय का चेन्नई कहलाई।

18वीं सदी में कई हमलों का सामना करने वाली दीवारें

उस समय सत्ता का महत्वपूर्ण केंद्र रहे इस किले की छह मीटर ऊंची दी़वारों ने अठारहवीं सदी में कई हमलों का सामना किया। वेबसाइट के अनुसार, फोर्ट सेंट जार्ज किले का मुख्य आकर्षण इसका संग्रहालय है जिसे फोर्ट म्यूजियम कहा जाता है। इसमें बहुत ही व्यवस्थित दीर्घाओं में प्राचीन वस्तुओं का विविधतापूर्ण संग्रह है। तीन तलों पर दस दीर्घाओं में आधुनिक भारतीय इतिहास के विभिन्न दौर की 3,661 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।

जब आमजन के लिए खोला गया था फोर्ट म्यूजियम

संस्कृति मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि संग्रहालय में भारतीय स्वतंत्रता गैलरी भारतीय ध्वज के विकास और राष्ट्रीय ध्वज के पीछे की कहानियों को भी प्रदर्शित करती है। फोर्ट म्यूजियम को 31 जनवरी 1948 को जनता के लिए खोला गया था। तिरंगा का इतिहास बड़ा ही रोचक है, देश को आजादी दिलाने के खातिर लाखों सपूतों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। आज हम अपने देश में चैन की सांस ले रहे हैं, इसके लिए न जाने कितने देश प्रेमियों ने कुर्बानियां दी। उन सभी को सेनानियों को नमन, जय हिंद।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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