भारत की 5 सबसे ताकतवर और खतरनाक कमांडो फोर्सेस, जो दुश्मन के लिए काल से कम नहीं
Top 5 Most Powerful Commando Forces of India: क्या आप जानते हैं कि देश के सबसे ताकतवर कमांडो फोर्सेस की लिस्ट में कौन-कौन शामिल है। कड़ी ट्रेनिंग के बाद ये कमांडो तैयार होते हैं, जो दुश्मनों के लिए किसी डरावने सपने से कम नही होते। आपको 5 ऐसे कमाडोज से रूबरू करवाते हैं।
भारत की 5 सबसे बड़ी कमांडो फोर्सेस की सूची।
India's Commando Forces List: देश के सबसे खतरनाक, शानदार और इंटेलिजेंट कमांडोज को दुश्मन का काल कहा जाता है। ये वो कमांडो फोर्सस हैं जो दुश्मन का नामों निशान मिटा सकती हैं। जिनके आगे दुश्मन, पलभर में घुटने टेक सकते हैं। इन कमांडोज की हिम्मत, हौसले और हमला करने की क्षमता के आगे बड़े से बड़े आतंकी धाराशही हो जाते हैं। आपको भारत की उन 5 कमांडो फोर्सेस की ताकत और जज्बे की कहानी से इस लेख में रूबरू करवाते हैं।
1). NSG कमांडो को कहते हैं ब्लैक कैट
देश के सबसे अहम कमांडो फोर्स में एक है एनएसजी, जो गृह मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। तीनों सेनाओं, पुलिस और पैरामिलिट्री के सबसे अच्छे जवानों को एनएसजी (National Security Guard) में कमांडो चुना जाता है। आतंकवादियों की ओर से आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर लड़ने के लिए इन्हें विशेष तौर पर तैयार किया जाता है। वीआईपी सुरक्षा, बम निरोधक और एंटी हाइजैकिंग के लिए इन्हें खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। फुर्ती और तेजी की वजह से एनएसजी के कमांडोज को ब्लैक कैट भी कहा जा है।
एनएसजी के कमांडो होते हैं बेहद खतरनाक
एनएसजी कमांडो का निशाना बेहद अचूक होता है। एनएसजी कमांडो की ट्रेनिंग आम फोर्स की ट्रेनिंग से काफी मुश्किल होती है। 90 दिनों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद ही एनएसजी के कमांडो तैयार होते हैं। एनएसजी को 16 अक्टूबर 1984 में बनाया गया था, जिससे देश में होने वाली आतंकी गतिविधियों से निपटा जा सके। एनएसजी, Germany की GSG 9 की तर्ज पर बनाई गई थी। 26/11 मुंबई हमले के दौरान एनएसजी के कमांडो ने जबरदस्त भूमिका अदी की थी।
2). मार्कोस कमांडो देते हैं स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम
इंडियन नेवी के पास भी एक कमांडो फोर्स है, जिन्हें मार्कोस कहा जाता है। जल, थल और हवा में लडने के लिए मार्कोस कमांडोज को खास ट्रेनिंग दी जाती है। अन्य कमांडो फोर्सेस की तुलना में ये काफी अलग होते हैं। समुद्री मिशन को अंजाम देने के लिए इन को कड़ी ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है। 20 वर्ष की उम्र वाले 10 हजार युवा सैनिकों में से किसी एक का चयन मार्कोस फोर्स में होता है।
जल, थल, हवा में लड़ने में माहिर हैं मार्कोस
ढाई से तीन साल तक मेरिकी और ब्रिटिश सील्स के साथ मार्कोस कमांडो को बेहद खतरनाक और कड़ी ट्रेनिंग पूरी करनी पड़ती है। 'डेथ क्रॉल' इनकी कठिन ट्रेनिंग का हिस्सा होता है, जिसमें जवान को जांघों तक कीचड़ भरी होती है और उसमें भागना होता है। इनकी ट्रेनिंग के दौरान कमांडोज के कंधों पर 25 किलोग्राम का बैग लादा जाता है। हाथ-पैर बंधे होने पर भी मार्कोस तैरने में माहिर होते हैं। इंडियन नेवी के मार्कोस के कमांडोज को खतरनाक और स्पेशल ऑपरेशन के लिए बुलाया जाता है। साल 1987 में भारतीय नौसेना की इस स्पेशल यूनिट का गठन किया गया था। समुद्री ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों और समुद्री लुटेरों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए इनका गठन किया गया।
3). पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा हैं 'एलीट पैरा कमांडो'
हवा में मार करने के लिए एलीट पैरा कमांडो ट्रेंड होते हैं। 30 से 35 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाने में इन जवानों को महारत हासिल होती है, जो पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा हैं। इसमें स्पेशल फोर्सेस की 7 बटालियंस शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग के दौरान इस कमांडो यूनिट का निर्माण हुआ था। इंडो-म्यांमार बार्डर पर सर्जिकल मिशन को इंडियन आर्मी के एलीट पैरा कमांडोज ने ही अंजाम दिया था। दुश्मनों को चकमा देने के लिए एलीट पैरा कमांडो, विशेष ड्रेस का इस्तेमाल करते हैं। इन वर्दियों का हल्का रंग रेगिस्तान में और गाढ़ा रंग हरियाली के बीच उन्हें छिपने में मदद करता है।
पैरा कमांडो की होती है सबसे मुश्किल ट्रेनिंग
इनके पास इजराइली टेओर असॉल्ट राइफल होती है, जो इन्हें पैरामिलिट्री फोर्स से अलग बनाती है। दुनिया की सबसे मुश्किल ट्रेनिंग्स में से एक पैरा कमांडो की ट्रेनिंग गिनी जाती है। जिसे काफी कम सैनिक ही पूरा कर पाते हैं। मानसिक, शारीरिक क्षमता और इच्छाशक्ति का ट्रेनिंग में जबरदस्त इम्तिहान होता है। पीठ पर 30 किलो सामान, हथियार और जरूरी साजो-सामान लाद कर ट्रेनिंग के दौरान दिनभर में 30 से 40 किमी की दौड़ लगवायी जाती है। दुश्मन खेमे में तबाही मचाने में पैरा कमांडो बेहद माहिर होते हैं।
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4). बिना हथियार के दुश्मन को मारने में माहिर 'एसपीजी कमांडो'
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के कमांडो प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते हैं। ये जवान बहुत ही ज्यादा चुस्त और समझदार होते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1988 में एसपीजी को बनाया गया था। पीएम की सुरक्षा में तैनात होने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप कमांडो को विशेष तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। इनके पास ऑटोमैटिक गन एफएनएफ-2000 असॉल्ट राइफल होती है।
एसपीजी कमांडो होते हैं चीते की तरह फूर्तीले
अपनी सेफ्टी के लिए एसपीजी कमांडो एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं और कान में ईयरप्लग या वॉकी टॉकी की मदद से वो साथी कमांडो बात करते हैं। एक हजार से ज्यादा एसपीजी कमांडो पीएम की सुरक्षा तैनात रहते हैं। भारतीय सेना और पुलिस बल से इन कमांडोज को चुना जाता है। जिसके बाद इन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। ये बेहद खतरनाक और चीते की तरह फूर्तीले और सतर्क रहते हैं।
5). कोबरा यानी कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन
वो कमांडोज, जिनकी चीते जैसी चाल, बाज जैसी नजर और जो कोबरा जैसा आक्रमण करने में माहिर हैं। कोबरा यानि कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन। कोबरा कमांडो सीआरपीएफ की स्पेशल टास्क फोर्स का हिस्सा हैं। जो घने जंगलों में रहकर नक्सलियों का सामना करते हैं। गुरिल्ला ट्रेनिंग द्वारा कोबरा के जवानों को तैयार किया जाता है। भेष बदलने से लेकर घात लगाकर हमला करने में कोबरा कमांडो को कोई मात नहीं दे सकता।
जंगलों में गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं कोबरा कमांडो
कोबरा कमांडो अपनी जांबाजी के लिए जाने जाते हैं, जो घने जंगलों में रहकर नक्सलियों से लोहा लेते हैं और खतरनाक ऑपरेशंस को अंजाम देते हैं। संसद भवन की सुरक्षा का जिम्मा भी कोबरा के पास रह चुका है। साल 2008 में इसका गठन गुरिल्ला और जंगल युद्ध के संचालन के लिए किया गया था। दुश्मनों से लड़ने की शैली, जो कोबरा कमांडोज के पास है वो विदेशी सेनाओं को भी खूब रात आती रही है। विश्व की बड़ी सेनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिका, रूस और इजराइल की फोर्स को भी कोबरा कमांडो फोर्सेस ने गोरिल्ला वार के गुर सिखाए हैं। कोबरा यूनिट के कमांडो हर साल विदेशी फोर्स को ट्रेनिंग देते रहे हैं।
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