Indus Water Treaty: क्या है सिंधु जल संधि जिसे निलंबित कर भारत ने दिया पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका

लगभग छह दशक पहले 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि (IWT) पर हस्ताक्षर किए, जिसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी। जानिए इस संधि के बारे में सबकुछ।

Indus water treaty

क्या है सिंधु जल संधि

Five Decisions Of CCS Meeting: पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कठोर फैसले लिए हैं। सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट की बैठक में भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला लिया, जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को ठोस और अपूरणीय रूप से नहीं छोड़ता। पाकिस्तान के लिए ये एक बड़ा झटका है। इससे पहले हुई कई आतंकी घटनाओं के बाद भी भारत ने ऐसा कठोर फैसला कभी नहीं लिया था। आइए जानते हैं क्या है सिंधु जल संधि जिसे पाकिस्तान के लिए बेहद अहम माना जाता है।

कब हुई थी सिंधु जल संधि?

लगभग छह दशक पहले 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि (IWT) पर हस्ताक्षर किए, जिसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी। भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के बाद नौ साल की बातचीत हुई और इसे विश्व बैंक ने सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय संधियों में से एक कहा था। 1960 में संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के समय अमेरिका के राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर थे और उन्होंने इसे एक बहुत ही निराशाजनक विश्व परिदृश्य में एक उज्ज्वल बात बताई थी।

पाक के लिए सिंधु नदी का पानी अहम

यह संधि दोनों देशों द्वारा सिंधु नदी के पानी के उपयोग से जुड़ी है। भारत के पास पूर्वी नदियों - ब्यास, सतलज और रावी का पूरा नियंत्रण है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का पानी हासिल करने की अनुमति है, जिसे मानना भारत के लिए जरूरी है। चिनाब, झेलम और सिंधु पश्चिमी नदियां जम्मू और कश्मीर से होकर बहती हैं और इन्हीं नदियों से पाकिस्तान को पानी मिलता है।

पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा

सिंधु जल को पाकिस्तान के लिए एक जीवन रेखा माना जाता है, जिसे दुनिया के सबसे अधिक पानी से जुड़े तनाव वाले देशों में गिना जाता है। 2018 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट ने पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे देशों की सूची में पाकिस्तान को तीसरे स्थान पर रखा था। इसके चलते परमाणु हथियार रखने वाले इन दो राष्ट्रों के बीच जलवायु संबंधी संघर्ष की आशंका बनी रहती है। भारत के जल शक्ति मंत्रालय ने एक दस्तावेज जारी कर कहा था कि देश घरेलू उपयोग के लिए पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग कर सकता है, जिसमें कृषि उपयोग और हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर का उत्पादन शामिल है। इसमें कहा गया कि भारत को संधि के अनुबंध ई में बताए गए विभिन्न उद्देश्यों के लिए पश्चिमी नदियों पर 3.6 मिलियन एकड़ फीट तक पानी के भंडारण की अनुमति है।

इन हालत में समझौते को तोड़ने का अधिकार

भारत वियना समझौते के लॉ ऑफ ट्रीटीज की धारा 62 का हवाला देते हुए यह कह कर पीछे हट सकता है कि पाकिस्तान चरमपंथी गुटों का उसके खिलाफ इस समझौते का इस्तेमाल कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का कहना है कि अगर मूलभूत स्थितियों में बदलाव हो तो किसी संधि को रद्द किया जा सकता है। भारत समय-समय पर पानी को नियंत्रित करने पर अपने भौगोलिक अधिकारों का हवाला देता आया है, लेकिन अभी तक इस तरह का सख्त कदम नहीं उठाया था। इस बार भारत ने सख्त कदम उठाकर पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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