शरद पवार, अजित पवार के मुलाकात की क्या है इनसाइड स्टोरी? समझें चाचा-भतीजे की पॉलिटिक्स
Maharashtra Chacha Bhatija: महाराष्ट्र की सियासत में कब क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगाना बिल्कुल वैसा है जैसे रेत में सुई ढूंढना। क्या आप जानते हैं कि अगस्त के महीने में चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच एक व्यवसायी के घर हुई बैठक की असल वजह क्या थी? पढ़ें इनसाइड स्टोरी।
शरद पवार और अजित पवार की लड़ाई की कहानी।
Sharad Pawar Vs Ajit Pawar: सियासत में चाचा-भतीजे की लड़ाई जगजाहिर है। चाहें वो उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो, महाराष्ट्र हो या फिर छत्तीसगढ़ हो। इन दिनों महाराष्ट्र के चाचा-भतीजे की जंग बेहद दिलचस्प मोड़ ले रही है। महाराष्ट्र की राजनीति में कब क्या होने वाला ये समझना, बिल्कुल रेत में सुई ढूढ पाने के जैसा है। शरद पवार और अजित पवार की लड़ाई किसी से नहीं छिपी है, इस बीच बुधवार को बड़ी दिलचस्प कहानी सामने आई। उद्योगपति के घर पर शरद-अजित की मुलाकात की इनसाइड स्टोरी खुद एनसीपी नेता ने साझा की है।
चाचा-भतीजे के बीच बंद कमरे में क्या खिचड़ी पकी थी?
इसी साल अगस्त महीने की बात है, जब ये खबर सामने आई थी कि पुणे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक उद्योगपति के आवास पर बंद कमरे में बैठक की। अब शरद पवार गुट के एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने ये दावा किया है कि इस गुपचुप मुलाकात में पार्टी में औपचारिक विभाजन रोकने की संभावना पर चर्चा की गई थी। बता दें, यह बैठक अजित पवार के महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद हुई थी।
बार-बार मुलाकात में क्या पक रही है सियासी खिचड़ी?
महाराष्ट्र की सियासत में भी चाचा-भतीजे की जंग काफी मशहूर है। शरद पवार को उनके ही भतीजे अजित पवार ने गच्चा दे दिया और उनकी पार्टी एनसीपी के दो हिस्से हो गए। जब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार को ऐसा झटका दिया तो हर कोई सन्न रह गया था। खुद एनसीपी सुप्रीमो को समझ नहीं आया था कि उनके साथ ये क्या हो गया। हालांकि चाचा से अलग होने के बाद भी अजित और शरद की मुलाकात होती रही। ये सवाल उठने लगे कि क्या अंदरखाने में कोई सियासी खिचड़ी पक रही है, जो भाजपा के लिए मुसीबत साबित हो जाएगी?
जयंत पाटिल ने बताया 'गुप्त' बैठक का एजेंडा
राकांपा (शरद पवार गुट) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि अजित पवार के भाजपा खेमे में जाने के बाद राकांपा में विभाजन को टालना 'गुप्त' बैठक का एकमात्र एजेंडा था। बैठक में राज्य के पूर्व मंत्री पाटिल भी मौजूद थे। पाटिल ने यहां एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से कहा, 'एक उद्योगपति के आवास पर बैठक केवल पार्टी में संभावित विभाजन रोकने के लिए थी। यही एकमात्र मुद्दा था जिस पर मेरे सामने चर्चा हुई थी।'
अजित के पाला बदलने के बाद तेज हुई थी अटकलें
पाटिल ने कहा, 'हम सभी पिछले 25 साल से पार्टी में हैं। मेरी कोशिश पार्टी में विभाजन रोकने की थी। पार्टी हम सभी की है। इसीलिए मैं दोनों पक्षों (राकांपा गुटों) के संपर्क में था, जिससे मेरे पाला बदलने की अटकलें तेज हो गईं।' राज्य के पूर्व मंत्री पाटिल ने कहा कि एक राजनीतिक दल नेताओं और आम नागरिकों के बीच एक सेतु का काम करता है। उन्होंने कहा, 'जब आप एक पार्टी बनाते हैं, तो आप अधिक से अधिक लोगों से जुड़ते हैं। शरद पवार के मार्गदर्शन में, राकांपा सक्षम लोगों की पार्टी बन गई है।' अजित पवार के पाला बदलने के बाद भी राकांपा (शरद पवार गुट) यह कहती रही है कि पार्टी में कोई विभाजन नहीं हुआ है।
क्यों चाचा शरद को भतीजे अजित ने दिया गच्चा?
अजित पवार को उनकी पार्टी एनसीपी में लगातार साइडलाइन किया जा रहा था, कहीं न कहीं अजित को ये डर और दर्द सता रहा था कि शरद पवार की बेटी और उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले का कद उनसे बड़ा होता जा रहा है। ऐसे में अजित पवार ने अपने चाचा से दूसरी बार बगावत कर ली और भाजपा के साथ सरकार में शामिल हो गए थे। उन्हें भाजपा ने सम्मान देते हुए उपमुख्यमंत्री पद दे दिया। कहा जाता है कि सुप्रिया सुले के चलते अजित अपने चाचा से नाराज थे। उन्होंने अपने चाचा के खिलाफ ऐसी सियासी चाल चली कि वो चारो खाने चित हो गए।
पहले तो भतीजे ने पहले अपने चाचा की पार्टी दो हिस्सों में तोड़ दी और खुद भाजपा के साथ मिलकर सरकार में शामिल हो गए, डिप्टी सीएम की कुर्सी पर विराजमान हो गए और अब वो बार-बार उसी चाचा से मुलाकात करने पहुंच जाते हैं, जिन्हें उन्होंने गच्चा दे दिया था। अब दोनों के बीच जब बार-बार मुलाकात होगी तो सियासी गलियारे में सवाल तो उठेंगे ही उठेंगे।
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