Bangladesh Coup: बांग्लादेश में कैसे हुआ विनाश का तांडव? सामने आया PAK कनेक्शन, पढ़ें तख्तापलट की इनसाइड स्टोरी
Bangladesh Coup: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के बाद स्थिति असामान्य हो गई। शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़ना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना भारत में हैं, लेकिन बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट के पीछे पाकिस्तान कनेक्शन सामने आ रहा है। दरअसल, हिंसा भड़काने के पीछे 'छात्र शिबिर' नामक संगठन का नाम आ रहा है, जो प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा हुआ है।
बांग्लादेश में तख्तापलट
- शेख हसीना ने PM पद से दिया इस्तीफा।
- शेख हसीना ने ब्रिटेन से मांगी राजनीतिक शरण।
- खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश।
Bangladesh Coup: बांग्लादेश के मौजूदा हालातों पर भारत पैनी निगाह बनाए हुए हैं। पड़ोसी देश में तख्तापलट का असर देखिए, लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई वहां की सरकार की मुखिया शेख हसीना को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा। सेना लगातार उन्हें धमकाती रही और तो और देश को आखिरी बार संबोधित तक नहीं करने दिया। भारत अब इस तख्तापलट को कम से कम हल्के में तो नहीं लेगा, इसलिए लगातार यहां अधिकारियों और राजनेताओं की हाई लेवल मीटिंग चल रही है।
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अब बांग्लादेश में इस तरह के हालात के लिए कौन सी विदेशी ताकतें जिम्मेदार हैं और भारत पर इसका क्या असर देखने को मिलेगा। इस पर बड़े स्तर पर विचार किया जा रहा है।
बांग्लादेश में क्यों पैदा हुए ऐसे हालात?
बांग्लादेश में हुए इस तख्तापलट पर भारत में भी दो पक्ष आमने-सामने हैं। ऐसे में बांग्लादेश के अभी जो हालात हैं, वह ऐसे क्यों हुए, इस पर ध्यान देने और हाल के वर्षों में हुए कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को जानना जरूरी है। बांग्लादेश पिछले दो दशक में विकास के रास्ते पर चल निकला था। वह 'विकास और हैप्पीनेस' दोनों ही पैमाने पर बेहतर कर रहा था। फिर, ये विनाश का तांडव वहां कैसे हुआ?
PAK की राह पर चला बांग्लादेश
जबकि पाकिस्तान के मुकाबले बांग्लादेश के हालात अभी बहुत बेहतर थे। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद जो स्थिति बनी, वह वैसी ही रेडिकलिज्म, अस्थिरता और अनिश्चितता से भरी है, जैसे 1975 में वहां के राष्ट्रपिता कहा जाने वाले मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद 1991 तक रहा था। अब बांग्लादेश एक बार फिर से पाकिस्तान की राह पर चल निकला है। पाकिस्तान में कई बरसों से जो हालात बने हुए हैं, वही हालात अब बांग्लादेश में उपजे हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों ने तोड़ी मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा
बांग्लादेश से इस हिंसक विरोध प्रदर्शन की जो तस्वीर सामने आई, उससे तो साफ पता चल रहा था कि यह शेख हसीना के निरंकुश शासन के खिलाफ एक आंदोलन तो नहीं था, क्योंकि यहां प्रदर्शनकारियों ने मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा तक तोड़ दी। शेख हसीना की पीएम हाउस में लगी तस्वीर को सेना के लोग उतारकर तोड़ रहे थे। सेना ने वहां सत्ता संभाली तो सबसे पहले बांग्लादेश की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया। शेख हसीना सत्ता में जब से आईं उसके बाद से लंबे समय से वहीं की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया नजरबंद थीं। वह दो बार इस देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं।
पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) का झुकाव हमेशा से इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरफ रहा है, जो हमेशा से पाकिस्तान की वकालत करते रहे हैं। खालिदा जिया के शासनकाल में यह देश आतंकवादियों की शरणस्थली बन गया था। ऐसे में अगर खालिदा जिया एक बार वहां फिर ताकतवर होती हैं तो बांग्लादेश का झुकाव पाकिस्तान और चीन की तरफ बढ़ेगा। भारत में जो पूर्वोत्तर के राज्य हैं, वहां सक्रिय आतंकवादी संगठनों को बांग्लादेश का प्रमुख आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन और बीएनपी, जो खालिदा जिया की पार्टी है, वह परोक्ष रूप से समर्थन देती है।
भारत के लिए चिंता की बात
भारत की गोद में बैठा बांग्लादेश जिसका 4,000 किलोमीटर बॉर्डर भारत से लगता है और उसके एक तरफ बंगाल की खाड़ी है, अगर वहां पाकिस्तान, चीन के साथ अन्य ताकतें मिलकर राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बना चुकी हैं तो फिर भारत के लिए यह चिंता का विषय तो जरूर है।
भारत में प्रतिबंधित आतंकी संगठन पीएफआई का सीधा संबंध बांग्लादेश के जमात-उल-मुजाहिदीन से रहा है। 2018 में बिहार के बोधगया में हुए ब्लास्ट में जमात-उल-मुजाहिदीन के आतंकी और बांग्लादेशी नागरिक जाहिदुन इस्लाम उर्फ कौसर को दोषी ठहराया गया था।
खालिदा जिया के राज में कैसे थे रिश्ते?
बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे। खालिदा को हमेशा भारत के मुकाबले चीन और पाकिस्तान ज्यादा भाया। खालिदा के समय में बांग्लादेश के रिश्ते भारत के साथ हमेशा खराब रहे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे कि 'आप मित्र तो बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं'। ऐसे में आपके पड़ोसी का व्यवहार आपको खुशियां भी दे सकता है और आपकी चिंता भी बढ़ा सकता है।
बांग्लादेशी हिंसा का ISI कनेक्शन
अब बांग्लादेश में जो हालात बने हैं, इसको लेकर जो बात सामने आ रही हैं, उसकी मानें तो यहां इस स्थिति को पैदा करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। यहां हिंसा भड़काने के पीछे 'छात्र शिबिर' नामक संगठन का नाम आ रहा है, जो प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा हुआ है। इस जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का समर्थन प्राप्त है। जमात-ए-इस्लामी, उसकी स्टूडेंट यूनियन और अन्य संगठनों पर शेख हसीना सरकार ने कुछ दिन पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था। 'छात्र शिबिर' नामक संगठन का काम बांग्लादेश में हिंसा भड़काना और छात्रों के विरोध को राजनीतिक आंदोलन में बदलना था।
ऐसे में इस आंदोलन से प्रदर्शनकारियों की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वह एक सोची-समझी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं। यही कुछ अफगानिस्तान और श्रीलंका में भी देखने को मिला था, जहां चीन और पाकिस्तान की ताकतें ऐसा कर रही थी।
तख्तापलट की इनसाइड स्टोरी
हालांकि, बांग्लादेश में पाकिस्तान की तरह ही सेना इस तख्तापलट की साजिश में शामिल थी और यह साजिश 6 महीने पहले ही रची गई थी। इस साजिश को लेकर लगातार दूसरे देशों से फंडिंग हो रही थी। जनवरी 2024 से ही इस साजिश के लिए धीरे-धीरे जमीन तैयार की गई। बांग्लादेश के बड़े सैन्य अधिकारी और जमात-ए-इस्लामी के लोगों के बीच इसको लेकर बैठकों का दौर चलता रहा। छात्रों का यहां आंदोलन शुरू हुआ और उसमें धीरे-धीरे आतंकी ताकतें शामिल होती गई।
ढाका यूनिवर्सिटी के तीन छात्र नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर ने बांग्लादेश में इतना बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया। अब वही तीनों यहां की अंतरिम सरकार की रूपरेखा तय कर रहे हैं।
ऐसे में यह भारत के लिए चिंता का विषय है कि जिस देश को पाकिस्तान के दो टुकड़े कर भारत ने बनाया, अगर वहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आतंकी संगठन और चीन की अन्य ताकतें मिलकर इस देश को चलाने लगेंगी तो भारत के लिए खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा। बांग्लादेश हमारी गोद में बसा हुआ है उसकी तीन तरफ की सीमाएं हमारे देश से लगती हैं, वहां से भारत में प्रवेश भी आसान है, ऐसे में भारत में यही ताकतें आकर भारत को भी अस्थिर करने की कोशिश कर सकती हैं।
(इनपुट :आईएएनएस)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों ...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited