सावधान...गर्मी मचाएगी तांडव, जिंदगी पर भारी पड़ेगा हीटवेव, इन खतरों का सामना कर सकता है देश
मार्च के आखिर के बाद से ही गर्मी का असर दिखने लगा है। कई शहरों में पारा 38℃ से ऊपर पहुंच चुका है और जल्द ही इसके 40℃ को पार करने की संभावना है।
भारत में प्रचंड गर्मी का अनुमान
Intense Heatwaves in This Summer: अप्रैल का महीना शुरू ही हुआ है और गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। यह बानगी है कि आने वाले वक्त में गर्मी अपना रौद्र रूप दिखा सकती है। मौसम विभाग ने भी इस बार प्रचंड गर्मी पड़ने का अनुमान जताकर इस पर मुहर लगा दी है। मौसम विभाग ने अगले तीन महीनों में भारत के अधिकांश हिस्सों में असामान्य रूप से तीव्र हीटवेव की भविष्यवाणी की है। इसका मतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अत्यधिक गर्मी का खतरा है। इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह जारी की गई है। कई शहरों में पारा मार्च महीने में ही 38℃ से ऊपर पहुंच चुका है और जल्द ही इसके 40℃ को पार करने की संभावना है।
बेहद गर्म तापमान का सामना करेगा देश
देश आने वाले महीनों में बेहद गर्म तापमान का सामना करने जा रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इसे लेकर पूर्वानुमान भी जारी कर दिया है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने नई दिल्ली में एक ब्रीफिंग में कहा कि 30 जून को समाप्त होने वाली तीन महीने की अवधि के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में 10 से 20 दिनों तक लू चलने की आशंका है, जबकि यह सामान्यतः चार से आठ दिन के लिए दिन होता है। उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।
अप्रैल-जून के बीच आम चुनाव
यह भविष्यवाणी ऐसे समय में आई है जब दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत अप्रैल-जून के बीच आम चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है। इस दौरान पारा अक्सर 45℃ (113F) को पार कर जाता है। ऐसे में लोगों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। हीट स्ट्रोक बुरी तरह जनजीवन को प्रभावित कर सकता है। यह दक्षिण एशियाई राष्ट्र में हर साल दर्जनों लोगों की जान लेता है। भीषण गर्मी राजनीतिक रैलियों, चुनाव प्रचार को भी प्रभावित कर सकती है।
जलवायु परिवर्तन की भारत पर मार
जलवायु परिवर्तन (Climate change) भारत को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है और देश में मौसम की मार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 1.4 अरब लोगों का देश भारत बाढ़, चक्रवात, सूखे और गर्मी की लहरों की बढ़ती घटनाओं का सामना कर रहा है। चिलचिलाती धूप से न केवल पीने के पानी की उपलब्धता कम हो जाएगी, बल्कि मिट्टी से नमी भी खत्म हो जाएगी, जो दलहन और तिलहन जैसी कुछ ग्रीष्मकालीन फसलों के लिए बड़ा खतरा है। वहीं, इससे देश में बिजली की कमी से बचने के लिए कोयले के अधिक उपयोग का खतरा बढ़ जाएगा जिससे पानी की कमी, फसलों को नुकसान पहुंचेगा। 194 अरब डॉलर के आईटी सेवा उद्योग वाला बेंगलुरु शहर पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है। इसने बता दिया है कि आने वाला वक्त भारत के लिए कितना मुश्किल भरा साबित हो सकता है।
गर्मी का दौर लंबा रहा तो अनगिनत मुश्किलें
हालांकि, सर्दियों में बोई जाने वाली गेहूं की फसलों पर खास असर नहीं पड़ने की संभावना है, क्योंकि पौधे पक गए हैं और कई राज्यों में कटाई शुरू हो गई है। लेकिन मौसम में बदलाव ऊर्जा कंपनियों पर बहुत दबाव डालेगा। इस दौरान बिजली की चरम मांग पैदा हो सकती है। इसके इस गर्मी में रिकॉर्ड 250 गीगावाट तक बढ़ने का अनुमान है। अगर गर्मी का दौर लंबा रहा तो मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। इसके मद्देनजर बिजली मंत्रालय ने संयंत्रों से स्थानीय आपूर्ति में किसी भी कमी की भरपाई के लिए कोयले का आयात जारी रखने को कहा है। बिजली मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार, जो बिजली उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई है, पिछले वर्ष में 38% बढ़ गया है और औसतन 18 दिनों तक चल सकता है। फिर भी इन्वेंट्री आवश्यक स्तर से नीचे हैं।
मौसम को लेकर क्या-क्या संभावनाएं?
- अप्रैल में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान औसत से अधिक रहने की संभावना है।
- मध्य और पूर्वी भारत, उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों और दक्षिणी प्रायद्वीप के कई इलाकों में अप्रैल-जून के मौसम के दौरान गर्मी के दिन सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है।
- इस महीने औसत बारिश सामान्य देखी गई है, लंबी अवधि के औसत का 88% से 112% बारिश होने का अनुमान है।
- साल की शुरुआत से ही अल नीनो मौसम पैटर्न की ताकत कमजोर होती जा रही है। अभी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम स्थितियां बनी हुई हैं।
- मॉडल से पता चलता है कि जून-सितंबर में बारिश के मौसम के दौरान ला नीना अपना असर दिखा सकता है।
चुनाव से पहले राज्यों को जारी की गई एडवाइजरी
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य-सचिव कमल किशोर ने मीडिया ब्रीफिंग में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि संगठन ने पहले ही सभी राज्यों और संबंधित हितधारकों को निर्देश देने की सलाह के साथ भारत के चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि हम हर दो सप्ताह में सलाह के अनुपालन की जांच के लिए राज्यों के साथ बैठकें कर रहे हैं। हम जल्द ही सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ एक और बैठक करेंगे। हमारे पास हीटवेव एक्शन प्लान के संदर्भ में 100 फीसदी कवरेज है। सभी 23 हीटवेव-संभावना वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने संशोधित एक्शन प्लान पेश किए हैं।
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