महाविकास अघाडी में सिरफुट्टवल शुरू, अब पछता रही है उद्धव की शिवसेना; अकेले लड़ते चुनाव तो...

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में पिछले छह महीने में ऐसा क्या खेला हुआ, जो सारा सियासी समीकरण बदल गया। जिस इंडिया गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में जीत का डंका बजाया था, विधानसभा चुनाव में उसका सारा दम निकल गया। इस बीच महाविकास अघाडी में दरार बढ़ने लगी है। शिवसेना के रुख से समझा जा सकता है कि वो अदावत के मूड में है।

क्या चुनावी नतीजों में मिली हार के बाद महाविकास अघाडी में पड़ गई दरार?

Internal War in MVA: क्या उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूटीबी) महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाडी (MVA) से अपना नाता तोड़ने वाली है? क्या उद्धव की शिवसेना महाराष्ट्र की सियासत में फिर से 'एकला चलो रे' की नीति को अपनाने वाली है? ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि चुनावी नतीजे आए हुए जुमा-जुमा चार दिन ही बीते हैं और शिवसेना (यूटीबी) ने अपनी अलग राह अपनाने के संकेत देने शुरू कर दिए हैं। आपको सारा समीकरण समझाते हैं।

क्या उद्धव ठाकरे को अब हो रहा है पछतावा?

वो कहावत है न 'तब पछताए होत क्या जब चिड़िया', इस वक्त ये पंक्तियां उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूटीबी) और उनके नेताओं पर बिल्कुल सटीक बैठ रही होगी। दरअसल, अब उद्धव खेमे के नेताओं को इस बात का पछतावा हो रहा है कि उनकी पार्टी ने महाराष्ट्र में अकेले अपने दम पर ही क्यों नहीं विधानसभा चुनाव लड़ा। खैर, अब तो उद्धव की शिवसेना के पास महाराष्ट्र में महज 20 विधायक हैं। इसका दर्द अब उनके नेताओं को सता रहा है। तभी तो आनंद दुबे इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि अगर उद्धव ठाकरे की अगुवाई में अकेले लड़ते तो बेहतर परिणाम आता।

उद्धव ठाकरे अकेले लड़ते तो बेहतर आता परिणाम

शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद चिंतन-मंथन का सिलसिला जारी है। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर कहां पर चूक हुई है? जहां कहीं भी चूक हुई है, उसे हम सुधारने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बातचीत में कहा, 'कुछ कार्यकर्ताओं का यह दावा है कि अगर हम अकेले लड़ते या उद्धव ठाकरे का नाम पहले ही मुख्यमंत्री पद के लिए आगे कर दिया जाता, तो आज हम निश्चित तौर पर चुनाव में बेहतर परिणाम प्राप्त कर पाते। मुझे लगता है कि यह कार्यकर्ता बिल्कुल ठीक कर रहे हैं। अगर ठाकरे का नाम पहले ही मुख्यमंत्री पद के लिए आगे कर दिया गया होता, तो आज हमें इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।'

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