Iran-Israel War: सुलग चुकी है चिंगारियां, जंगी तैयारियां जोरों पर
Iran-Israel War: ईरान और इजरायल के बीच जंग कभी भी छिड़ सकती है। दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि ईरान कब और कैसे इजरायल पर हमला बोलेगा।
ईरान लगातार हनियेह की मौत के लिए इज़रायल को दोषी करार दे रहा है
- इजरायल और ईरान के बीच चरम पर तनाव
- कभी भी शुरू हो सकती है जंग
- इजरायल भी जवाब देने की तैयारी में
Iran-Israel War: पश्चिम एशिया जंगी मुहाने पर पहुंच चुका है, इस बात की तस्दीक खुद पेंटागन के आला अफसरों ने की। भारत समेत कई मुल्कों ने अपने अपने नागरिकों के लिए एहतियाती एडवायजरी जारी कर दी। बेहद नाज़ुक हालातों के बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बीते रविवार (4 अगस्त 2024) अपने जंगी सिपहसालारों के साथ रायशुमारी की। अहम बात ये है कि इस्राइली एजेंसियों के पास पेंटागन से मिले इनपुट्स के अलावा कई पुख्ता सबूत है कि तेहरान की मिसाइलों का रूख़ इस्राइली सरजमीं की ओर है। माना ये जा रहा है कि इस मीटिंग का एजेंडा ये था कि ईरान की ओर से किसी तरह की कार्रवाई होने से पहले ही उसकी कमर तोड़ दी जाए।
किलेबंदी और रणनीति बनाने में लगा इस्राइल
बीते हफ़्ते बेरूत में हिज़्बुल्लाह के सैन्य प्रमुख फ़ुआद शुक्र और तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनियेह की हत्याओं के बाद IDF, सायरेट मेटकल, मोसाद और शिन बेट आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को लेकर हाई अलर्ट पर है। इन इस्राइली एजेंसियों के मुखियाओ समेत रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने हालातों के आकलन की रिपोर्ट इस मीटिंग में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सौंपी। माना ये भी जा रहा है कि इस्राइली ज़वाबी जंगी कार्रवाई के ब्लू प्रिंट पर भी इस दौरान चर्चा हुई। ईरान और लेबनान की ओर से दोतरफा जंगी मोर्चा खोला जा सकता है, इसके लिए मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया और शिन बेट प्रमुख रोनेन बार अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ पूरी तरह तैयार है। साथ ही सीमाई इलाकों में हो रही गतिविधियों और उसकी मॉनिटरिंग के लिए आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हर्ज़ी हलेवी सीधे रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और नेतन्याहू के सम्पर्क में बने हुए है।
ईरान कर सकता है सीधा हमला
ईरान लगातार हनियेह की मौत के लिए इज़रायल को दोषी करार दे रहा है, जिसके बाद ये माना जा रहा है कि तेहरान आने वाले दिनों या हफ़्तों में इज़रायल पर सीधा हमला कर सकता है। फिलहाल हिब्रू मीडिया से ये छनकर सामने आ रहा है कि तेल अवीव अभी आकलन कर रहा है कि ईरान और उसके सहयोगी किन कदमों के साथ आगे बढ़ सकते है? साथ ही उन पर क्या कड़ी कार्रवाई हो सकती है। इसलिए इस्राइल सभी पक्षों और विकल्पों पर गौर कर रहा है ताकि किसी भी तरह के हमले के लिए तैयार रहते हुए, उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
खुफिया इनपुट्स की बुनियाद पर तैयार होगी कार्रवाई की रूपरेखा
कयास ये भी लगाए जा रहे है कि बैठक के दौरान नेतन्याहू के सामने ये विकल्प रखा गया कि ईरान की ओर से हमले का इंतज़ार करने के बजाए उसके खिलाफ पहले ही मोर्चा खोल दिया जाए, लेकिन पशोपेश ये बरकरार है कि ऐसा कदम तभी उठाया जा सकता है जब ये पुख्ता हो जाए कि ईरान हमला करने वाला है। इस बात की पुष्टि करने के लिए इस्राइली सर्विलांस, हैकर्स और खुफिया एजेंसियों को काम पर लगा दिया गया है। दिलचस्प ये है कि पेंटागन से मिले खुफिया इनपुट्स को वेरिफाई करने के लिए तेल अवीव को अपनी खुद की खुफिया जानकारियां इकट्ठी करने होगी, अगर दोनों मेल खा गयी तो आगे बढ़कर हमला करने की रूपरेखा तैयार करने में खासा आसानी होगी।
तेल अवीव को मिलेगी व्हाइट हाउस से जंगी मदद
फिलहाल वाशिंगटन की तरह ही तेल अवीव भी अनिश्चित है कि ईरान किस तरह का हमला कर सकता है? तेहरान ने भावावेश में हमला करने की बात तो कर दी, लेकिन ईरानी हुक्मरान अभी भी अपने आखिरी फैसले तक पहुंच पाए है। मौजूदा हालातों में ईरान तुर्किये और लेबनान समेत हिजबुल्लाह, हमास, हूती के साथ आला दर्जे का कोर्डिनेशन बनाए हुए है। ईरान के तर्ज पर ही उसके प्रॉक्सी के तेवर भी काफी तल्ख मिजाज़ वाले हो रखे है। इन सबके बावजूद इस्राइल के सिर पर अमेरिका का हाथ है, जिसके चलते व्हाइट हाउस ने इस्राइल की मदद के लिए नौसेना क्रूजर और डिस्ट्रायर की तैनाती को हरी झंडी दे दी। तेल अवीव को लैंड बेस्ड बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम की मदद देने के लिए यूएसएस अब्राहम लिंकन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप जल्द ही पश्चिम एशिया में दखल देने वाला है। इस तरह की जंगी मदद इस्राइल को 13 अप्रैल के ईरानी मिसाइल हमलों में नहीं मिली थी, हालांकि उस दौरान इस्राइल ने 99 फीसदी हमलों को नाकाम कर दिया था।
दोनों तरफ हो रहा है, संभावित हमले का आकलन
ईरान की धरती से अप्रैल महीने में हुए हमलों की कई बातों का आकलन इस्राइली एजेंसियां नहीं लगा पाई थी, जिसमें ये भी शामिल था कि तेहरान कितने बड़े हमले को अंजाम दे सकता है। इस बार की तस्वीर थोड़ी अलग है, इजरायल को पता है कि इसके लिए बड़े पैमाने पर मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। हमले की यही पैटर्न ईरानी प्रॉक्सी भी इस्तेमाल कर सकते है। अगर इसके अलावा ईरान किसी दूसरे तरीके से हमला करेगा तो ये इस्राइल के लिए सरप्राइज पैकेज होगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हमला बड़ा भी हुआ तो भी नेतन्याहू सरकार इसका सामना करने में सक्षम होगी, जिसके लिए वो अपने गठबंधन सहयोगियों से मदद लेने में जरा सा भी नहीं हिचकिचायेगी।
सुलह और मध्यस्थता की कोशिशें हुई तेज
जंग के साथ साथ शांति बहाली की कोशिशें भी जोरों पर है। कई उदारवादी अमन पसंद पश्चिमी ताकतें पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान को शांत करने के साथ क्षेत्रीय युद्ध शुरू होने की संभावना को टालने के लिए दबाव बनाना जारी रखे हुए हैं। इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम जॉर्डन का है, जिनके विदेश मंत्री अयमान सफादी ने बीते रविवार (4 अगस्त 2024) को ईरान का दौरा किया, साथ ही उन्होनें बिना किसी तनाव के शांति, सुरक्षा और स्थिरता कायम करने की गुजारिश की। तेहरान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सफादी ने कहा कि उभर रहे जंगी तनाव को कम करने के साथ दोनों देशों के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए जार्डन के ईमानदार और पारदर्शी प्रयास जारी रहेगें। बता दे कि जार्डन हमेशा से ही संप्रभु फिलिस्तीन और फिलिस्तीनी लोगों के हको हुकूक के लिए पैरोकारी करता आया है। गाहे बगाहे वो फिलिस्तीनी इलाकों में इजरायली कब्ज़े की आलोचना भी करता रहा है।
हिजबुल्ला ने खोला मोर्चा
इन सबके बीच हिजबुल्लाह ने आज (5 अगस्त 2024) उत्तरी इजराइल को निशाना बनाते हुए ऐलेट शहर में ड्रोन हमला किया। हमले की वजह से इलाके में आग फैल गयी, जिसमें दो इजराइली सैनिक बुरी तरह जख्मी हो गए। इस हमले का जवाब देते हुए इस्राइल ने लेबनान के मीसा अल-जबल गांव को निशाना बनाया, जिसमें इस्लामिक रिसाला स्काउट एसोसिएशन पैरामेडिक का मेंबर मोहम्मद फावजी हमादी मौके पर ही मारा गया।
यूएन के लिए भी परीक्षा की घड़ी
पश्चिम एशिया के हालात बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे है, ऐसे में यूएन को सीधा दखल देते हुए हालातों को संभालना चाहिए। अगर वो ऐसा करने में कामयाब ना हुआ तो उसके वजूद पर भारी सवालिया निशान लगेगा। इससे पहले यूक्रेन और रूस जंग में यूएन की साख पर बट्टा लग चुका है। ईरान और इस्राइल के बीच पसरे इस संघर्ष में भले ही जीत किसी की भी हो लेकिन आखिर हार इंसानियत की ही होगी।
इस लेख के लेखक राम अजोर जो स्वतंत्र पत्रकार एवं समसमायिक मामलों के विश्लेषक हैं।
Disclaimer: ये लेखक के निजी विचार हैं, टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।
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