शिंदे गुट का विकल्प बनेंगे अजित पवार? 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेंगे स्पीकर
Maharashtra Crisis : शरद पवार के बाद एनसीपी अजित दूसरे नंबर की हैसियत रखते थे। पार्टी संगठन और जमीनी राजनीति में उनकी पकड़ अच्छी-खासी है। एनसीपी कार्यकर्ताओं से लेकर प्रदेश भर में उनका प्रभाव माना जाता है। महाराष्ट्र में एनसीपी को आगे बढ़ाने एवं उसे मजबूत करने में अजित की भी बड़ी भूमिका रही है।
अजित पवार ने एनसीपी पर भी दावा किया है।
Maharashtra Crisis : महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की फूट ने विपक्षी एकता को बहुत बड़ा झटका दिया है। टूट एक ऐसी पार्टी में हुई है जिसके मुखिया शरद पवार को राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी माना जाता है। इससे विपक्षी पार्टियां सकते में हैं। एनसीपी की बगावत के बाद वे अपना घर दुरुस्त करने में लगी हैं। यह झटका इतना बड़ा है कि विपक्ष को अपनी बैठक आगे खिसकाने पड़ी है। महाराष्ट्र में अजित पवार की इस बगावत के कई सियासी मायने हैं। कहा जा रहा है कि अजित को भाजपा और भगवा पार्टी को उन्हें जरूरत थी।
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NCP से इसलिए अलग हुए अजित पवार
जाहिर है कि शरद पवार के बाद एनसीपी अजित दूसरे नंबर की हैसियत रखते थे। पार्टी संगठन और जमीनी राजनीति में उनकी पकड़ अच्छी-खासी है। एनसीपी कार्यकर्ताओं से लेकर प्रदेश भर में उनका प्रभाव माना जाता है। महाराष्ट्र में एनसीपी को आगे बढ़ाने एवं उसे मजबूत करने में अजित की भी बड़ी भूमिका रही है। उनके मन में यह महात्वाकांक्षा रही होगी कि चाचा शरद के बाद एनसीपी की कमान उनके हाथ में आएगी लेकिन बीते कुछ समय से शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को जिस तरह से दिन-प्रतिदिन मजबूत कर रहे थे, उसकी वजह से अजित के मन में शंका होना स्वाभाविक है। एनसीपी में फिर से नंबर दो बनकर रहना उन्हें नागवार गुजरा होगा।
दूसरा कारण जांच के दायरे से बचना
अजित पवार पर सिंचाई और सहकारी बैंक घोटाला के आरोप हैं। इन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय उनसे पूछताछ भी कर चुका है। अजित के अलावा प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और हसन मुश्रीफ भी घोटाले के आरोप का सामना कर रहे हैं। ये सभी नेता शिंदे-फड़णवीस सरकार में मंत्री बने हैं। विपक्ष का दावा है कि जांच से बचने के लिए इन नेताओं ने पाला बदला है। ईडी ने साल 2021 में स्पार्कलिंग सॉइल प्रा.लि. के खिलाफ एक आरोप पत्र दायर कर किया था। हालांकि चार्जशीट में अजित और उनकी पत्नी का नाम शामिल नहीं है। अजित के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से दिए गए लोन में अनियमितता बरतने के आरोप हैं।
शिंदे गुट के 16 विधायकों पर लटकी है अयोग्यता की तलवार
पिछले साल जून के महीने में एकनाथ शिंदे शिवसेना गुट के करीब 40 विधायकों एवं 10 निर्दलीय एमएलए के साथ अलग हो गए। भाजपा के समर्थन से वह सीएम बन गए। इस बगावत के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट गई। शिंदे गुट के 16 विधायकों पर अयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विधानसभा के स्पीकर को फैसला करने के लिए कहा है। स्पीकर को एससी के निर्देशों के मुताबिक फैसला करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्पीकर यदि 16 विधायकों को अयोग्य करार दे देते हैं तो शिंदे-फड़णवीस सरकार अस्थिर हो सकती है। ऐसे में भाजपा ने प्लान बी तैयार किया है। शिंदे गुट के 16 विधायकों के अयोग्य होने पर उसकी भरपाई अजित पवार गुट से हो सकेगी।
लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव पर नजर
भाजपा कर्नाटक, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कमजोर हुई है। इसकी भरपाई वह अन्य राज्यों से करना चाहती है। महाराष्ट्र लोकसभा की सीटों के लिहाज से अहम है। राज्य में लोकसभा की 48 सीटें हैं। अजित पवार को अपने पाले में लाकर भाजपा अपनी चुनावी तैयारी मजबूत करना चाहती है। अजित पवार जमीनी नेता हैं। उनके गुट में प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, सुनील तटकरे जैसे कद्दावर नेता हैं। इनका अपना क्षेत्र में दबदबा एवं रसूख है। भाजपा को लगता है कि लोकसभा एवं विधानसभा दोनों चुनाव में अजित खेमे का लाभ उसे मिल सकता है। दूसरी ओर शिंदे की जमीनी पकड़ राज्य में अभी कमजोर है। वह भाजपा के लिए उतने मुफीद साबित नहीं हो सकते जितने कि अजित पवार।
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