जिनका मकसद था मोदी को हराना, वो सीटों के मुद्दे पर ही टूट गए, मिशन 2024 से पहले INDIA Alliance बिखरा!
INDIA Alliance: आज से करीब 2 महीने पहले नीतीश कुमार की पहल पर कई पार्टियां एकजुट हुईं थीं। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लिहाजा जिम्मेदारी भी उसकी ज्यादा थी। विपक्षी पार्टियों के इस जुटान को INDIA Alliance यानि कि इंडिया गठबंधन कहा गया।
चुनाव से पहले ही बिखरा इंडिया गठबंधन
INDIA Alliance: जिस इंडिया गठबंधन का मकसद मोदी को 2024 में हराना था, वो खुद चुनाव से पहले बिखरते दिख रहे हैं। इंडिया गठबंधन को खड़ा करने वाले नीतीश कुमार खुद बीजेपी के साथ जा चुके हैं। ममता बनर्जी और केजरीवाल अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। जयंत चौधरी कभी भी बीजेपी के साथ जाने की घोषणा कर सकते हैं। मतलब विपक्ष का बिखराव देखकर ऐसा लग रहा है मानों चुनाव से पहले ही इन्होंने हार मान ली हो।
2024 के लिए बीजेपी का लक्ष्य
देश में लोकसभा चुनाव 2024 को होने में कुछ महीने बचे हैं। लगभग सारी पार्टियां इसकी तैयारी में लगी है। एनडीए की ओर से पीएम मोदी ने 400 सीटों का टारगेट रखा है। कुछ दिनों पहले तक ये आंकड़ा बीजेपी के लिए थोड़ा मुश्किल लग रहा था, लेकिन हाल के दिनों में भाजपा नेतृत्व ने जैसा चक्रव्यूह रचा है, उससे ये टारगेट आसान दिख रहा है। विपक्ष चुनाव से पहले ही बिखर गया है।
इंडिया गठबंधन पस्त
आज से करीब 2 महीने पहले नीतीश कुमार की पहल पर कई पार्टियां एकजुट हुईं थीं। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लिहाजा जिम्मेदारी भी उसकी ज्यादा थी। विपक्षी पार्टियों के इस जुटान को INDIA Alliance यानि कि इंडिया गठबंधन कहा गया। 28 दलों ने साथ रहने की बात कही। मीटिंग भी हुई। लेकिन सीट शेयरिंग के मामले पर यह गठबंधन टूटते गया। बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी, बिहार की सत्ताधारी जदयू, पंजाब-दिल्ली में सत्ताधारी- आप इस गठबंधन से या तो अलग हो चुके हैं, या अकेले लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।
कहां टूटी विपक्षी एकता
दरअसल विपक्षी एकता को इस बार जिसने एक्टिव तरीके से जोड़ा वो नीतीश कुमार थे। कांग्रेस कोशिश कर रही थी, लेकिन ममता से लेकर केजरीवाल तक से उसके संबंध ज्यादा सही नहीं थे, यहां नीतीश बाजी मार गए। ममता बनर्जी से लेकर केजरीवाल तक को मनाया और इंडिया गठबंधन के तले लेकर आ गए। नीतीश का वर्षों का सपना है पीएम बनने का। उनकी पार्टी जदयू इसके लिए खुलकर बैटिंग कर रही थी। अब हुआ यूं कि जब मीटिंग हुई तो ममता और केजरीवाल खेल कर गए और खड़गे का नाम संयोजक पद के लिए आगे बढ़ा दिया। नीतीश खफा हो गए, हालांकि खरगे खुद पीछे हो गए। अगली मीटिंग में नीतीश का नाम राहुल गांधी ने सामने रखा, लेकिन तब नीतीश पीछे हो गए। शायद तबतक नीतीश बीजेपी के साथ डील में जा चुके थे। ममता बनर्जी की भी दबी इच्छा है पीएम बनने की। वो कांग्रेस को बंगाल में सिर्फ 2 सीट दे रही थी, ये कांग्रेस को मंजूर नहीं हुआ। ममता अकेले लड़ने का ऐलान कर बैठी। इधर केजरीवाल भी ममता के रास्ते पर चल पड़े, आप का तो वोटबैंक ही कांग्रेस वाला है। लिहाजा आप ने कहा कि वो गठबंधन में है, लेकिन अकेले चुनाव लड़ेगी। अब यूपी में इंडिया गठबंधन के बीच ठीक था। सपा, कांग्रेस और रालोद, लेकिन अब रालोद भी बीजेपी के साथ डील में है।
कांग्रेस का पुराना गठबंधन ही लड़ पाएगा चुनाव?
जिस तरह से इंडिया गठबंधन से पार्टियां अलग हो रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस अपने पुराने साथियों के साथ ही मैदान में रह जाएगी। बिहार में राजद, यूपी में सपा, तमिलनाडु में द्रमुक ही प्रमुख सहयोगी कांग्रेस के साथ चुनाव में रह पाएगी। चुनाव आते-आते एक दो और दल इंडिया गठबंधन से दूर जा सकते हैं।
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