क्या महिला होने की कीमत चुका रहीं कमला हैरिस? नस्ली हमलों में सामने आई अमेरिकी समाज की कुत्सित मानसिकता

US Presidential Election 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव नवंबर में होना है और इस चुनाव में अभी करीब 100 दिन का समय बचा है। तो क्या यह समझा जाए कि कमला हैरिस के खिलाफ दुष्प्रचार और उन पर नस्लीय हमले और तेज होंगे। क्या उन्हें महिला और ब्राउन होने की कीमत चुकानी पड़ेगी? सबका एक अतीत होता है।

US donald trump

राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट पार्टी की उम्मीदवार है कमला हैरिस।

मुख्य बातें
  • अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट पार्टी का उम्मीदवार बन गई हैं कमला हैरिस
  • चुनाव में उनके खिलाफ नस्लीय टिप्पणियां हो रही हैं, उन्हें काफी ट्रोल किया जा रहा है
  • रिपब्लिकन समर्थक उनके अतीत की बातें और रिश्ते सामने लाकर हमला कर रहे हैं

Democrat Party Presidential Candidate Kamala Harris : भारतवंशी कमला हैरिस अब आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल हो गई हैं। डेमोक्रेट पार्टी से उन्होंने उम्मीदवारी का पर्चा भर दिया है। उनका नामांकन दाखिल होने के साथ ही चुनावी गहमी-गहमी और तेज हो गई है। इसे चुनावी गहमा-गहमी कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट पार्टी के बीच जिस तरह का आरोप-प्रत्यारोप, जुबानी जंग देखने को मिल रही है और जिस तरह से निजी हमले हो रहे हैं, वे मर्यादा और नैतिकता की सीमा को लांघ गए हैं।

चुनाव में कमला पर हो रहीं नस्लीय टिप्पणी

खासतौर से कमला हैरिस के बारे में रिपब्लिकन समर्थक जो उलटी-सीधी बातें और नस्ली हमले कर रहे हैं, वह एक अलग स्तर पर पहुंच गया है। कमला हैरिस के अतीत के किस्से-कहानियां ढूंढ-ढूंढकर सामने लाई जा रही हैं। उनके बारे में 'सेक्सी' टिप्पणियां हो रही हैं, उनके रंग को लेकर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। कहने का मतलब है कि रिपब्लिकन पार्टी की ट्रोल आर्मी बुरी तरह से उनके पीछे पड़ गई है। सोशल मीडिया में रोज उनके बारे में अनाप-शनाप और बेसिर-पैर कहानियां लाई जा रही हैं और निजी हमले हो रहे हैं। उन्हें नीचा दिखाने और राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य ठहराने की कोशिश हो रही है।

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राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए नाम आते ही शुरू हुए हमले

ध्यान देने वाली बात यह है कि कमला ट्रोल आर्मी का निशाना बनना कब शुरू हुई हैं। उनके उप राष्ट्रपति रहने तक तो मामला सब कुछ ठीक था लेकिन जैसे ही उनका नाम राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए सामने आया या जबसे उनके नाम की चर्चा तेज हुई। वह निशाने पर आ गईं। सवाल अमेरिकी सोसायटी पर भी है। अमेरिका जो खुद को डेमोक्रेसी का सबसे बड़ा चैंपियन बनता है, मानवाधिकारों और समानता की बड़ी-बड़ी बातें करता है, वहां पर अगर किसी को केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा है कि वह महिला है तो इससे बड़ी विडंबना क्या होगी?

विली ब्राउन के साथ तस्वीर वायरल की

कमला का विरोध करने वाले उनके एक्स लवर और सेन फ्रांसिस्को के पूर्व मेयर विली ब्राउन को खींच लाए। उनके साथ कमला की तस्वीर वायरल की। इस रिश्ते को गलत तरीके से पेश करते हुए तरह-तरह के मीम बनाए। यह सच है कि 1990 के दशक में कमला ने विली को डेट किया था। उस समय कमला की उम्र 29 साल और विली 60 साल के थे। लेकिन इस रिश्ते में किसी को क्यों आपत्ति होनी चाहिए। डेट करना अमेरिकी समाज का अभिन्न हिस्सा है और उसे वहां सामाजिक स्वीकृति भी है।

कमला के समर्थन में आईं कंगना रनौत बात इतनी भर नहीं है कमला को जेजेबल तक कहा जा रहा है। यह शब्द बाइबिल में उसी तरह है जैसे अपने यहां कामुक और प्रेम जाल में फंसाने वाली औरतों के लिए होता है। हैरिस को लेकर हो रहे बवाल पर भारतीय एक्टर और सांसद कंगना रनौत भड़क गई हैं। कंगना ने एक स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा, 'चूंकि बाइडेन ने हैरिस को राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन दिया है। मैं डेमोक्रेट्स का समर्थन नहीं करती, लेकिन यह मजेदार है कि अमेरिका में भी एक बुजुर्ग महिला राजनीतिज्ञ जो कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल रह चुकी हैं, उसे इस हद तक लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।' अमेरिकी खुद को सबसे बड़ा आधुनिक होने का दावा करते हैं, अमेरिका को फिर से महान बनाने की बातें करते हैं लेकिन बात जब महिलाओं और अश्वेतों की आती है तो इनकी सारी आधुनिकता हवा हो जाती है। इनका ढकोसला और असलियत सामने आ जाता है।

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तो फिर ट्रंप का क्या होगा?

अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव नवंबर में होना है और इस चुनाव में अभी करीब 100 दिन का समय बचा है। तो क्या यह समझा जाए कि कमला हैरिस के खिलाफ दुष्प्रचार और उन पर नस्लीय हमले और तेज होंगे। क्या उन्हें महिला और ब्राउन होने की कीमत चुकानी पड़ेगी? सबका एक अतीत होता है। हमारे आपकी तरह कमला का भी एक पास्ट है। सार्वजनिक जीवन में आने से पहले लोगों का व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन अलग तरीके का होता है, पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का जीवन भी अलग तरह का और विवादित रहा है। नैतिकता और सामाजिक मूल्यों की कसौटी पर यदि ट्रंप को कसा जाए तो वह कहां खड़े होंगे, यह बताने की जरूरत नहीं है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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