क्या कश्मीर की वजह से PoK होना चाह रहा पाकिस्तान से अलग, 10 प्वाइंट में समझिए बगावत की पूरी कहानी

PoK Wants To Join India: पीओके में भड़की ये आग कोई एक दिन की नहीं है। सालों से जो जुल्म पीओके के लोगों पर हो रहा है, पाक सरकार जो सौतेला व्यवहार उनके साथ कर रही है, वो तो गुस्से का कारण है ही। एक और बड़ा कारण है वो है हमारा कश्मीर।

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भारत में क्यों शामिल होना चाहता है पीओके

PoK Wants To Join India: पीओके यानि कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में इस समय जमकर बगावत चल रही है। पुलिस वाले दौड़ा-दौड़ा कर पीटे जा रहे हैं, पुलिस खुलेआम फायरिंग कर रही है, हड़ताल पर हड़ताल हो रहे हैं, लोगों की मौतें हो रही हैं। एक रियासत दो कानून नहीं चलेगा के नारों से पीओके गूंज रहा है। आज पीओके के लोग भारत के साथ मिलने के लिए कई मौकों पर बेकरार दिख चुके हैं।

सालों से पीओके के लोग सह रह हैं जुल्म

पीओके में भड़की ये आग कोई एक दिन की नहीं है। सालों से जो जुल्म पीओके के लोगों पर हो रहा है, पाक सरकार जो सौतेला व्यवहार उनके साथ कर रही है, वो तो गुस्से का कारण है ही। एक और बड़ा कारण है वो है हमारा कश्मीर। भारत के हिस्से वाले कश्मीर में तरक्की की रोज नई कहानियां लिखी जा रही है, जबकि जिस कश्मीर पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है वो लोग महंगाई, भुखमरी और टैक्स से त्रस्त हैं। कहा जा रहा है कि यह बगावत यहीं नहीं रुकने वाली है, पीओके, पाकिस्तान से अलग होने का मन बना चुका है। 10 प्वाइंट में समझिए पीओके के बगावत की पूरी कहानी...

1. जब भारत का बंटवारा अंग्रेजों ने किया और पाकिस्तान का जन्म हुआ, लगभग तभी से ये कहानी चल रही है। भारत जब आजाद हुआ तब कश्मीर के राजा हरि सिंह इसे आजाद ही रखने के पक्ष में थे। मतलब न भारत के साथ न पाकिस्तान के साथ। इसी बीच पाकिस्तान के सपोर्ट से कबायलियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया। तब हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और भारत ने हरि सिंह सामने विलय वाली शर्त रख दी। हरि सिंह जब तक इसे मानते और भारतीय सेना जबतक मदद करती, तबतक कबायलियों ने इसके एक हिस्से पर कब्जा कर लिया।

2. उस समय के हालात काफी अलग थे, भारत और पाकिस्तान दोनों के सेना प्रमुख अंग्रेज थे। तब माउंटबेटन की सलाह पर जवाहर लाल नेहरू इस मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र चले गए। प्रस्ताव आया कि सीजफायर हो, भारत के कब्जे वाला कश्मीर भारत के पास होगा और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर उसके पास। प्रस्ताव में जनमत संग्रह की बात थी, लेकिन तब जब पाकिस्तानी कबायली वहां से चले जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के बाद भी पाकिस्तान ने अपनी सेना नहीं हटाई, जिसके कारण जनमत संग्रह नहीं हुआ। स्थिति जस की तस बनी रही।

3. पाकिस्तान ने कश्मीर के 78 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक के हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है। जिसमें से पाकिस्तान ने अवैध तरीके से 5 हजार वर्ग किमी से ज्यादा का हिस्सा चीन को दे दिया। इसके खिलाफ भी पीओके में स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी है।

4. पाकिस्तान ने कब्जे के बाद पीओके को मुख्य रूप से दो भाग में बांट दिया। पहला वो जिसे पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है, हालांकि यहां आजादी नाम की कोई चिड़िया नहीं है। दूसरा- गिलगित-बल्टिस्तान।

5. कहने को तो पीओके में अपना सुप्रीम कोर्ट है, हाईकोर्ट है, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हैं, लेकिन सब पाकिस्तान सरकार की कठपुतली हैं।

6. हाल के दिनों में जब इंटरनेट का दौर आया, तब पीओके के लोगों को उनकी गलती का और ज्यादा अहसास हुआ। दरअसल जब वो कश्मीर की तरक्की देखने लगे तो उन्हें पाकिस्तान के साथ होने का अफसोस होने लगा। पीओके के एक्टिवस्ट, पाक सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने लगे।

7. आज कश्मीर में जहां तरक्की की नई कहानियां लिखीं जा रही हैं। नए रेलवे ट्रैक और आधुनिक ट्रेनें चलाईं जा रही हैं, विश्व का सबसे ऊंचा पुल बन चुका है। वहीं पीओके भरपेट खाने के लिए तरस रहा है।

8. कश्मीर में जहां विदेशी निवेश आ रहे हैं, नए इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है, वहीं पीओके के लोग वही पुरानी जिंदगी जी रहे हैं। वही टूटी-फूटी सड़के और जर्जर सरकारी इमारतों में काम चल रहा है।

9. आज पीओके में बिजली इतनी महंगी हो चुकी है कि 5000 रुपये के बिल पर 5000 का टैक्स लिया जा रहा है, दूध 200 रुपये लीटर और आटा 70-100 रुपये किलो मिल रहा है।

10. पाकिस्तान यहां पर आतंकी कैंप चलता है, कसाब को यहीं पर ट्रेनिंग दी गई थी, कभी अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाने वाला इलाका आज आतंकियों के लिए भी मशहूर है। पीओके के स्थानीय लोगों को यह पहचान बिलकुल भी बर्दास्त होती नहीं दिख रही है। इसलिए वो सरकार के खिलाफ वर्षों से मोर्चा खोले हुए हैं। पीओके के एक्टिविस्ट आज भारत के साथ आने की वकालत भी करते दिख चुके हैं। खासकर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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