ईरान-इजरायल भिड़े तो जंग की आंच से अछूता नहीं रहेगा भारत, ऐसे बढ़ जाएगा आपकी जेब पर बोझ
Iran-Israel tension: इजरायल यदि ईरान पर हमला करता है तो इससे जंग भड़क सकती है। युद्ध का दायरा बढ़ने पर कई देश इसमें शामिल हो सकते हैं। ऐसा होने पर युद्ध की आंच भारत तक पहुंचेगी और मध्य पूर्व में उसके हितों को नुकसान पहुंचेगा।
ईरान पर पलटवार कर सकता है ईरान।
- ईरान के हमले के बाद इजरायल ने काफी कड़े तेवर दिखाए हैं, पलटवार कर सकता है
- अमेरिका के कहने के बावजूद इजरायल हमला करने के अपने रुख पर कायम है
- ईरान और इजरायल के बीच अगर युद्ध हुआ तो इसका असर पूरी दुनिया पर होगा
Iran-Israel tension: इजरायल पर ईरान की की तरफ से हमला किए जाने के बाद मध्य पूर्व में नए सिरे से तनाव फैल गया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और विपक्षी नेता बेनी गेंट्ज के बयान पर अगर यकीं करें तो जाहिर है कि यरूशलम देर-सबेर तेहरान पर पलटवार करेगा। गेट्ज ने कहा है कि इजयराइल ने कहा है कि वह अपने तरीके और अपने हिसाब से चुने गए समय पर पर ईरान को जवाब देगा। यह तब है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नेतन्याहू को ईरान पर हमला न करने के लिए कहा है।
भारत के हितों को पहुंचेगा नुकसान
जानकारों का मानना है कि इजरायल यदि ईरान पर हमला करता है तो इससे जंग भड़क सकती है। युद्ध का दायरा बढ़ने पर कई देश इसमें शामिल हो सकते हैं। ऐसा होने पर युद्ध की आंच भारत तक पहुंचेगी और मध्य पूर्व में उसके हितों को नुकसान पहुंचेगा। भारत के संबंध ईरान और इजरायल दोनों के साथ हैं। खासकर इजरायल के साथ राजनयिक, कूटनीतिक, कारोबार सहित आपसी रिश्ते नई ऊंचाई तक पहुंचे हैं। इजरायल और भारत की दोस्ती काफी प्रगाढ़ हो चुकी है। युद्ध की स्थिति में दोनों देशों के साथ रिश्तों में संतुलन लाना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
भारत के कारोबार पर असर
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध होने पर भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। इन दोनों देशों के साथ भारत के अच्छे कारोबारी रिश्ते हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत और ईरान के बीच 2.33 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। जबकि 2023-24 (अप्रैल से अक्टूबर) के बीच भारत और इजरायल के बीच 4.42 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, इसमें रक्षा क्षेत्र की डील शामिल नहीं है।
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मध्य पूर्व के देशों में 90 लाख से अधिक भारतीय
यही नहीं, इन दोनों देशों में भारतीय कंपनियां और लोग काम कर रहे हैं। ईरान के साथ भारत के आर्थिक रिश्ते कारोबार, निवेश और आधारभूत संरचना के विकास सहित कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं। जंग होने पर आर्थिक अनिश्चितता का खतरा पैदा होगा। यही नहीं, मध्य पूर्व के देशों में 90 लाख से अधिक भारतीय रहते हैं। ईरान में करीब 10 हजार और इजरायल में 18 हजार से अधिक भारतीय नागरिक हैं।
कच्चे तेल के दाम में होगा उछाल
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का असर पूरे मध्य पूर्व पर होगा। मध्य पूर्व की इकॉनमी कच्चे तेल पर आधारित है। कच्चे तेल के उत्पादन में कमी यदि होगी तो इसकी कीमत में भारी इजाफा होगा। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे। भारत भी इससे प्रभावित होगा क्योंकि ईरान, सऊदी अरब, यूएई सहित कई देशों से भारत कच्चा तेल खरीदता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने पर भारत के घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने पर जाहिर है कि महंगाई बढ़ेगी। पश्चिम एशिया में तनाव के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम पहले ही 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच चुका है।
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सप्लाई चेन पर पड़ेगा असर
भारत करीब 40 देशों से कच्चा तेल आयात करता है। यह दीगर बात है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने चतुराई दिखाते हुए सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदा। रूस से सस्ते भाव में तेल खरीदकर भारत ने अपने यहां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने नहीं दीं। यही नहीं ईरान-इजरायल संघर्ष से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है।
स्वेज नहर रूट से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल भेजा जाता है। वहीं भारत और अन्य एशियाई देशों से चाय, जूट, कपास, मसाले और चीनी जैसी चीजों का पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ उत्तरी अमेरिका में निर्यात होता है।
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