नसरल्लाह के मारे जााने के बाद किस ओर जाएगा हिजबुल्ला-इजरायल युद्ध? मध्य पूर्व को आग में झोंक देगी 'एक गलती'
Israel-Hezbollah War: IDF का दावा है कि इस हमले में हिज्बुल्ला के सेक्युरिटी यूनिट का प्रमुख इब्राहिम हुसैन, नसरल्लाह का सलाहकार और भरोसेमंद समीर तावफिक डिब, साउदर्न फ्रंट का लीडर अली कराकी मारे गए। पेजर, वॉकी टॉकी और सोलर पैनल फटने के बाद नसरल्लाह समेत हिजबुल्ला के दर्जन भर टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं।
बेरूत पर जारी है इजरायल की बमबारी।
- शुक्रवार रात इजरायल के हवाई हमलों में मारा गया हिजबुल्ला का चीफ नसरल्लाह
- वह दक्षिणी बेरूत के दाहियेह में एक इमारत के नीचे बने अपने मुख्यालय में छिपा था
- इस हमले में नसरल्लाह सहित हिजबुल्ला के टॉप कमांडर भी मारे गए
Israel-Hezbollah War: सन नसरल्लाह को मारने के बाद भी इजरायल के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। साउथ लेबनान और बेरूत पर वह लगातार और भारी बमबारी कर रहा है। बमबारी इतनी ज्यादा हो रही है कि बेरूत और साउथ लेबनान के आसमान में गुबार और धूल का अंबार लगा हुआ है। हमलों से बचने के लिए साउथ लेबनान और बेरूत से अब तक 80 हजार लोग पलायन कर गए हैं। परिवार और बच्चों के साथ लोग गाड़ियों में भर-भरकर हजारों की संख्या में सीरिया पहुंच रहे हैं। दाहियेह जहां हिज्बुल्लाह का हेडक्वार्टर था, वहां तो और हाहाकार मचा है। दुकानें और बाजार बंद हैं। लोग पैदल भागकर अपनी जान बचा रहे हैं।
नसरल्लाह के करीबी कमांडर मारे गए
नसरल्लाह के मारे जाने के बाद जंग का दायरा बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। इजरायल का कहना है कि नसरल्लाह को मारने के लिए उसने जो हमला किया, उस हमले में नसरल्लाह के अलावा हिजबुल्ला के करीब 20 कमांडर मारे गए। IDF का दावा है कि इस हमले में हिज्बुल्ला के सेक्युरिटी यूनिट का प्रमुख इब्राहिम हुसैन, नसरल्लाह का सलाहकार और भरोसेमंद समीर तावफिक डिब, साउदर्न फ्रंट का लीडर अली कराकी मारे गए। पेजर, वॉकी टॉकी और सोलर पैनल फटने के बाद नसरल्लाह समेत हिजबुल्ला के दर्जन भर टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं। मतलब हिजबुल्ला की कमान संभालने वाले जैसे कि ड्रोन, मिसाइल जैसी यूनिट के जितने भी कमांडर थे वे मारे जा चुके हैं।
हिजबुल्ला की संचार व्यवस्था पर प्रहार
हिजबुल्ला को आदेश देने वाली कमांडरों की टॉप लीडरशिप इस वक्त करीब-करीब खत्म हो चुकी है। ऑर्डर ऑफ कमांड में एक वैक्यूम आ गया है। बावजूद इसके वह इजरायली शहरों को निशाना बनाकर हमले कर रहा है लेकिन इससे इजरायल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। दरअसल, पलटवार मूवमेंट, हमला करने के आदेश एक सेफ कम्यूनिकेशन लाइन से आते हैं लेकिन हिजबुल्ला जो कि पेजर और वॉकी टॉकी से बात करता था, उस कम्यूनिकेशन सिस्टम को आईडीएफ पहले ही बर्बाद कर चुका है।
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हिजबुल्ला के नेतृत्व में होंगे बदलाव
अब इनके पास इस तरह की सुरक्षित लाइन नहीं है। आपके पास हथियार चाहे लाख गुना बेहतर हों लेकिन कोऑर्डनिशन अगर नहीं है तो आपका हमला बिखर जाएगा। युद्ध में करना क्या है। यह बात बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिए। जंग लड़ रहे हर कमांडर और जवान को पता होना चाहिए कि कब, क्या और कैसे दुश्मन को जवाब देना है लेकिन ऊपर से आदेश ही अगर आप तक नहीं पहुंच पाए तो हालात अराजक होने लगते हैं। अब चूंकि नसरल्लाह और उसके टॉप कमांडर नहीं है तो हिज्बुल्ला को अपने मिलिट्री और राजनीतिक दोनों यूनिटों में रणनीतिक रूप से बदलाव करना पड़ेगा। हिज्बुल्ला में खलबली तो मची है लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि वह इजरायल के साथ किसी तरह के शांति समझौते में जा रहा है, उसके लड़ाके हमले कर रहे हैं।
हिजबुल्ला के पास लंबी दूरी वाली मिसाइलें
हिजबुल्ला में ऐसे तमाम कैडर हैं जो नसरल्लाह की मौत का बदला लेने के लिए संगठन में दबाव बना रहे होंगे। हिजबुल्ला के पास लंबी दूरी तक सटीकता से मार करने वाली मिसाइलें हैं जो कि तेल अवीव तक पहुंच सकती हैं। हिज्बुल्ला में ऐसे बहुत होंगे जिन्हें लग रहा होगा कि इजरायल अपने हमलों में इन मिसाइलों को खत्म कर सकता है। इसके पहले कि ये मिसाइलें नष्ट हों, वे चाहते होंगे कि इन्हें दागकर नसरल्लाह की मौत का बदला लिया जाए। नसरल्लाह की मौत ईरान के लिए बहुत बड़ा झटका है। मिडिल इस्ट सहित पूरी दुनिया में उसकी साख को बट्टा लगा है।
सुरक्षित जगह भेजे गए खामनेई
साल 2020 में रिवोल्यूशनरी गार्ड के चीफ कासिम सुलेमानी की हत्या, इसी साल मई में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत, जुलाई में हमास के सबसे बड़े नेता इस्माइल हानियेह की हत्या और अब नसरल्लाह की मौत। इन हत्याओं के बाद ईरान की छवि एक कमजोर देश के रूप में सामने आई है। प्रत्येक हत्या के बाद वह बदला लेने की बड़ी-बड़ी बात करता है, राष्ट्रीय शोक घोषित करता लेकिन करता कुछ भी नहीं है। फिर अगली हत्या हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र में नेतन्याहू की स्पीच के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई अपना महल छोड़कर किसी सुरक्षित ठिकाने पर चले गए हैं, ईरान को लगता है कि देर-सबेर खामनेई को भी ठिकाने लगाया जा सकता है।
अमेरिकी ठिकानों पर हो सकते हैं हमले
ईरान के जो कट्टरपंथी नेता हैं, वे चाहेंगे कि नसरल्लाह की मौत का बदला लेने के लिए तेहरान की तरफ से इजरायल को किसी तरह का जवाब दिया जाए। ये कट्टरपंथी किसी हमले के लिए सरकार पर दबाव भी बना रहे होंगे। ईरान अगर सीधे युद्ध में नहीं कूदता है तो वह यमन के हूती विद्रोहियों, सीरिया और इराक के मिलिटैंट समूहों को इलाके में मौजूद इजरायल और अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए कह सकता है। लेकिन यह भी सच है कि ईरान या उसके समर्थक मिलिटैंट ग्रुप की तरफ से यदि हमले हुए तो लड़ाई लेबनान से निकलकर मध्य पूर्व को अपने चपेट में ले लेगी। हमला होने पर अमेरिका और इजरायल जबर्दस्त पलटवार करेंगे।
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ईरान के जवाब पर बहुत कुछ निर्भर करेगा
अभी इजरायल हवाई हमले कर रहा है। उसके मरकावा टैंक साउथ लेबनान की सीमा पर हैं। जानकारों का मानना है कि हवाई हमले में एक बार हिजबुल्ला की कमर पूरी तरह तोड़ देने और उसकी ऑपरेशनल क्षमता खत्म कर देने के बाद वह ग्राउंड ऑपरेशन शुरू कर सकता है जैसा कि हमास के खिलाफ उसने गाजा में किया। अभी उसका पूरा जोर हिजबुल्ला के जितने भी ठिकाने और कमांडर हो सकते हैं उन्हें हवाई हमलों के जरिए तबाह और बर्बाद करने की होगी, इसके बाद जमीनी लड़ाई के लिए वह आगे बढ़ सकता है। कुल मिलाकर हिज्बुल्ला के खिलाफ इजरायल की यह जंग ऐसे मोड़ और मुहाने पर खड़ी है, जहां एक हमला पूरे मिडिल इस्ट को युद्ध की आग में झोंक सकता है, जंग की अगली सूरत क्या होगी यह बहुत हद तक ईरान के जवाब पर निर्भर करेगा।
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