#Safe Her : महिला सुरक्षा-क्या माता-पिता के लिए अलार्म बज रहा है?
Women Security : मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आमतौर पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, यौन दुर्व्यवहार, यौन हिंसा और रेप करने वाले आरोपी की पारिवारिक पृष्ठभूमि एक महत्वपूर्ण कारक है। आम तौर पर बेटे अपने घर में पिता को अपनी मां या घर की अन्य महिलाओं के साथ जैसा व्यवहार करते देखते हैं वे उसका ही अनुसरण करते हैं।
बच्चों को महिला सम्मान की शिक्षा घर पर ही देने की जरूरत।
Women Security: ‘बस बहुत हो गया।।मैं बहुत भयभीत हूं। कोई भी सभ्य समाज बेटियों-बहनों पर ऐसे अत्याचार की इजाजत नहीं दे सकता।’ ये शब्द हैं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के।।कोलकाता में एक सरकारी अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद देश भर में गुस्सा है, आक्रोश है। वही, गुस्सा जो आमतौर पर हर ऐसे जघन्य अपराध के बाद आम लोगों में आता है, लेकिन कुछ दिनों बाद ठंडा पड़ जाता है। लेकिन इस बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जिस तरह इस अपराध के प्रति अपनी नाराजगी जताई है, उसने सबका ध्यान बरबस इस ओर खींच लिया कि क्या सचमुच समाज का महत्वपूर्ण अंग होने के कारण अब हम सबके सचेत होने का वक्त नहीं आया है।
राष्ट्रपति मुर्मू देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के साथ ही एक महिला भी हैं और एक मां भी। वे अच्छी तरह इस बात को समझ सकती हैं कि यदि महिलाओं को अपने घर, कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक परिवहनों, दिन हो या रात कहीं भी असुरक्षा महसूस होती है तो इसके गंभीर अर्थ हैं। एक मां और अभिभावक के नजरिए से राष्ट्रपति के इस बयान पर गौर करें तो समझने की जरूरत है कि आखिर क्यों निर्भया कांड के बाद भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देश में हालात नहीं बदले हैं। निर्भया केस के बाद कड़े हुए कानून फिर भी हैवानों की हिम्मत क्यों नहीं टूटी? ये सवाल अब भी मुंह बाए खड़े हैं।
मैं देश के मौजूदा कानूनों की बात नहीं करने जा रही, क्योंक देश के सख्त कानूनों को लेकर इंटरनेट पर बहुत सामाग्रियों और जानकारियों की भरमार है। देश के कानून निर्माताओं ने निर्भया कांड के बाद और हाल ही में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई सख्त प्रावधान किए हैं, लेकिन अब जरूरत सामाजिक पहलुओं पर भी ज्यादा से ज्यादा बात करने की है। एक-एक परिवार से एक समाज का निर्माण होता है, लिहाजा महिलाओं की सुरक्षा के लिए अब हर एक घर को जिम्मेदार होना होगा और यहां माता-पिता की भूमिका बेहद अहम है। माता-पिता को अपने बेटों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना पैदा करनी होगी। लेकिन जरूरी है कि इस मामले में पिता खुद घर में आदर्श स्थिति पैदा करें। यानी वे खुद पहले एक अपनी घर की औरतों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना शुरू करें।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आमतौर पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, यौन दुर्व्यवहार, यौन हिंसा और रेप करने वाले आरोपी की पारिवारिक पृष्ठभूमि एक महत्वपूर्ण कारक है। आम तौर पर बेटे अपने घर में पिता को अपनी मां या घर की अन्य महिलाओं के साथ जैसा व्यवहार करते देखते हैं वे उसका ही अनुसरण करते हैं। यदि पिता मां के साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं, घरेलू हिंसा करते हैं या यौन दुर्व्यवहार करते हैं तो आगे चलकर बेटे भी अपनी पत्नी या महिला मित्र या किसी भी अंजान महिला के साथ यौन दुर्व्यवहार या यौन हिंसा करने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए अब माता-पिता के लिए चिंताजनक हालात हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने और उनके बेहतर करियर की चिंता के साथ-साथ इस बात पर भी जोर देना चाहिए कि वे ऐसे पुरुष बनें कि उनके इर्द-गिर्द रहने वाली कोई भी महिला उनके साथ सुरक्षित और बेहतर महसूस करे।
माता-पिता को बेटों से सवाल करना जरूरी है कि वे महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? क्या उन्हें ऐसे दोस्तों से दूर करने की जरूरत नहीं जो उन्हें लड़कियों को छेड़ने या उसके साथ यौन हिंसा करने की उन्हें चुनौती देते हैं? कई बार घर में ही ऐसे हालात बनते हैं कि पुरुषों को स्त्रियों पर अपना दबदबा और प्रभुत्व बनाकर रखने के लिए यह कहकर उकसाया जाता है कि उनका ‘मेल ईगो’ कहा हैं? ‘एसिड वाली लड़की’ किताब लिखने के क्रम में भी मैंने इस मामले की जितनी पड़ताल की उसमें ‘मेल इगो’ ही एक बड़ा फैक्टर बन कर आया। ‘तुम मेरी नहीं तो किसी की नहीं’ इस मेल इगो ने पुरुषों को उन लड़कियों पर एसिड फेंकने के लिए भड़काया जिन्होंने उनके प्रेम प्रस्ताव अस्वीकार कर दिए। जबकि स्त्री समानता और उसकी सुरक्षा के लिए पुरुषों में यह भावना जो उनके जड़ें गहरी जमी हुई हैं कि वे ही श्रेष्ठ हैं उसे दूर करने की जरूरत है, और इस काम को माता-पिता या शिक्षक से बेहतर कोई नहीं कर सकता।
अब सोचने का वक्त आ गया है कि क्या बच्चों के जीवन में नैतिकता को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो देने की आदत विकसित करने की जरूरत नहीं है? सम्मान और साझेदारी का ऐसा माहौल जहां महिलाएं महफूज रहें इसके लिए माता-पिता को ही आगे आना होगा।
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