टूट जाएगा कमलनाथ का तिलिस्म? छिंदवाड़ा में BJP ने रचा मजबूत 'चक्रव्यूह', समझिए कहां रणनीति बनाने में हुई नकुलनाथ से चूक

Chhindwara Lok Sabha Seat: छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने एक बार फिर से नकुलनाथ को टिकट दिया है। नकुलनाथ को यहां से टिकट तो मिल गया है, लेकिन जीत के रास्ते में कई कांटे हैं।

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छिंदवाड़ा में खुद सीएम मोहन यादव ने संभाल रखी है BJP की कमान

Chhindwara Lok Sabha Seat: इस बार का लोकसभा चुनाव कमलनाथ पर भारी पड़ता दिख रहा है। कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ एकलौते ऐसे नेता थे, जो 2019 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की इज्जत बचाने में कामयाब रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में एमपी में कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा सीट जीतने में कामयाब रही थी। यह सीट कमलनाथ परिवार का गढ़ रही है। लेकिन इस बार बीजेपी इस गढ़ में सेंध लगाने की पूरी तैयारी करती दिख रही है। सीएम मोहन यादव खुद कमलनाथ के खिलाफ 'चक्रव्यूह' रच रहे हैं।

छिंदवाड़ा में मोहन यादव का चक्रव्यूह

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने एक बार फिर से नकुलनाथ को टिकट दिया है। नकुलनाथ को यहां से टिकट तो मिल गया है, लेकिन जीत के रास्ते में कई कांटे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद छिंदवाड़ा में बीजेपी की ओर से मोर्चा संभाले हुए हैं। एक के बाद एक कांग्रेस के कई नेता को बीजेपी तोड़ चुकी है। जो कभी कमलनाथ के साथ थे वो आज कमलनाथ के खिलाफ हो चुके हैं। 22 फरवरी 2024 से लेकर 1 अप्रैल तक सैंकड़ों कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। सीएम बनने के बाद मोहन यादव करोडों की सौगात छिंदवाड़ा को दे चुके हैं। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव रहे उज्जवल सिंह, कांग्रेस पार्षद लीना तिरगाम, जगदीश गोदरे, धनराज, रोशनी सल्लम, चंदू ठाकरे, संतोषी बाडीवा, कमलनाथ के करीबी सैयज जफर, दीपक सक्सेना, अजय सक्सेना, विधायक कमलेश शाह, मेयर विक्रम अहाके जैसे बड़े नाम जो कल तक कांग्रेस में थे, आज बीजेपी में हैं। बीजेपी की नजर हर उस कांग्रेस नेता पर है, जिसकी छिंदवाड़ा में या तो पकड़ है या फिर कमलनाथ के करीबी हैं। कई बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और कई चुनाव से पहले बीजेपी के साथ आ सकते हैं।

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर समीकरण

पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस की ओर से नकुलनाथ जीतने में कामयाब रहे थे, लेकिन वोटों का अंतर काफी कम था। नकुलनाथ को 5 लाख 47 हजार 305 वोट मिले थे, वहीं बीजेपी उम्मीदवार नाथन शाह को 5 लाख 9 हजार 769 वोट मिले थे। वोट प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस को 47.06 प्रतिशत और बीजेपी को 44.05 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि 2014 के चुनाव में जीत का अंतर 1 लाख से भी ज्यादा था। बीजेपी ने इस बार विवेक बंटी साहू को टिकट दिया है। विवेक बंटी साहू पिछले विधानसभा चुनाव में कमलनाथ को टक्कर दे चुके हैं। 2018 के उपचुनाव में भी विवेक साहू ने कमलनाथ के सामने जोरदार लड़ाई लड़ी थी।

छिंदवाड़ा सीट का इतिहास

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट 1951 से अस्तित्व में है। तभी से इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ रही है। सिर्फ एक बार 1997 के उपचुनाव में बीजेपी छिंदवाड़ा से जीती थी। 1980 से छिंदवाड़ा सीट कमलनाथ परिवार का गढ़ रहा है। 1980 से लेकर 1991 तक कमलनाथ यहां से जीतते रहे और सांसद बनते रहे। 1996 में कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ यहां से जीतीं। 1998 से लेकर 2014 तक फिर से कमलनाथ यहां से जीते। 2019 में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ यहां से सांसद बने।

कहां चूके कमलनाथ-नकुलनाथ

कांग्रेस जिस तरह से विधानसभा चुनाव में हारी, उसका ठीकरा सीधे कमलनाथ पर फूटा। हालांकि कमलनाथ ने इसे स्पष्ट तौर पर कभी स्वीकार नहीं किया। हार के बाद पार्टी के कार्यक्रमों से दूर हुए, हाल ये हुआ कि साथी नेताओं का भरोसा भी उनपर से उठने लगा। इसी बीच खबर आई कि कमलनाथ और नकुलनाथ बीजेपी में जा रहे हैं। कमलनाथ ने शुरू में इसे सीधे तौर पर खारिज नहीं किया, गोलमोल जवाब देते रहे। यहां तक कि साथी नेताओं ने भी दावा करना शुरू कर दिया। कमलनाथ के करीबी दावा करने लगे, दिल्ली में मुलाकात पर मुलाकात होने लगी। बाद में कहा गया कि कमलनाथ नहीं जाएंगे, नकुलनाथ जाएंगे। 2-3 दिनों तक यह कहानी चली, फिर कमलनाथ के एक करीबी ने कहा कि कमलनाथ कहीं नहीं जा रहे, कांग्रेस में ही रहेंगे। कमलनाथ भले ही कांग्रेस में नहीं गए, लेकिन उनके समर्थकों के बीच यह मैसेज जाने में कामयाब दिखा कि कमलनाथ पाला बदल सकते हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं का बीजेपी में जाना शुरू हो गया, कमलनाथ भले ही कांग्रेस में हैं, लेकिन उनके कई साथी बीजेपी में जा चुके हैं। कमलनाथ और नकुलनाथ इन नेताओं को रोकने में नाकाम रहे हैं। साथ ही बीजेपी के नेताओं को अपने पाले में करने में भी नाकाम दिख रहे हैं।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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