Kangana vs Vikramaditya: कितना दिलचस्प है मंडी का मुकाबला? जानें इस सीट का इतिहास, समझें समीकरण

Mandi Lok Sabha Seat: हिमाचल की मंडी सीट पर चुनावी लड़ाई और भी दिलचस्प हो चुकी है। कंगना रनौत का सामना विक्रमादित्य सिंह से हो रहा है। ऐसे में अब कंगना की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि इस सीट का इतिहास कुछ और ही कहता है। फिलहाल मंडी से विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह सांसद हैं।

Kangana Ranaut vs Vikramaditya Singh in Mandi

मंडी लोकसभा सीट का इतिहास जानिए।

Hot Seat: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी उठापटक का दौर 7वें आसमान पर पहुंच चुका है। एक तरफ भाजपा ने 370 पार का लक्ष्य रखा है, तो वहीं NDA के 400+ सीटें जीतने का दावा किया जा रहा है। एक ओर मोदी की गारंटी है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस न्याय का मुद्दा उठा रही है। इस बीच हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आ चुका है। भाजपा ने सूबे की मंडी लोकसभा सीट से फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को यहां से टिकट देकर सरगर्मी पहले ही बढ़ा दी थी कि अब कांग्रेस की ओर से विक्रमादित्य सिंह के चुनावी मैदान में उतरने के बाद लड़ाई बेहद दिलचस्प हो चुकी है। हर कोई ये आंकने में लगा हुआ है कि यहां से कौन कितना मजबूत है? आपको हम इस सीट का इतिहास और चुनावी समीकरण समझाते हैं।

क्या कहता है मंडी लोकसभा सीट का इतिहास?

मंडी लोकसभा सीट पर 1952 से अब तक तीन उपचुनावों सहित कुल 20 चुनाव हुए हैं, जिनमें से 13 चुनावों में पूर्व रियासतों के वंशजों को चुना है। शिमला (ग्रामीण) विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे विक्रमादित्य सिंह मंडी संसदीय क्षेत्र के लिए नए नहीं हैं, क्योंकि उनके पिता और मां दोनों ने तीन-तीन बार यह सीट जीती है। मंडी लोकसभा सीट पर 2021 के उपचुनाव में सिंह ने अपनी मां के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था। मंडी में भाजपा को अब तक महज 5 बार जीत नसीब हुई है, जबकि 14 बार कांग्रेस के सांसद चुनकर संसद पहुंचे। इस सीट पर एक बार 1977 में जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के गोपी राम इस सीट से पहले सांसद चुने गए थे।

कब कौन बना मंडी लोकसभा सीट से सांसद?

वर्षनामपार्ट
1952गोपी रामकांग्रेस
1952 (उपचुनाव)राजकुमारी अमृत कौरकांग्रेस
1957राजा जोगिंदर सेन बहादुरकांग्रेस
1962ललित सेनकांग्रेस
1967ललित सेनकांग्रेस
1971वीरभद्र सिंहकांग्रेस
1977गंगा सिंहजनता पार्टी
1980वीरभद्र सिंहकांग्रेस
1984सुखरामकांग्रेस
1989महेश्वर सिंहभाजपा
1991सुखरामकांग्रेस
1996सुखरामकांग्रेस
1998महेश्वर सिंहभाजपा
1999महेश्वर सिंहभाजपा
2004प्रतिभा सिंहकांग्रेस
2009वीरभद्र सिंहकांग्रेस
2013 (उपचुनाव)प्रतिभा सिंहकांग्रेस
2014रामस्वरूप शर्माभाजपा
2019रामस्वरूप शर्माभाजपा
2021 (उपचुनाव)प्रतिभा सिंहकांग्रेस
कंगना रनौत vs विक्रमादित्य सिंह का मुकाबला

हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने राज्य सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की, जिसके साथ ही इस सीट पर उनके और भाजपा उम्मीदवार एवं अभिनेत्री कंगना रनौत के बीच एक बेहद दिलचस्प चुनावी मुकाबला होने की उम्मीद है। हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री विक्रमादित्य सिंह छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं कांग्रेस की राज्य इकाई की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे हैं।

'विवादों की रानी' कंगना vs 'छोटा पप्पू' विक्रमादित्य

अपनी उम्मीदवारी की घोषणा होने से पहले ही, विक्रमादित्य सिंह और बॉलीवुड फिल्म 'क्वीन' की अभिनेत्री कंगना के बीच तीखी बहस छिड़ चुकी थी। जहां एक ओर विक्रमादित्य सिंह ने रनौत को 'विवादों की रानी' कहा था, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार ने परोक्ष रूप से उन्हें 'छोटा पप्पू' कहा था।

कंगना रनौत ने विक्रमादित्य सिंह पर बोला तीखा हमला

हाल ही में कंगना रनौत ने विक्रमादित्य सिंह पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था, 'ये तुम्हारे बाप-दादा की रियासत नहीं है, कि तुम मुझे डरा, धमका के वापस भेज दोगे।' विक्रमादित्य सिंह ने एक बयान में कहा था कि वह भगवान राम से प्रार्थना करते है कि वह उन्हें (कंगना रनौत) सद्बुद्धि दें

कंगना ने परोक्ष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और विक्रमादित्य सिंह को 'पप्पू' करार देते हुए कहा था कि दिल्ली में एक 'बड़ा पप्पू' है और हिमाचल में 'छोटा पप्पू' कहता है कि वह गोमांस खाती हैं। कंगना ने पूछा कि वह उनके गोमांस खाने का सबूत क्यों नहीं दिखा रहे हैं।

कंगना ने इस सीट पर दावेदारी मजबूत करते हुए एक बयान में कहा था, 'मैंने अपने पिता और मां की मदद के बिना फिल्म उद्योग में अपना नाम बनाया है... मैं राजनीति में शामिल होना चाहती हूं और लोगों की सेवा करना चाहती हूं। राजनीति सेवा की अभिव्यक्ति है और राजा से लेकर भिखारी तक कोई भी इस अभिव्यक्ति का हकदार है।'

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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