Karnataka में अब सिद्दारमैया बनाम शिवकुमार: CM की कुर्सी संभालने को दोनों में कौन कितना प्रबल दावेदार? जानिए

Siddaramaiah vs DK Shivkumar in Karnataka: सूबे के सीएम पद के लिए दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार सबसे आगे हैं। दोनों नेताओं ने दक्षिणी राज्य का नेतृत्व करने की अपनी महत्वाकांक्षा को छिपाया भी नहीं है, जबकि कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) ने नेता चुनने के लिए सर्वसम्मति से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अधिकृत किया है।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)

Siddaramaiah vs DK Shivkumar in Karnataka: कर्नाटक में सीएम पद की रेस में सिद्धरमैया (पूर्व मुख्यमंत्री) और डी के शिवकुमार (प्रदेश अध्यक्ष) सबसे आगे हैं। दोनों के बीच सूबे की टॉप कुर्सी के लिए कांटे की टक्कर मानी जा रही है। रोचक बात है कि इन दोनों ही ने दक्षिणी राज्य का नेतृत्व करने से जुड़ी अपनी दिली तमन्ना को कभी छिपाया भी नहीं है। आइए, जानते हैं इन दोनों दिग्गजों में कौन कितना प्रबल दावेदार है और इनकी क्या ताकत, कमजोरी, अवसर और जोखिमों (स्वॉट विश्लेषण) हैं:
मैसूर में तीन अगस्त 1947 को (अभी 75 बरस के) जन्मे सिद्दारमैया को लोग सिद्दू के नाम से भी जानते हैं। उनकी शक्ति की बात करें तो दक्षिणी सूबे भर में उनका व्यापक प्रभाव है। वह इसके साथ ही कांग्रेस विधायकों के एक बड़े वर्ग के बीच खासा लोकप्रिय हैं। उन्हें सीएम (2013-18) के नाते सरकार चलाने का अनुभव भी प्राप्त है। वह अब तक 13 बजट पेश कर चुके हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो उनकी अहिंदा (अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कन्नड़ में संक्षिप्त नाम - एएचआईएनडीए) पर अच्छी पकड़ है। वह इसके अलावा विभिन्न मुद्दों पर भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) को घेरने की ताकत रखते हैं, जबकि सबसे अहम बात है कि पीएम मोदी और उनकी सरकार का मुकाबला करने की भी उनमें मजबूत क्षमता है। वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं।
कमजोरियों पर निगाह मारें तो सांगठनिक रूप में पार्टी के साथ उनका इतना जुड़ाव नहीं है। वह साल 2018 में कांग्रेस की सरकार की सत्ता में वापसी कराने में विफल रहे थे, जबकि मौजूदा समय में कांग्रेस के पुराने नेताओं के एक वर्ग की ओर से उन्हें बाहरी माना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वह पहले जद (एस) में थे। साथ ही उनकी उम्र भी एक कारक हो सकती है। सिद्दारमैया के सामने अवसरों का जिक्र करें तो हम पाते हैं कि सरकार चलाने के लिए हर किसी को साथ लेकर चलने और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को मजबूत करने की स्वीकार्यता के साथ उनके पास अच्छा अनुभव है।
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