कश्मीर है पाकिस्तान के गले की नस...हिंदू और मुसलमान जीवन के हर पहलू में अलग, जनरल मुनीर के जहरीले बोल के समझिए मायने

जनरल असीम मुनीर ने प्रवासी समुदाय के एक कार्यक्रम के दौरान कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया और उन्होंने विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों से देश की कहानी मुनीर ने कहा कि उनके पूर्वज मानते थे कि हिंदू और मुसलमान जीवन के हर पहलू में अलग हैं।

Pak army Gen munir

जनरल आसिम मुनीर के जहरीले बोल

General Asim Munir Kashmir Statement: पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने पहले के जनरलों की तरह भारत के खिलाफ आग उगली है। एक बार फिर भारत के खिलाफ आखिर तक लड़ने का राग अलापा है। जनरल मुनीर ने प्रवासी पाकिस्तानियों सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपनी नफरती सोच को सामने रखा। इस दौरान जनरल मुनीर ने प्रवासियों को जो गुर बताए वो नफरत को कम करने की बजाय उसे और बढ़ावा देने की रणनीति नजर आती है। ऐसे समय पर जब विश्व कई जगहों पर संघर्ष देख रहा है और पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है, ऐसे जनरल मुनीर का भाषण न सिर्फ पाक सेना की नाकामी की पोल खोलता है बल्कि पाकिस्तान के एक नाकाम देश होने की गवाही भी देता है। आखिर जनरल मुनीर के इन जहरीले बोल के मायने क्या हैं।

आंतरिक संघर्षों में घिरा पाकिस्तान

दरअसल, पाकिस्तान इन दिनों कई तरह के संघर्षों से जूझ रहा है। बलूचिस्तान में लगातार बढ़ रहे विरोध और प्रतिरोध ने पाकिस्तानी सेना को बैकफुट पर डाल दिया है। सेना की नाकामी ने कई तरह के सवाल खड़े किए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान घरेलू मोर्चे पर भी बुरी तरह संकट में घिरा हुआ है। ऐसे में अवाम का ध्यान बंटाने के लिए उसने फिर कश्मीर को चारे के रूप में इस्तेमाल किया है। कश्मीर के नाम पर देशवासियों को भड़काकर जनरल मुनीर सेना की नाकामी से ध्यान हटाना चाहते हैं। कश्मीर, पाकिस्तान की सबसे कमजोर नस है और पाकिस्तान की सेना और हुक्मरान हर मुश्किल वक्त पर इसे जमकर भुनाते हैं। बलूचिस्तान में बुरी तरह फंसी पाकिस्तानी सेना का चेहरा बचाने का ये मुनीर का अपना तरीका है जिसे उनके पूर्ववर्ती जनरल भी अपनाते रहे हैं।

राहील शरीफ और कमर जावेद बाजवा ने भी अलापा था राग

जनरल मुनीर से पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ रहे जनरल कमर जावेद बाजवा भी इसी तरह का बयान दे चुके हैं। बाजवा ने सितंबर 2019 में कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताते हुए कहा था कि वह कश्मीरियों को समर्थन जारी रखेंगे। साल 2014 में तत्कालीन पाक सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ ने भी अलापा था कि कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस है। मुनीर भी अपने सीनियर्स की तरह पाकिस्तानियों की भावनाओं को भुनाने की कोशिश में पुरानी तान छेड़ी है। यानी पाकिस्तानी सेना के लिए कश्मीर का राग को नया नहीं है। इसे सेना एक ट्रंप कार्ड के तौर पर इस्तेमाल करती है। हिंदू-मुस्लिम का जिक्र छेड़ मुनीर ने इसे धार्मिक रंग भी देना चाहा है। वह कश्मीर संघर्ष को सीधे हिंदू-मुस्लिम संघर्ष से जोड़ना चाहते हैं।

जनरल मुनीर क्या-क्या कहा था

पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने न सिर्फ कश्मीर को गले की नस बताकर लोगों की भावनाओं को भुनाने की कोशिश की, बल्कि धर्म को भी बीच में ले आए। मुनीर ने देश के लोगों से अपने बच्चों को पाकिस्तान बनने की कहानी सुनाने और द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के बारे में बताने के लिए कहा। मुनीर ने कहा कि पाकिस्तानी बच्चों को 'हिंदू और मुसलमान होने के बुनियादी फर्क' को जरूर बताया जाना चाहिए। उन्होंने बताया जाना चाहिए कि 1947 में पाकिस्तान का निर्माण कैसे हुआ।

सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने प्रवासी समुदाय के एक कार्यक्रम के दौरान कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया और उन्होंने विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों से देश की कहानी मुनीर ने कहा कि उनके पूर्वज मानते थे कि हिंदू और मुसलमान जीवन के हर पहलू में अलग हैं। जनरल मुनीर ने मंगलवार को इस्लामाबाद में पहले प्रवासी पाकिस्तानी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है, कश्मीर हमारे गले की नस थी, यह हमारे गले की नस रहेगी और हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे।

बता दें कि इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, वरिष्ठ मंत्री और विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी शामिल हुए। उन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक एम ए जिन्ना द्वारा प्रतिपादित द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि आपको अपने बच्चों को पाकिस्तान की कहानी बतानी होगी ताकि वे यह न भूलें कि हमारे पूर्वज सोचते थे कि हम जीवन के हर संभव पहलू में हिंदुओं से अलग हैं। मुनीर ने कहा कि हमारे धर्म अलग हैं, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यहीं से द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की नींव रखी गई। हम दो राष्ट्र हैं, हम एक राष्ट्र नहीं हैं।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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