WHO पर कितना खर्च करता है अमेरिका, बिना US फंडिंग के लड़खड़ा जाएगा विश्व स्वास्थ्य संगठन

US Spending on WHO : फंडिंग की अगर बात करें तो 2022-23 यानी दो सालों के लिए अमेरिका ने WHO को 1.284 अरब डॉलर दिए। ये रकम दुनिया में नए स्वास्थ्य खतरों की पहचान, उनसे निपटने के उपाय और वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताएं तय करने के लिए थी। WHO से अमेरिका के पीछे हटने से एक बड़ा सवाल यह है कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा देने के लिए दोनों जो प्रोग्राम चला रहे थे अब उसका क्या होगा।

Donald Trump

ट्रंप ने WHO से अमेरिका के निकलने की घोषणा की है।

मुख्य बातें
  • डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली
  • अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन उन्होंने WHO से निकलने की घोषणा की
  • ट्रंप के इस कदम से WHO को अपना कार्यक्रम जारी रखने में दिक्कत हो सकती है

US Spending on WHO : 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन गए। व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस पहुंचते ही उन्होंने धड़ाधड़ करीब 200 एग्जीक्यूटिव ऑर्डर यानी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इनमें से कई आदेश बहुत बड़े और अमेरिका की अब तक के रुख से उलट हैं। खासतौर पर जन्म लेते ही अमेरिकी नागरिकता मिलने के अधिकार को चुनौती, पेरिस जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO से अलग होने की घोषणा बड़े फैसले हैं। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि पेरिस जलवायु समझौते से पीछे हटने और WHO से अमेरिका के निकलने से दुनिया पर व्यापक और प्रभावी रूप से असर पड़ेगा। ट्रंप के ये फैसले और आदेश उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' की नीति से प्रेरित हैं। घरेलू और विदेशी दोनों मोर्चों पर वह उन्हीं नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं जिनसे अमेरिका को फायदा हो लेकिन इन फैसलों से कल्याणकारी वैश्विक व्यवस्था जिसका एक बड़ा आधार अमेरिकी फंडिंग है, आगे इस रकम के न मिलने से ये सारी व्यवस्थाएं लड़खड़ा जाएंगी। खासकर, उन देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ी चोट पड़ेगी जिनकी योजनाएं पूरी तरह से WHO की आर्थिक सहायता पर निर्भर हैं।

WHO का सबसे बड़ा सहयोगी है अमेरिका

यहां हम बात अमेरिका से WHO को मिलने वाले वार्षिक फंड यानी अनुदान की करेंगे। दुनिया और अमेरिकी लोगों की अच्छी सेहत और स्वास्थ्य सुरक्षा देने के लिए अमेरिका हर साल WHO को मोटी रकम जारी करता आया है। WHO का सबसे बड़ा सहयोगी और सबसे ज्यादा फंड देने के अलावा अमेरिका, स्वास्थ्य की इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के साथ मिलकर नए स्वास्थ्य खतरों से निपटने के लिए भी काम करता आया है लेकिन अब यह सहयोग आगे जारी नहीं रह पाएगा क्योंकि ट्रंप की घोषणा के मुताबिक आगे विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिकी फंडिंग मिलनी बंद हो जाएगी।

WHO को 1.284 अरब डॉलर दिए

फंडिंग की अगर बात करें तो 2022-23 यानी दो सालों के लिए अमेरिका ने WHO को 1.284 अरब डॉलर दिए। ये रकम दुनिया में नए स्वास्थ्य खतरों की पहचान, उनसे निपटने के उपाय और वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताएं तय करने के लिए थी। WHO से अमेरिका के पीछे हटने से एक बड़ा सवाल यह है कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा देने के लिए दोनों जो प्रोग्राम चला रहे थे अब उसका क्या होगा। वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अमेरिका और WHO दोनों ने पांच साल की अपनी भागीदारी कार्यक्रम को दोबारा शुरू किया था। वे अपने ग्लोबल हेल्थ सेक्युरिटी एजेंडा जिसे GHSA कहा जाता है, वह 2028 तक चलना है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य 100 देशों को प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों से लड़ने में सक्षम बनाना है।

अमेरिका और WHO के बीच भागीदारी दशकों पुरानी

जहां तक बात महामारी से लड़ने की है तो WHO के अभियानों में अमेरिका की एक बड़ी भूमिका रही है। एमपॉक्स जैसी महामारी पर नियंत्रण और उस पर रोक लगाने के लिए अमेरिका, WHO के साथ मिलकर काम करता आया है। केवल एमपॉक्स से लड़ने, उसकी वैक्सीन की डिलीवरी और अफ्रीका के छह देशों में क्षमता निर्माण के लिए अमेरिका ने 22 मिलियन डॉलर जारी किए। जानकार अफ्रीका में एमपॉक्स महामारी से लड़ने, उससे निपटने और वैक्सीन की आपूर्ति के लिए दोनों के बीच करीबी सहयोग का होना जरूरी मानते हैं। यही नहीं मारबर्ग वायरस डीजिज से लड़ने के लिए अमेरिका ने 2024 में रवांडा और WHO के साथ भागीदारी की। विश्व के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अमेरिका और WHO के बीच भागीदारी दशकों पुरानी है। बात चाहे संघर्षों, प्राकृतिक आपदाओं या महामारी फैलने की वजह से जीवन रक्षक मदद देने की हो, अमेरिका और WHO चुनौतियों के बीच हमेश आगे आए हैं। खासकर, कमजोर और गरीब आबादी को बचाने और उसे सुरक्षित रखने में अमेरिका WHO के माध्यम से एक जिम्मेदार देश की भूमिका निभाते आया है। अफ्रीका में जब इबोला महामारी फैली तो भी वह पीछे नही हटा। महाद्वीप में स्वास्थ्य व्यवस्था और ढांचा कमजोर न पड़े इसके लिए उसने WHO की भरपूर मदद की।

ट्रंप ने साल 2020 में भी फंड में कटौती की

विश्व स्वास्थ्य संगठन 1948 में अस्तित्व में आया। यह संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन की ही एक एजेंसी है जो महामारी से लेकर आपात स्वास्थ्य चुनौतियों से लड़ने के साथ-साथ बेहतर सेहत के लिए दुनिया भर में स्वास्थ्य ढांचा तैयार करती है। अमेरिका शुरू से ही इस एजेंसी को फंडिंग, तकनीक से लेकर हर तरीके से मदद करता आया है लेकिन अब उसने फंडिंग करने से अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। ट्रंप ने साल 2020 में भी WHO को जारी होने वाले फंड में आंशिक रूप से कटौती की थी और इससे अलग होने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया था लेकिन 2021 में जब बाइडेन आए तो उन्होंने ट्रंप का फैसला पलट दिया। अमेरिका पिछले 10 साल से हर साल उसे 163 मिलियन से लेकर 816 मिलियन डॉलर के बीच अनुदान देता आया है।

इस संगठन को 1284 मिलियन डॉलर दिए

WHO के बजट की अगर बात करें तो साल 2024-25 के लिए WHO का प्रोगाम बजट 6834.2 अरब डॉलर है। 2022-23 के लिए यह बजट 6726.4 अरब डॉलर था। यह बजट बेस प्रोग्राम, पोलियो उन्मूलन, स्पेशल प्रोग्राम, इमरजेंसी ऑपरेशन्स एंड अपील पर खर्च होता है। WHO को फंड देने वाले टॉप 10 देशों की अगर बात करें तो इसमें अमेरिका शीर्ष पर है। साल 2022-23 के लिए अमेरिका ने इस संगठन को 1284 मिलियन डॉलर दिए। फंड देने में अमेरिका के बाद जर्मनी का नंबर आता है। 2022-23 के लिए जर्मनी ने 856 मिलियन डॉलर, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने 830, GAVI ने 481, यूरोपीय संघ ने 468, ब्रिटेन ने 396, कनाडा ने 204, रोटरी इंटरनेशनल ने 177, जापान ने 167, फ्रांस ने 161 मिलियन डॉलर का फंड दिया।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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