PFI को कहां से मिलता था पैसा? इस्लामिक चरमपंथ के लिए इस टेरर फंडिंग रूट का करते थे इस्तेमाल
सरकार ने विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 की धारा 3 (1) के तहत पांच साल के लिए पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया है। जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों की मानें तो पीएफआई आतंकी, हिंसक एवं मजहबी कट्टरता फैलाने में संलिप्त पाया गया है।
जांच एजेंसियों की ओर से पुख्ता रिपोर्ट एवं साक्ष्य मिलने के बाद सरकार का फैसला
मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट, खाड़ी देशों और डोनेशन के जरिए हुई फंडिंग
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर सरकार ने बुधवार को 'प्रहार' कर दिया। सरकार ने पीएफआई सहित उसके अन्य 8 फ्रंटल संगठनों को अगले पांच सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया। पीएफआई पर बैन का फैसला रातों रात नहीं हुआ बल्कि जांच एजेंसियों की ओर से पुख्ता रिपोर्ट एवं साक्ष्य मिलने के बाद सरकार ने यह ठोस एवं निर्णायक कदम उठाया। पीएफआई को बैन करते हुए गृह मंत्रालय की ओर से जो नोटिफिकेशन जारी हुआ उससे इस संगठन देश विरोधी गतिविधियों के बारे में काफी कुछ पता चलता है।
यूएपीए के तहत पीएफआई पर लगा बैन
सरकार ने विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 की धारा 3 (1) के तहत पांच साल के लिए पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया है। जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों की मानें तो पीएफआई आतंकी, हिंसक एवं मजहबी कट्टरता फैलाने में संलिप्त पाया गया है। उसकी गतिविधियां देशविरोधी हैं। उसने देश और विदेश से अवैध तरीके से रकम जुटाया है। यह रकम देसी-विदेशी फंडिंग एवं हवाला के जरिए जुटाई गई है। जांच एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि एफआई की अवैध फंडिंग के तीन तरीके थे-पहला, विदेश से फंडिंग, दूसरा-मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट और तीसरा कैश डिपॉजिट और डोनेशन से फंडिंग।
खाड़ी देशों एवं हवाला के जरिए हुई फंडिंग
सूत्रों का कहना है कि पीएफआई की जिला कार्यकारी समितियां खाड़ी देशों कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब, कतर और ओमान से फंड जुटा रही थीं। आबू धाबी का दरबार रेस्टोरेंट पीएफआई फंडिंग के फ्रंट के रूप में काम करता है। इस रेस्टोरेंट का इस्तेमाल खाड़ी देशों से फंड भारत भेजने में किया जाता रहा है। यही नहीं 2012 से 16 के बीच यूएई से भारत के एक एनआरआई के अकाउंट में 48 लाख रुपए भेजे गए।
कंपनी के बोर्ड में केरल एवं चीन के लोग
पीएफआई के एक अन्य संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन भी हवाला रूट का जरिया बना। एक एनआरई अकाउंट से रिहैब इंडिया फाउंडेशन को फंड ट्रांसफर हुआ। इस विदेशी फंडिंग में चीन का लिंक भी सामने आया है। कंपनी केए रुऊफ शरीफ के तार रेस इंटरनेशनल से जुड़े हैं। रेस इंटरनेशनल कंपनी खाड़ी के देश से ऑपरेट करती है। इस कंपनी के चार बोर्ड मेंबर दो चीन से और दो लोग केरल से हैं। केरल के दो नागरिकों में से एक की शादी चीन की एक महिला से हुई है। केरल का यह व्यक्ति चीन की फंडिंग को खाड़ी देश के इस कंपनी में भेजता है और फिर यहां से पैसा भारत भेजा जाता है।
10 एकड़ में मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट
केरल में मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट 10 एकड़ में है। यह भी मनी लॉन्ड्रिंग का एक फ्रंट है। इस प्रोजेक्ट में 69 फ्लैट बनाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में बन रहे हर फ्लैट की कीमत साढ़े पांच करोड़ रुपए है। इन फ्लैटों को मनमाने दामों छह से आठ करोड़ रुपए में बेचने की बात सामने आई है। फ्लैट से मिलने कुछ पैसों को बैंक अकाउंट में और कुछ रकम मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए पीएफआई को भेजी जाती है। इस प्रोजेक्ट के शेयर होल्डर में भी वही दो लोग हैं जिनके तार दरबार रेस्टोरेंट में शामिल हैं।
पीएफआई के अकाउंट में 60 करोड़ रुपए आए
सीएए प्रदर्शन के दौरान कई जगहों पर हिंसा हुई। इस हिंसा में पीएफआई के सदस्यों की मिलीभगत सामने आई। जांच एजेंसियों ने जब इसकी जांच शुरू की तो पता चला कि पीएफआई के अकाउंट में 60 करोड़ रुपए आने की बात पता चली। इसमें से 30 करोड़ रुपए कैश में आए। पीएफआई को नकद डोनेशन बढ़ई, दर्जी , राजमिस्त्री के नाम पर मिले। यही नहीं दंगों और पीएफआई के अकाउंट से निकलने वाली रकम का सीधा संबंध जुड़ा है। यह बात देखने में आई है कि पीएफआई के फंड से रकम निकलने के बाद हिंसा एवं दंगे तेजी से बढ़े। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह केवल एक संयोग नहीं हो सकता।
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