तवज्जो न मिलने से बेचैन है बांग्लादेश की आंतरिम सरकार, हसीना के बहाने भारत को दिखा रही अकड़, PM मोदी से मिलने को बेताब यूनुस

Mohammad Yunus News: भारत की ओर से प्रतिक्रिया नहीं मिलने से बांग्लादेश की इस अंतरिम सरकार में अंदर ही अंदर एक खलबली मची हुई है। वहां के नेता सोच रहे हैं कि भारत उनके बारे में कुछ बोल क्यों नहीं रहा, कुछ कर क्यों नहीं रहा? भारत एक बड़ा देश है, उसकी अपनी कूटनीति और वैश्विक मसले हैं।

गत पांच अगस्त को बांग्लादेश में हुआ तख्तापलट।

Mohammad Yunus : शेख हसीना को बांग्लादेश से निकले एक महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है। बीते आठ अगस्त को वहां अंतरिम सरकार का गठन भी हो गया। इस सरकार के मुखिया नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस बनाए गए। पड़ोसी देश में हुए इस तख्तापलट को भारत ने स्वीकार करते हुए अंतरिम सरकार को शुभकामनाएं दी और उसके साथ काम करने का संकल्प दोहराया। एक पड़ोसी देश होने का जो एक धर्म होता है, भारत ने उसे निभाया। इस हिंसक तख्तापलट पर भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही इस देश के आंतरिक मामले में किसी तरह का दखल देने की मंशा जाहिर की। हालांकि, भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा पर चिंता जाहिर की और अंतरिम सरकार से हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने की उम्मीद जताई।

भारत पर आए दिन बयानबाजी कर रही यूनुस सरकार

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा कि वहां नई सरकार आ गई है और भारत उसके साथ मिलकर काम करेगा। एक सरकार के साथ एक दूसरी सरकार जिस तरीके से काम करती है, भारत का रवैया उसी तरह का रहा है। बांग्लादेश में हुए इस सत्ता परिवर्तन को लेकर नई दिल्ली ने कोई बेचैनी और छटपटाहट नहीं दिखाई और न ही अनर्गल और हल्का बयान दिया लेकिन बांग्लादेश की यह अंतरिम सरकार भारत के बारे में मीडिया में करीब-करीब रोजाना कोई न कोई बयान दे रही है। यह बयान कभी तीस्ता नदी जल परियोजना, तो कभी शेख हसीना के प्रर्त्यपण, कभी आपसी संबंध और कभी सार्क के बारे में है। बांग्लादेश को अगर किसी बात से परेशानी है तो उसे मीडिया में बयानबाजी से परहेज करते हुए एक गंभीर देश के रूप से उसे सीधे भारत सरकार से बात करनी चाहिए। लेकिन वह ऐसा नहीं कर रही है।

तवज्जो न मिलने से बेचैन है अंतरिम सरकार?

यूनुस सरकार में एक बेचैनी और छटपटाहट नजर आ रही है। यह बेचैनी समझी जा सकती है। इसकी एक बड़ी वजह भारत की तरफ से उसे तवज्जो नहीं मिलना है। ऐसा लगता है कि वह इस तख्तापलट के बाद भारत की तरफ से किसी कड़े एक्शन या बयान की उम्मीद कर रहा था लेकिन भारत की तरफ से ऐसा न तो कुछ कहा गया और न ही कुछ किया गया। भारत का बर्ताव सामान्य रहा है। नई दिल्ली के मन में और दिमाग में बांग्लादेश को लेकर क्या चल रहा है, शायद यही बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही है कि भारत अपने पत्ते क्यों नहीं खोल रहा है। दरअसल, भारत 'वेट एंड वॉच' की रणनीति पर काम कर रहा है। जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के बहाने हुए तख्तापलट के पीछे विदेशी शक्तियां हैं। रिपोर्टों की मानें तो इसमें अमेरिका, चीन, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, बीएनपी और जमात ए इस्लामी सबका एक किरदार रहा है।
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