Ram Mandir Pran Pratishtha: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस की दूरी, चुनावी नफा-नुकसान और मजबूरी?

Congress Keeps distance from Pran Pratishtha: राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने कार्यक्रम में न जाने का फैसला बहुत ही गुणा-गणित एवं वोटों के समीकरण की समीक्षा करने के बाद लिया होगा। पार्टी को लगा होगा कि कार्यक्रम में न जाकर उसे चुनाव में ज्यादा फायदा और नुकसान सीमित होगा।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं जाएगी कांग्रेस।

Congress Keeps distance from Pran Pratishtha: राम लला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इंकार करने के बाद कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर है। कांग्रेस के नेता भी कार्यक्रम का न्योता ठुकराने पर असहज हैं और इस फैसले की आलोचना की है। भाजपा इसे कांग्रेस की सनातन विरोधी मानसिकता के रूप में जोड़कर उस पर हमले कर रही है। भाजपा के चौतरफा हमले को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी सफाई पेश की। उसने कहा कि यह भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कार्यक्रम है और उसने अपने नेताओं को वहां जाने से मना किया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा राम मंदिर का राजनीतिकरण करना और चुनाव में इसका फायदा लेना चाहती है।

जाहिर है कि कार्यक्रम में न जाने का फैसला कर कांग्रेस ने भाजपा को एक बड़ा चुनावी मुद्दा दे दिया है। भाजपा राम मंदिर के मुद्दे को चुनाव में लेकर जाएगी और यह बताएगी कि कांग्रेस सनातन विरोधी पार्टी है। इससे भाजपा को चुनाव में फायदा और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। हालांकि, राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने कार्यक्रम में न जाने का फैसला बहुत ही गुणा-गणित एवं वोटों के समीकरण की समीक्षा करने के बाद लिया होगा। पार्टी को लगा होगा कि कार्यक्रम में न जाकर उसे चुनाव में ज्यादा फायदा और नुकसान सीमित होगा।

'धर्मनिरपेक्षता' की विचारधारा से करीब दिखने की कोशिश

कांग्रेस खुद को 'धर्मनिरपेक्ष' दल बताती है। हालांकि, चुनावों के दौरान वह 'सॉफ्ट' हिंदुत्व का सहारा लेती आई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर अपनी 'धर्मनिरपेक्ष' छवि को मजबूत करना चाहती है। उसको लगता होगा कि 'प्रखर हिंदुत्व एवं सनातन की लहर' में चुनाव के दौरान हिंदू वोट भाजपा के साथ जाएगा। इस वोट बैंक में उसके लिए गुंजाइश बहुत कम या न के बराबर होगी। ऐसे में 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की तरफ यदि वह जाती है तो उसका कोर वोट बैंक नाराज हो सकता है या वह दूसरे दल की तरफ जा सकता है। विचारधारा के स्तर पर भाजपा के खिलाफ मजबूत किलेबंदी करने के लिए उसने 'धर्मनिरपेक्ष' की सबसे बड़ी चादर ओढ़ने की कोशिश की है।

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