किसी पर 36 तो किसी पर 40 केस, जानें- पूर्वांचल क्यों बन गया संगठित अपराध का गढ़
Uttar Pradesh Purvanchal Mafia Dons: संगठित अपराध का जिक्र होते ही यूपी के पूर्वांचल वाले हिस्से की चर्चा तेज हो जाती है। अब जबकि गैंगस्टर मामले में माफिया मुख्तार अंसारी पर अहम फैसला आने वाला है तो हर किसी की निगाह उस फैसले पर है। यहां हम बताएंगे कि आखिर क्यों पूर्वाचल संगठित अपराध का गढ़ बन गया।
सिंडिकेट क्राइम के बड़े चेहरे हैं मुख्तार अंसारी
- यूपी के पूर्वी हिस्से को कहा जाता है पूर्वांचल
- इस हिस्से में करीब 25 जिले
- मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह जैसे बड़े अपराधी
Uttar Pradesh Purvanchal Mafia Dons: यूपी को आमतौर पर पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड में बांटा गया है। यहां हम बात करेंगे पूर्वांचल की। अगर आप यूपी से वाकिफ हों तो लखनऊ के बाद पूरब वाले हिस्से को पूर्वांचल कहते हैं,उसमें कुछ जिले अवध क्षेत्र के भी हैं, मसलन फैजाबाद और बहराइच का इलाका। बात जब पूर्वांचल की होती है तो चर्चा के केंद्र में माफिया(mafia in purvanchal),गन कल्चर(gun culture in purvanchal),कोयला(coal syndicate in purvanchal) और ठेके पट्टे की(government tenders) बात आमतौर होती है। सवाल यह कि आखिर पूर्वांचल में सिंडिकेट अपराध या यूं कहें कि संगठित अपराध की वजह क्या है। इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले उन लोगों के बारे में जानना जरूरी है जिनका संगठित अपराध से नाता रहा है। लेकिन इन नामों ने मुख्तार अंसारी(mukhtar ansari), रामू द्विवेदी(ramu diwedi), बृजेश सिंह(brijesh singh), सुशील सिंह(sushil singh), विजय मिश्रा(vijay mishra) का नाम खास है।
पहले पूर्वांचल को समझिए
पूर्वांचल में संगठित अपराध पनपने से पहले यहां के भूगोल और आर्थिक संसाधनों को समझना होगा। अगर बात भूगोल की करें तो सरयू पार के इलाकों की सीमा नेपाल से जुड़ी है। इसके साथ ही देवरिया, कुशीनगर, बलिया, गाजीपुर, सोनभद्र जिलों की सीमा बिहार से जुड़ी है। अपराध शास्त्र से जुड़े लोगों का कहना है कि कोई भी अपराधी या उसका गैंग(Uttar Pradesh Purvanchal Mafia Dons) सबसे पहले भागने के लिए सुरक्षित रास्ते की तलाश करता है। अगर कोई इलाका इस तरह के वातावरण के माकूल हो तो वो अपराधियों के लिए स्वर्ग की तरह माना जाता है। इसके साथ ही वहां आर्थिक हालात कैसे हैं। अगर किसी इलाके में आर्थिक गतिविधियां प्रभावी हैं तो करीब करीब हर हाथ को काम मिल जाता है। लिहाजा बेरोजगार लोग अपराधियों के साथ मेलजोल नहीं बढ़ा पाते। अब अगर आप पूर्वांचल(How Purvanchal became crime garh) को देखें तो उद्योग धंधों के मामले में यह इलाका शून्य है। आर्थिक संसाधन के तौर पर सरकारी योजनाएं ही एकमात्र विकल्प हैं, ऐसे में सरकारी ठेके पट्टे पर कब्जे की लड़ाई की वजह से संगठित गिरोह अस्तित्व में आने लगते हैं।
- हरिशंकर तिवारी- अपराध से अब नाता नहीं
- मुख्तार अंसारी- गाजीपुर जिले से रिश्ता
- बृजेश सिंह- वाराणसी से रिश्ता
- विजय मिश्रा- भदोही से नाता
- सुशील सिंह- चंदौली से नाता
- गुड्डू मुस्लिम- सुल्तानपुर से नाता
- धनंजय सिंह- जौनपुर से नाता, अपराध से इनकार
- अभय सिंह- अयोध्या, पुरानी क्राइम हिस्ट्री
क्या कहते हैं जानकार
पूर्वांचल के अपराध शास्त्र पर नजर रखने वाले बताते हैं कि अगर आप हरिशंकर तिवारी या वीरेंद्र प्रताप शाही की बात करें तो शुरुआए एक राजनीतिक शख्सियत रविंद्र सिंह को लेकर होती है। लेकिन एनईआर का मुख्यालय बनने के बाद संघर्ष का स्वरूप बदला और गोरखपुर को शिकागो ऑफ ईस्ट कहा जाने लगा। दोनों के बीच लड़ाई(Uttar Pradesh Purvanchal Mafia Don) में दर्जनों लोग तबाह हो गए। अगर इसी तरह बनारस के इलाके को देखें तो झरिया और धनबाद से आने वाले कोयला व्यापार पर वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई। उस लड़ाई में ही मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह जैसे गैंग का उदय हुआ और पूर्वांचल की धरती ना जाने कितनी बार रक्तरंजित हुई। जानकार बताते हैं कि सरकारी संसाधनों पर कब्जे की लड़ाई में इन गुटों ने गुर्गों की तलाश शुरू कर दी और कामयाबी भी मिली। उसके पीछे सिर्फ वजह यह थी कि कल कारखानों का ना होना और कम समय में पैसे कमाने की चाह। उदाहरण के लिए तौर पर अगर आप गुड्डू मुस्लिम को देखें तो इस समय वो अतीक अहमद गैंग के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन उसके पिछले रिकॉर्ड को देखें तो उसका जुड़ाव श्रीप्रकाश शुक्ला से लेकर मुख्तार अंसारी तक रहा। वो समय और हालात के हिसाब से गैंग बदलता चला गया।
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