Akhilesh Yadav UP Formula: अखिलेश यादव ने बताया कैसे जीतेंगे यूपी की सभी 80 सीटें, ऐसे किया वोटों का हिसाब-किताब
Akhilesh Yadav UP Election Plan: यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत का दावा करने वाले अखिलेश यादव ने हर लोकसभा क्षेत्र में जीत के लिए फॉर्मूला तैयार किया है। अखिलेश ने गुणा-गणित कर लिया है। जैसे सपा के मुखिया ने 2022 में 400 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था, उसी तरह 2024 में 80 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।
अखिलेश यादव ने बताया 80 सीटों पर जीत का प्लान।
SP Akhilesh Yadav UP Lok Sabha Election 2024 Plan: अखिलेश यादव इन दिनों ये कहते फिर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की जीत होगी। इससे पहले विधानसभा चुनाव 2022 में भी वो ये राग अलाप रहे थे कि यूपी की 403 सीटों में से 400 से अधिक सीटों पर सपा गठबंधन का कब्जा होगा, हालांकि नतीजे आए तो सारे दावे फुस्स हो गए। मगर लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटों पर जीतने का दावा करने वाले अखिलेश ने फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है।
अखिलेश का गुणा-गणित, ऐसे जीतेंगे 80 सीटें
उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत का दावा करने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने गुणा-गणित कर लिया है। उन्होंने बताया है कि कैसे अचानक सभी 80 सीटों पर INDIA गठबंधन के 2 लाख 25 हजार वोट बढ़ गए हैं। आपको बताते हैं कि अखिलेश ये दावा किस आधार पर कर रहे हैं।
1 करोड़ 80 लाख वोट... का लगाया हिसाब-किताब
अखिलेश यादव ने कहा कि 'जनता ने भरोसा किया उनपर, उनको बहुमत दे दिया। लेकिन डबल इंजन की सरकार ने बेरोजगारी दी है। मुझे खुशी है कि तेजस्वी ने यहां पर नौकरियां दे दीं, रोजगार दे दिए। और हम तो वहां (उत्तर प्रदेश में) 60 लाख बच्चे, जिन्होंने पेपर नहीं लिख पाया, उनका हिसाब लगाते हैं। उनका अगर हम बड़ा परिवार न मानें केवल 3 सदस्यीय परिवार मानें- बेटा और मां-बाप... तो 60 गुणा 3, 1 करोड़ 80 लाख वोट... इन एक करोड़ अस्सी लाख लोगों को अगर हमने भाग दे दिया। 80 लोकसभा से, तो केवल उत्तर प्रदेश में 2 लाख 25 हजार हर लोकसभा में वोट कम हो गया है।'
बड़बोलापन अखिलेश यादव को पड़ जाता है भारी
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ये दावा करते फिर रहे थे कि उनकी पार्टी इस चुनाव में 400 सीटों पर जीत हासिल करने जा रही है। शायद उस वक्त भी अखिलेश ये भूल चुके थे कि यूपी में कुल 403 सीटें हैं और अगर वो 400 सीटें जीत लेंगे तो क्या अन्य पार्टियां सिर्फ ताली बजाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं? मगर नतीजे आए तो अखिलेश की पार्टी महज 125 सीटों पर सिमट कर रह गई और भाजपा ने 273 सीटें जीतकर दमदार कमबैक किया। अब एक बार फिर अखिलेश वैसा ही खोखला दावा कर रहे हैं। वो लोकसभा चुनाव से पहले भी ये बोल रहे हैं कि यूपी की सभी 80 सीटों पर भाजपा को हार मिलेगी। कहीं अखिलेश का बड़बोलापन फिर से 2024 में उन्हें ना ले डूबे।
अखिलेश ने तेजस्वी यादव की पीठ थपथपाई
पटना में आयोजित ‘जन विश्वास रैली’ में अखिलेश यादव ने कहा कि 'तेजस्वी ने बिहार में पलट करके दूसरा काम किया। अभी तीन लाख नौकरी दी, हिसाब लगा लो कितने परिवारों का जीवन बदला। और सोचो 10 लाख नौकरी मिल जाती तो कितने परिवारों का भविष्य बदल जाता। इसलिए जो लोग कहते हैं कि परिवार वाले हम लोग हैं, ये जो आरोप लगाते हैं परिवार वाला आरोप.. हम लोगों पर, मैं उन भारतीय जनता पार्टी के लोगों से कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी इस बार संकल्प ले कि किसी परिवार वाले को टिकट नहीं देंगे और संकल्प ये भी ले कि किसी परिवार वाले से वोट मांगने भाजपा के लोग नहीं जाएंगे।'
एक मंच पर फिर नजर आए राहुल और अखिलेश
इस रैली में जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी पहुंचे तो उनका मंच पर सभी ने स्वागत किया। राहुल ने सभी से मुलाकात की, मगर अखिलेश और राहुल की मुलाकात में वो गर्मजोशी नजर नहीं आई। ये तो तय है कि अखिलेश और राहुल के बीच अब पुरानी बात नहीं है, मगर कहीं न कहीं 2024 के लोकसभा चुनाव के नजरिए से अखिलेश कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं। कांग्रेस का क्या है, पिछले लोकसभा चुनाव में उसे उत्तर प्रदेश में महज एक सीट नसीब हुई थी, अगर वो सपा के साथ चुनाव लड़ रही है तो सीटों में इजाफा होने की संभावना है, उसे नुकसान का कोई डर नहीं है।
मगर अखिलेश ने इस बात को याद रखा है कि जब उन्होंने बसपा का साथ छोड़ा तो आजमगढ़ और रामपुर जैसी सीटों पर हुए उपचुनाव में उन्हें करारी शिकस्त नहीं झेलनी पड़ी थी। अगर वो अकेले चुनाव लड़ेंगे तो सारा गुणा-गणित बिगड़ सकता है। ऐसे में अखिलेश यादव के लिए कांग्रेस का साथ जरूरी भी है और उनकी मजबूरी भी है।
क्या है पीडीए और अखिलेश को क्यों है भरोसा?
यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए अखिलेश यादव को पीडीए पर पूरा भरोसा है। आपको बताते हैं कि आखिर ये पीडीए है क्या... तो पीडीए तीन अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना है। PDA= पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ‘पीडीए’ जन पंचायत पखवाड़े के जरिए खुद को मजबूत करने की कोशिशों में जुटी है।
पटना में राजद की ‘जन विश्वास रैली' में हुई जुटान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव रविवार को पटना में आयोजित ‘जन विश्वास रैली’ में शामिल हुए। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित इस रैली को लोकसभा चुनाव से पहले इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इस रैली का आयोजन राष्ट्रीय जनता दल ने किया है।
इस रैली में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के अलावा उनके पुत्र तेजस्वी यादव और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी राजा सहित कई अन्य शीर्ष नेता शामिल हुए। रैली स्थल पर ‘महागठबंधन’ (जिसमें कांग्रेस, राजद और वामपंथी दल शामिल हैं) के समर्थकों की भारी भीड़ दिखी। राजद की इस ‘जन विश्वास रैली’ को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की राज्यव्यापी ‘जन विश्वास यात्रा’ के समापन पर आयोजित किया गया है।
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आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो...और देखें
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