350 बार मिली हार, जीत के लिए नहीं; हारने के लिए लड़ते रहे चुनाव, जानिए कौन हैं वो शख्स जिसने बनाया ये रिकार्ड
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव-2024 के लिए हर राजनीतिक दल के साथ-साथ इस बार चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी अपनी तैयारियों में जुटे हुए है, लेकिन ऐसे में आज आप को ऐसे व्यक्ति के बारे में बतायेंगे जो चाहे पार्षद का चुनाव, विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का चुनाव हो हर बार हर चुनाव लड़ते थे। जी हां, हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के काका जोगिंदर सिंह उर्फ धरती पकड़ की। इन्हें इलेक्शन किंग के नाम से भी जाना जाता है।
मिलिए काका जोगिंदर सिंह से जिन्होंने चुनावों में हारने का बनाया अनोखा रिकार्ड
Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के काका जोगिंदर सिंह उर्फ धरती पकड़ ने 1962 से लेकर अपने निधन से पहले तक हर चुनाव में नामांकन कराया लेकिन सिर्फ हारने के लिए। काका जोगिंदर सिंह की इस विशेषता की वजह से उनका नाम पूरे देश में मशहूर है। चुनाव नगर निगम के पार्षद का हो या विधानसभा और लोकसभा का या फिर उप राष्ट्रपति और राष्ट्रपति का हो, उन्होंने अपने जीवन में हर चुनाव लड़ा। कुल मिलाकर उन्होंने 36 साल में 350 चुनाव लड़े लेकिन वह सिर्फ नामांकन कराते थे और उसके वोटरों के बीच जाकर बोलते थे कि मुझे वोट न देना, मैंने तो हारने के लिए नामांकन कराया है। बताया जाता है कि उनके चुनाव प्रचार करने का तरीका भी बिल्कुल अलग था। वह साइकिल से प्रचार करते थे। खुद को वोट न देने की अपील करते थे। वह प्रचार के दौरान कहते थे कि चुनाव में खड़ा हूं, मुझे हरा देना। हार के बाद वह मिश्री से लोगों का मुंह भी मीठा कराते थे। उन्हें बारहमासी उम्मीदवार कहा जाता था। वहीं, 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में काका जोगेंद्र सिंह उर्फ धरती पकड़ ने जनपद बिजनौर की सातों सीटों पर नामजदगी कराई थी। ऐसा नहीं है कि वह शून्य पर सिमट गए हों। प्रत्येक विधानसभा से उनकी झोली में मतदाताओं ने कुछ मत जरूर डाले।
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हर चुनाव में काका जोगिंदर सिंह की जमानत जब्त होती थी। वह कहते थे कि उनकी सिक्योरिटी राशि सरकार के काम आए इसलिए वह नामांकन राशि जमा करते हैं। हर चुनाव में नामांकन कराने के पीछे काका जोगिंदर सिंह की मंशा चुनाव प्रक्रिया को बदलने की हुआ करती थी। उनका मानना था कि देश में इलेक्शन नहीं, सलेक्शन होना चाहिए, क्योंकि इलेक्शन से देश पर खर्चे का भारी बोझ पड़ता है और जनता के सामने सिर्फ राजनीतिक दलों के थोपे प्रत्याशी ही चुनने का अधिकार होता है। अगर जनता उनमें से किसी को नहीं चुनना चाहे तो वह कुछ नहीं कर सकती इसलिए सरकार को जनप्रतिनिधि का सलेक्शन जनता की इच्छा के अनुसार करना चाहिए। न कि राजनीतिक पार्टियों के अनुसार। हालांकि लोगों का कहना था कि काका जोगिंदर सिंह उर्फ धरती पकड़ हर चुनाव इसलिए भी लड़ते थे, क्योंकि वह देश में सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड कायम करना चाहते थे।
काका ने राष्ट्रपति चुनाव में भी करा दिया था नामांकन
काका जोगिंदर सिंह ने एक बार राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव में भी अपना नामांकन करा लिया था। वह राष्ट्रपति चुनाव में डॉ. शंकरदयाल शर्मा और उपराष्ट्रपति के चुनाव में केआर नारायण के खिलाफ खड़े हो गए। जबकि इन पदों पर निर्विरोध चुनाव के लिए पक्ष और विपक्ष भी उस वक्त एक मत था, लेकिन काका जोगिंदर सिंह के नामांकन कराने के बाद चुनाव निर्विरोध नहीं हो सके।
गुजरांवाला में हुआ था जन्म
काका जोगिंदर सिंह भारत के गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) में 1918 में जन्मे थे। बंटवारे के बाद उनका परिवार बरेली में बस गया था। यहां बड़ा बाजार में काका की कपड़ों की दुकान आज भी है। उन्होंने पहला चुनाव बरेली शहर विधानसभा से वर्ष 1962 में लड़ा था। इसमें उनको 747 वोट मिले थे। इसके बाद वह हर चुनाव में नामांकन कराने लगे। उत्तर प्रदेश ही नहीं, किसी राज्य में लोकसभा चुनाव लड़ने को वह चले जाया करते थे। 1991 में उन्होंने हरियाणा की रोहतक व भिवानी सीट से लोकसभा चुनाव में नामांकन कराया। 1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में काका जोगिंदर सिंह ने हरदोई जिले की सभी नौ सीटों से नामांकन करा दिया।
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