महाराष्ट्र में कहां फंस गई भाजपा, क्या अजित पवार और शिंदे की वजह से बिगड़ा खेल? 5 पॉइंट में समझिए सबकुछ

BJP Stuck in Maharashtra: अजित पवार ने अपने चाचा की पार्टी एनसीपी तोड़ी और भाजपा के साथ आ गए, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना तोड़ दी और भाजपा के साथ आकर मुख्यमंत्री बन गए। इस चुनाव में शिंदे और पवार के साथ मिलकर भाजपा ने चुनाव लड़ा, जिसके चलते इस राज्य में 'मोदी की गारंटी' को भारी नुकसान झेलना पड़ा।

Maharashtra Election

अजित पवार और एकनाथ शिंदे के चलते भाजपा को महाराष्ट्र में झटका।

Maharashtra Lok Sabha Election Result: देश की सियासत में महाराष्ट्र का कद दूसरे स्थान पर है। ये वही सूबा है, जहां दूसरी सबसे अधिक 48 लोकसभा सीटें हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजें आने लगे हैं। अब तक के रुझानों में ये तस्वीर साफ होती दिख रही है, इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। 2019 के चुनावों में जिस भाजपा ने महाराष्ट्र की 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 23 सीटों पर जीत हासिल की थी, वो अब 12 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है।

क्या शिंदे और अजित पवार के चलते हुआ खेल?

बीते कुछ सालों में महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा खेला देखने को मिला है। अजित पवार ने अपने चाचा की पार्टी एनसीपी तोड़ी और भाजपा के साथ आ गए, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना तोड़ दी और भाजपा के साथ आकर मुख्यमंत्री बन गए। इस चुनाव में शिंदे और पवार के साथ मिलकर भाजपा ने चुनाव लड़ा, जिसके चलते भारी नुकसान झेलना पड़ा। आपको उन पांच फैक्टर को समझना चाहिए, जिसके चलते महाराष्ट्र में एनडीए की हवा निकल गई।

1). शिंदे की बगावत से लोगों में नाराजगी

जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के सीएम रहते हुए शिवसेना को तोड़ा और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई, तो ये सवाल उठने लगा कि आखिर असली शिवसेना कौन है। उद्धव खेमे के नेताओं ने लगातार शिंदे की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया। भले ही शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री पद हासिल कर लिया हो, लेकिन उन्होंने लोगों के विश्वास को नहीं जीत पाया। महाराष्ट्र की जनता ने इस चुनावी परिणाम के जरिए अपनी नाराजगी बयां कर दी है।

2). अजित पवार पर महाराष्ट्र को भरोसा नहीं

महाराष्ट्र की सियासत में चाचा-भतीजे की लड़ाई किसी से नहीं छिपी है। शरद पवार से उनके भतीजे अजित पवार ने एक नहीं दो-दो बार बगावत की। पहली बार तो चाचा ने भतीजे को माफ कर दिया, लेकिन इस बार चाचा से धोखा देने के बाद अजित पवार को महाराष्ट्र की जनता ने सबक सिखा दिया है। महाराष्ट्र ने नतीजों में ये साफ कर दिया कि उन्हें अजित पर जरा भी भरोसा नहीं है।

3). शरद पवार ने फिर भाजपा को दिखाई ताकत

मराठा योद्धा और महाराष्ट्र की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार ने एक बार फिर ये साबित किया कि उनसे पंगा लेना आसान नहीं है। उन्होंने कई मौकों पर ये दिखाया है कि साम दाम दंड भेद का इस्तेमाल करके वो किसी को भी पटखनी दे सकते हैं। उन्होंने वो दौर याद दिलाया जब महाराष्ट्र की पूरी सियासत पवार के ही आस-पास घूमती नजर आती थी। भाजपा की इस हार में कहीं न कहीं शरद पवार की बड़ी भूमिका रही।

4). उद्धव ठाकरे के प्रति महाराष्ट्र की सहानुभूति

जब शिवसेना टूटी और एकनाथ शिंदे ने ज्यादातर विधायकों और सांसदों को अपने खेमे में शामिल कर लिया, उस वक्त उद्धव ठाकरे ने ये सवाल उठाया था कि असली शिवसेना कौन है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी की टूट के बाद ये पहला बड़ा चुनाव है, जिसमें जनता ने अपनी सहानुभूति उद्धव ठाकरे और शरद पवार की ओर झुका दी। उद्धव ठाकरे ने सीधे तौर पर एकनाथ शिंदे गुट को करारा जवाब दिया है।

5). कांग्रेस की ताकत नहीं समझ पाई भाजपा

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा में महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों पर ज्यादा से ज्यादा फोकस किया। कांग्रेस धीरे-धीरे महाराष्ट्र में मजबूत होती गई, हालांकि उसके पुराने नेता टूटते रहे और दूसरी पार्टियों का दामन थामते रहे। इसका खास असर इस चुनाव पर नहीं पड़ा और कांग्रेस को कम आंकना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चूक साबित हुई।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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