2024 की राह एक, पर चुनौतियां अनेकः समझिए, नरेंद्र मोदी के NDA रथ के आगे विपक्ष के INDIA का क्यों टिकना न होगा आसान
INDIA vs NDA: एक्सपर्ट्स की मानें तो सीट शेयरिंग विपक्ष के इंडिया के लिए सबसे बड़ी समस्या बन सकती है और इसी पर पूरा मसला अटक सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि संभव है कि गठबंधन में पहली बार कांग्रेस को बेहद सीटों पर चुनावी ताल ठोंकनी पड़ी, जबकि वह बीते पांच लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीटों पर लड़ती दिखी थी।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)
INDIA vs NDA: साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी मोर्चे के तहत भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विरोधी 26 दल "इंडिया" की छतरी तले आ चुके हों, मगर उनके लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं है। रास्ता तो सीधा और एक है पर यह किसी आग के दरिया से कम नहीं है, जिसे इंडिया गठबंधन किसी तरह पार करने की कोशिश करेगा। आइए, समझते हैं कि मोदी के एनडीए रथ को रोकने के दौरान इंडिया को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा:
यूपीए की जगह ले चुके इंडिया के नेताओं में कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुरुआत में यह जरूर कहा कि उन्हें बहुत कुछ नहीं चाहिए, पर यह बात और नेताओं ने नहीं कही है। ऐसे में समझा जा सकता है कि हर दल की अपनी आकाक्षाएं होंगी। सियासी जानकार सीधे तौर पर मानते हैं कि विपक्षी गठजोड़ को विभिन्न मसले सुलझाने हैं, जबकि पीएम फेस और संयोजक चेहरे पर भी खींचतान की नौबत आ सकती है। हालांकि, प्रधानमंत्री के लिए उम्मीदवार का नाम चुनाव के नतीजे आने तक टाला जा सकता है, मगर संयोजक पर यह समस्या पहले सामने आ सकती है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो सीट शेयरिंग विपक्ष के इंडिया के लिए सबसे बड़ी समस्या बन सकती है और इसी पर पूरा मसला अटक सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि संभव है कि गठबंधन में पहली बार कांग्रेस को बेहद सीटों पर चुनावी ताल ठोंकनी पड़ी, जबकि वह बीते पांच लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीटों पर लड़ती दिखी थी। अगर कांग्रेस इस बार 350 सीट पर भी लड़ी तो बाकी की 200 सीटें कहां जाएंगी? यह सवाल पूरे इंडिया खेमे में निश्चित ही सिरदर्दी पैदा कर सकता है। माना जा रहा है कि नवंबर-दिसंबर के बाद थोड़ी तस्वीर साफ होगी कि एनडीए के खिलाफ जो हुंकार इंडिया की ओर से भरी गई है, वह कितनी कारगर साबित हो पाएगी।
इतना ही नहीं, राष्ट्रीय मंच पर मोदी और बीजेपी के मुकाबले के लिए ये दल इंडिया में भले ही समा गए हों, लेकिन कई राज्यों में कुछ दलों के बीच आपसी टकराव की स्थिति बरकरार है। फिर चाहे बंगाल में टीएमसी के सामने कांग्रेस या वाम दल हों या फिर दिल्ली में आप के आगे कांग्रेस और अन्य पार्टियां।
उधर, महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे) के बाद एनसीपी (शरद पवार बनाम अजित पवार भी टूट गई। जहां पवार (ढलती उम्र के चलते अधिक सक्रिय न रहने की आशंका) के परिवार से कई चेहरे आने आने की आस लगाए हैं, वहां मतभेद होने के कयास मालूम पड़ते हैं, जबकि इस सूबे में पवार पर एनडीए की पैनी नजर है। सूत्रों की मानें तो दिवाली तक वहां बड़ा सियासी खेल हो सकता है।
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