Mahakumbh 2024: महाकुंभ को लेकर एक बार फिर चर्चा के केंद्र में मुसलमान, जान लीजिए दो प्रमुख वजह

Muslims in Mahakumbh: महाकुंभ 2025 के शुरू होने से पहले आए दिन नए मुद्दे गरमा रहे हैं। एक बार फिर मुसलमान चर्चा के केंद्र में हैं। एक तरफ ‘महाकुंभ’ में मुसलमानों के प्रवेश को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। वहीं दूसरी ओर कुछ मौलाना ये दावा कर रहे हैं कि महाकुंभ वक्फ की जमीन पर लग रहा है। आपको इस विवाद के एक-एक पहलू से रूबरू करवाते हैं।

Muslims in Mahakumbh

महाकुंभ में मुस्लिम और वक्फ को लेकर छिड़ा विवाद।

Controversy for Mahakumbh 2024: महाकुंभ की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है, देशभर के कोने-कोने से श्रद्धालु प्रयागराज स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। इस बीच महाकुंभ 2025 को लेकर विवाद भी गरमा गया है। एक बार फिर मुसलमान चर्चा का केंद्र बन गए हैं। मुख्य रूप से दो मुद्दे इन दिनों विवाद की वजह बन रहे हैं। पहला विवाद है कि एक मौलाना ने दावा किया है कि वक्फ की जमीन महाकुंभ लग रहा है। वहीं दूसरा विवाद मुसलमानों के प्रवेश को लेकर छिड़ा हुआ है।

»वजह नंबर 1- महाकुंभ की जगह को बताया वक्फ की जमीन

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारी अपने अंतिम चरण में है। महाकुंभ मेले में मुस्लिमों के प्रवेश और दुकानें लगाने को लेकर बयानबाजी तेज है। इस बीच उत्तर प्रदेश के बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी बड़ा दावा करते हुए महाकुंभ स्थल की जमीन को वक्फ की संपत्ति करार दिया। जिसके बाद हिंदू पक्ष से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। बरेलवी के दावे पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, विश्व हिंदू परिषद और साध्वी ऋतंभरा समेत कई दिग्गजों ने जवाब दिया है।

मौलाना का दावा- वक्फ की जमीन पर लग रहा महाकुंभ

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने रविवार को एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने हमेशा बड़ा दिल दिखाया है और उसके सबूत दिए हैं। उसकी मिसालें भी बहुत सारी मिलेंगी। महाकुंभ मेले में अखाड़ा परिषद, नागा संन्यासियों और स्वामी बाबाओं ने मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया। लेकिन खुद प्रयागराज के जो मुसलमान हैं, उनमें से एक सरताज ने इस बात की जानकारी दी कि जिस जमीन के ज्यादातर हिस्से पर शामियाने और तंबू लगाए गए हैं, वो जमीन वक्त की है और वहां के मुसलमानों की है। ये जमीन लगभग 54 बीघा है।

उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद भी मुसलमानों की दरियादिली देखिए कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए मेले की तैयारियों पर कोई आपत्ति नहीं की है। मगर अखाड़ा परिषद और दूसरे बाबा लोगों की तंग दिली देखिए कि वे मेले में मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी लगा रहे हैं। मेले में मुसलमानों को दुकानें लगाने के लिए मना कर रहे हैं। वक्फ की 55 बीघा जमीन पर मेला लग रहा है। इन तमाम चीज़ों को बहुत गौर से साधु संतों को सोचना चाहिए। उन्हें इस तरह की सोच को छोड़नी होगी, मुसलमानों की तरह बड़ा दिल दिखाना होगा। वहां के जो जिम्मेदार लोग हैं उन लोगों को इस पर गौर करना चाहिए।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के दावे पर आया जवाब

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी द्वारा कथित तौर पर इस दावे पर जवाब दिया, जिसमें बरेलवी ने कहा कि महाकुंभ का आयोजन वक्फ की जमीन पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि "सच्चाई यह है कि प्रयागराज कुंभ बहुत प्राचीन है। तब इस्लाम का अस्तित्व ही नहीं था, उन्हें कुंभ का इतिहास नहीं पता। इसीलिए वह कह रहे हैं कि यह वक्फ की जमीन पर हो रहा है, यह सच नहीं है।"

बरेलवी के दावे पर विश्व हिंदू परिषद ने दिया ये जवाब

अखिल भारतीय मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी द्वारा कथित तौर पर इस दावे का समर्थन किए जाने पर कि महाकुंभ का आयोजन वक्फ की जमीन पर किया जा रहा है, विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल कहते हैं, "...'नमाजवादी पार्टी' और 'नमाजवादी गैंग' - एक कह रहा है कि धर्मांतरण हो रहा है, जबकि दूसरा दावा कर रहा है कि यह (महाकुंभ) वक्फ बोर्ड की जमीन पर आयोजित किया जा रहा है। यह कुंभ तब से आयोजित किया जा रहा है, जब इस्लाम का अस्तित्व नहीं था। यह वक्फ बोर्ड की पोल खोलता है... मुझे लगता है कि सभी मौलाना जिन्ना की लाइन पर चल रहे हैं और उन्होंने जो कहा था - 'लड़के लिया पाकिस्तान, कर लेंगे हिंदुस्तान'। गजवा-ए-हिंद का सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा और अगर आप ऐसी बेतुकी बातें कहते रहेंगे, तो इसका नतीजा आपके लिए नकारात्मक ही होगा..."

अखिल भारतीय मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन पर रज़वी बरेलवी ने कथित तौर पर इस दावे का समर्थन किया कि महाकुंभ का आयोजन वक्फ की ज़मीन पर किया जा रहा है, साध्वी ऋतंभरा ने कहा, "जिन्होंने धर्म के आधार पर देश को विभाजित किया, वे वक्फ की साजिश के तहत भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहे हैं, इस साजिश को रोका जाना चाहिए... (महाकुंभ को लेकर) कोई राजनीति नहीं हो रही है, यह 'धर्म' और 'पुण्य' पाने की जगह है..."

»वजह नंबर 2- मुसलमानों के प्रवेश को लेकर छिड़ा विवाद

प्रयागराज में इस महीने शुरू हो रहे ‘महाकुंभ’ में मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की कुछ संगठनों की मांग के बीच मुस्लिम धर्मगुरु इसमें मुस्लिम समुदाय की भागीदारी को लेकर एकमत नहीं हैं। संभवतः महाकुंभ के आयोजन के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब इसे लेकर मुसलमान भी चर्चा के केंद्र में हैं। मुसलमानों को महाकुंभ में नहीं जाने की सलाह देकर सुर्खियों में आए ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में आशंका जताई कि महाकुंभ में सैकड़ों मुसलमानों का धर्मांतरण कराए जाने की योजना है, इसलिए सरकार ऐसे मंसूबों को नाकाम करने के लिये कदम उठाये।

हालांकि, रजवी ने पिछले साल नवंबर में अखाड़ा परिषद द्वारा महाकुंभ में मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि यह मांग अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। हालांकि, अब मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने दूसरा नजरिया रखा है। रजवी ने कहा कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से महाकुंभ में मुसलमान का धर्मांतरण करने की तैयारी की सूचना मिली थी, लिहाजा एक जागरूक नागरिक के तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस आशंका से अवगत कराया है। मुसलमानों को महाकुंभ में नहीं जाने की अपनी सलाह को सही ठहराते हुए रजवी ने कहा, ‘‘अखाड़ा परिषद और नागा संन्यासियों ने बैठक करके मुसलमानों पर महाकुंभ में दुकान लगाने पर पाबंदी लगाने की बात कही थी इसीलिए हमने मुसलमानों को किसी परेशानी से बचने के लिए महाकुंभ में नहीं जाने की सलाह दी थी।’’

महाकुंभ के आयोजन से पहले चर्चा की केंद्र में मुसलमान

जमीयत उलमा-ए-हिंद (एएम) की उत्तर प्रदेश इकाई के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि शायद ऐसा पहली बार है जब महाकुंभ के आयोजन से पहले मुसलमान चर्चा की केंद्र में हैं। रशीदी ने कहा, ‘‘ऐसी बातें करना संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन है क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है लिहाजा महाकुंभ में मुसलमान को प्रतिबंधित करने की बात करना संविधान की आत्मा को कुचलने जैसा है।’’ ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, ‘‘अगर कोई मुसलमान अपने ज्ञानवर्धन के लिए महाकुंभ में जाता है तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। इस्लाम मजहब इतना हल्का और कमजोर नहीं है कि कहीं पर जाकर खड़े होने या कोई मेला देखने या किसी मजहबी इबादतगाह को देखने से वह खतरे में पड़ जाएगा।’’

महाकुंभ में मुसलमानों का धर्मांतरण कराए जाने की मौलाना रजवी की आशंका के बारे में पूछे जाने पर अब्बास ने कहा, ‘‘अगर किसी की धार्मिक आस्था की नींव मजबूत है तो कोई भी व्यक्ति उसका धर्मांतरण नहीं कर सकता।’’ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने हाल ही में कहा था कि इस बार कुंभ में आधार कार्ड के आधार पर प्रवेश दिया जाए ताकि कोई गैर सनातनी मेला क्षेत्र में दाखिल ना होने पाए। बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भी महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

उत्तर प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आपने देखा होगा कि मोहन भागवत जी का बयान आया था। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग विवाद खड़ा करके नेता बनना चाहते हैं। इस तरह के कुछ लोग हर जगह होते हैं। चार भाई हैं तो चारों का मिजाज एक तरह का नहीं होता। इसे कोई रोक भी नहीं सकता। यह हमेशा होता रहा है।’’ रजा ने कहा, ‘‘मैं अनेक बार कुंभ में गया हूं और अनेक मुसलमान कुंभ में जाते हैं। मुस्लिम समाज के अनेक लोग महाकुंभ की व्यवस्था में लगते हैं। मुसलमानों को महाकुंभ से बाहर रखने की मांग करना सनातनी संस्कार नहीं है। मुसलमानों के कुंभ में आने पर पाबंदी लगाने की मांग करने वालों को यह सोचना पड़ेगा।’’

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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