महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: MVA को 'DMK समीकरण' का सहारा, लोकसभा की तरह चौंका सकते हैं नतीजे
Maharashtra Assembly Election: मुस्लिम वोटरों का समर्थन महाराष्ट्र चुनाव में भी एमवीए के लिए एक मजबूत आधार माना जा रहा है। लोकसभा चुनावों में करीब 72 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने एमवीए के पक्ष में वोट दिया था, जबकि महायुति को मात्र 12 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव।
Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का माहौल अब तेज होता जा रहा है। महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने अपनी पूरी ताकत इस चुनावी संघर्ष में झोंक दी है। एमवीए, जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) का गठबंधन शामिल है, इस बार अपने खास डीएमके (दलित, मुस्लिम, कुनबी) समीकरण पर पूरा भरोसा कर रहा है। लोकसभा चुनावों में इस समीकरण के आधार पर उन्हें अच्छा समर्थन मिला था, और अब विधानसभा चुनावों में इसी रणनीति को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
लोकसभा चुनावों में सफलता और विधानसभा की चुनौतियां
2024 के लोकसभा चुनावों में एमवीए ने दलित, मुस्लिम और मराठा मतदाताओं के समर्थन के दम पर महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यह बड़ी सफलता थी ,लेकिन विधानसभा चुनावों के समीकरण और मुद्दे आमतौर पर लोकसभा चुनावों से अलग होते हैं। लोकसभा में जहां राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहते हैं, वहीं विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय समीकरणों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, दलित और मुस्लिम मतदाता इस चुनाव में भी एमवीए के साथ बने हुए हैं। लेकिन मराठा वोटरों का रुख इस बार थोड़ा असमंजसपूर्ण है। इस समुदाय का समर्थन एमवीए और महायुति (भाजपा और शिवसेना का गठबंधन) में बंट सकता है। मराठा बहुल्य क्षेत्रों में समर्थन को सुनिश्चित करने के लिए एमवीए ने वरिष्ठ नेता शरद पवार और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जिम्मेदारी सौंपी है। ये दोनों नेता मराठवाड़ा और अन्य मराठा बहुल क्षेत्रों में धुआंधार प्रचार कर रहे हैं।
सूत्रों से मिले आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा चुनावों में ओबीसी वोटरों का समर्थन महायुति और एमवीए दोनों में लगभग बराबर बंटा था, जबकि 58 प्रतिशत मराठा मतदाताओं ने महायुति का समर्थन किया था, वहीं 38 प्रतिशत ने एमवीए को चुना था। 46 प्रतिशत दलितों और 55 प्रतिशत आदिवासियों ने एमवीए को समर्थन दिया था।
आरक्षित सीटों पर खरगे और राहुल गांधी ने संभाली कमान
आरक्षित सीटों पर एमवीए ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को प्रचार की कमान सौंपी है। ये नेता संविधान, आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाकर दलित और आदिवासी समुदायों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि इन मुद्दों से दलित और आदिवासी मतदाता एमवीए के पक्ष में लामबंद होंगे और गठबंधन को विधानसभा में बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचा सकते हैं।
मुस्लिम वोट और एमवीए की रणनीति
मुस्लिम वोटरों का समर्थन इस चुनाव में भी एमवीए के लिए एक मजबूत आधार माना जा रहा है। लोकसभा चुनावों में करीब 72 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने एमवीए के पक्ष में वोट दिया था, जबकि महायुति को मात्र 12 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एमवीए ने डीएमके समीकरण और संविधान तथा आरक्षण जैसे मुद्दों को अपने प्रचार की धुरी बनाया है। दलित, मुस्लिम और आदिवासी समुदायों में अपनी पकड़ को मजबूत बनाकर, एमवीए बहुमत हासिल करने की कोशिश में है। हालांकि, मराठा वोटों के बंटवारे और ओबीसी समुदाय के रुख को देखते हुए यह कहना जल्दबाजी होगी कि एमवीए को बहुमत मिलेगा। दोनों गठबंधनों के बीच इस चुनाव में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है ।
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13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियास...और देखें
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