पहले शिवसेना, फिर एनसीपी में टूट; पिछले दो साल में कितनी बदली महाराष्ट्र की सियासत?

Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे को सीएम बने दो साल बीत चुके हैं, लेकिन उनकी चिंता भी अब दोगुनी बढ़ चुकी है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी राह आसान नहीं होगी। अजित पवार के सामने भी चाचा से पार पाने की चुनौती है। आपको बताते हैं कि फिलहाल महाराष्ट्र के सियासी समीकरण क्या कहते हैं।

महाराष्ट्र में क्या होगा?

Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक पार्टियों के दिग्गजों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि एकनाथ शिंदे का क्या होगा, क्योंकि जब उन्होंने शिवसेना को तोड़ा और भाजपा के साथ आकर सरकार बनाई तो उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के पास शिंदे को सीएम बनाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। अब उस फैसले को जरूरी कहा जाए, या फिर भाजपा की मजबूरी कही जाए। बात एक ही है। मगर अब एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बने हुए दो साल बीत चुके हैं और सूबे के सियासी हालात भी काफी बदल चुके हैं।

कौन बनेगा महाराष्ट्र का असली बाहुबली?

सूबे की सियासी रणभूमि पर इस साल होने वाले चुनावी युद्ध में जीत का बिगुल कौन बजाता है, इसका फैसला महाराष्ट्र की जनता के हाथों में है। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से ये समझा जा सकता है कि भाजपा और एनडीए गठबंधन की तुलना में विपक्षी दलों के गठबंधव INDIA ने दमदार प्रदर्शन किया। इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि राज्य में जिस तरह विपक्ष की ताकत बढ़ी है, उससे बीजेपी की टेंशन में भी जबरदस्त इजाफा हुआ। बीते दो साल में महाराष्ट्र की सियासत में कई ऐसे उलटफेर देखे गए, जिससे इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव का सारा समीकरण ही बदल चुका है।

महायुति गठबंधन में टेंशन?

तस्वीर साभार : Times Now Digital

जब शिंदे ने उद्धव की शिवसेना में की सेंधमारी

साल 2022 के जून महीने की बात है, जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में दो फाड़ कर दिया था और उद्धव ठाकरे सरकार को 440 वोल्ट का झटका दिया था। शिंदे ने उद्धव की सरकार तो गिराई ही, साथ ही उस वक्त ज्यादातर विधायक और सांसदों को अपने पाले में सामिल कर लिया था। उस वक्त सरकार गिराने के बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाई और खुद सीएम बन गए, उनको सीएम बने हुए अब दो साल बीत चुके हैं। शिंदे के बाद मौका देखते हुए शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी दो फाड़ हो गया। शरद के भतीजे अजित पवार ने बिल्कुल शिंदे वाले अंदाज में चाचा को चित कर दिया और भाजपा के साथ सरकार में शामिल हो गए और डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बैठ गए। उन्होंने प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल जैसे नेताओं को अपने खेमे में शामिल कर लिया।
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