भारत विरोधी रुख को और मजबूत करेगा मुइज्जू का चीन दौरा, बार-बार तेवर दिखा रहे मालदीव के राष्ट्रपति
Maldives President Mohamed Muizzu : चीन के प्रति उनके झुकाव के सवाल पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह केवल मालदीव के हितों का पालन करने के लिए बीजिंग दौरे पर जा रहे हैं। खास बात यह है कि मालदीव में लोकतांत्रिक रूप से जो भी नया राष्ट्रपति चुना जाता है, पारंपरिक रूप से उसका पहला आधिकारिक दौरा भारत का होता है
चीन के दौरे पर जाने वाले हैं मालदीव के राष्ट्रपति।
Maldives President Mohamed Muizzu : मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद मोहम्मद मुइज्जू लगातार भारत के हितों के खिलाफ जाकर बयान दे रहे हैं। उनकी कार्यशैली और बयान दोनों देशों के ऐतिहासिक एवं दोस्ताना रिश्ते के लिए ठीक नहीं माना जा रहा है। मुइज्जू ने एक बार फिर तेवर दिखाते हुए भारत की मददगार पहल पर सवाल उठाए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के खास साथ बातचीत में मुइज्जू ने कहा है कि हिंद महासागर के इस द्वीप से भारत अपने सैन्यकर्मियों को नहीं हटा रहा है। सैन्य दल को वापस न बुलाना मालदीव के लोगों की 'लोकतांत्रिक भावना' के प्रति असम्मान प्रकट करने जैसा होगा। भारतीय सैनिक यदि मालदीव में रहते हैं तो देश का 'लोकतांत्रिक भविष्य खतरे' में पड़ जाएगा।
बातचीत से मसला सुलझाने का जताया भरोसा
इस बातचीत में मुइज्जू ने हालांकि कहा कि मालद्वीव में भारतीय सैनिकों की स्थायी उपस्थिति नहीं है। भारत के साथ रक्षा सहयोग की उन्होंने तारीफ की। खासकर मालदीव में भारत के सहयोग से बनने वाले नेशनल डिफेंस फोर्स का उन्होंने जिक्र किया। राष्ट्रपति ने कहा कि यह सहयोग आपसी सम्मान एवं विश्वास पर आधारित है। मुइज्जू ने भरोसा जताया कि सैन्य मौजूदगी का मुद्दा बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मालदीव में विदेशी सैन्य कर्मियों की मौजूदगी देश के संविधानिक मूल्यों के खिलाफ है।
पहले भारत दौरे पर आने की रही है परंपरा
चीन के प्रति उनके झुकाव के सवाल पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह केवल मालदीव के हितों का पालन करने के लिए बीजिंग दौरे पर जा रहे हैं। खास बात यह है कि मालदीव में लोकतांत्रिक रूप से जो भी नया राष्ट्रपति चुना जाता है, पारंपरिक रूप से उसका पहला आधिकारिक दौरा भारत का होता है लेकिन मुइज्जू इस परंपरा के विपरीत पहले चीन के दौरे पर जा सकते हैं। राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद मुइज्जु ने तुर्की का दौरा किया। चीन और तुर्की दोनों भारत के हितों के खिलाफ काम करते आए हैं। इन दोनों देशों के साथ मुइज्जू की नजदीकी यह दर्शाती है कि वह भारत विरोधी खेमे में लामबंद हो रहे हैं।
तुर्की-चीन से बढ़ा रहे नजदीकी
दरअसल 2008 में मालदीव में बहुदलीय लोकतंत्र की शुरुआत के बाद एक नई परंपरा विकसित हुई। मालदीव का हर राष्ट्रपति चाहे वह मोहम्मद वहीद हों या अब्दुल्ला यामीन दोनों पहले भारत आए और फिर किसी अन्य देश के दौरे पर गए। इन दोनों को भी भारत विरोधी माना गया। विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की जैसे देशों की यात्रा कर मुइज्जू ने यह संकेत दिया है कि उनका देश विकास के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहेगा। इसलिए उन्होंने भारत और चीन के बाद तुर्की से नजदीकी बढ़ाई है।
मालदीव में रहते हैं करीब 25,000 भारतीय
भारत विरोधी रुख के चलते ही मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने 'इंडिया आउट' का नारा दिया था। इस चुनाव में उन्हें 53 फीसदी वोट मिले जबकि भारत समर्तक मोहम्मद सालेह को 46 प्रतिशत वोट मिले। ऐसे कई मौके आए जब मुइज्जू ने भारत विरोधी बयान दिया। मुइज्जू का संभावित चीन दौरा उनके भारत विरोधी रुख को और मजबूत करने वाला होगा। जाहिर है कि मालदीव के राष्ट्रपति के चीन दौरे पर भारत की करीबी नजर रहेगी। भारत और मालदीव के बीच करीबी संबंध हैं। मालदीव में जब भी संकट आया भारत ने बढ़-चढ़कर उसकी मदद की। करीब 1100 द्वीपों वाले इस देश में 25,000 भारतीय रहते हैं। शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन और कारोबार के लिए मालदीव के लोगों के लिए भारत एक पसंदीदा स्थान है। भारत से हर साल लाखों की संख्या में लोग छुट्टियां मनाने मालदीव जाते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें
सैनिकों से कमी से जूझ रहे रूस ने तेज किया युद्ध, पर जल्द शांति समझौते की है दरकार
यूक्रेन को तबाही का हथियार दे रहा अमेरिका, आखिर कीव की मदद के लिए इतने उतावले क्यों हैं बाइडेन?
महाराष्ट्र में बंपर वोटिंग, टूटा 30 साल का रिकॉर्ड, आएगी MVA सरकार या महायुति की वापसी के आसार?
GSAT-20 हुआ लॉन्च, भारत में आएंगे क्रांतिकारी बदलाव, जानिए इससे होंगे क्या-क्या फायदे
बढ़ी रियाद और तेहरान की करीबियां, पश्चिम एशिया के हालातों पर पड़ेगा सीधा असर
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited