...वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी से पूछे 14 सवाल; जानें क्या है सारा विवाद

Modi vs Kharge: मल्लिकार्जुन खड़गे कहा है कि संविधान जैसे पवित्र शब्द के साथ 'हत्या' को जोड़ना बाबासाहेब का अपमान है। उन्होंने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में हर दिन ‘संविधान हत्या दिवस’ ही मनाया है और गरीब एवं वंचित तबके का आत्मसम्मान छीना है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी 14 सवाल पूछे हैं।

Modi vs Kharge on Samvidhan Hatya Divas Full Controversy

संविधान हत्या दिवस पर मोदी सरकार से कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने पूछे तीखे सवाल।

Samvidhan Hatya Divas Controversy: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने की केंद्र सरकार की घोषणा को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि संविधान जैसे पवित्र शब्द के साथ ‘हत्या’ शब्द को जोड़ना बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का अपमान है। उन्होंने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में हर दिन ‘संविधान हत्या दिवस’ ही मनाया है और गरीब एवं वंचित तबके का आत्मसम्मान छीना है।

मोदी सरकार पर भड़के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे

मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि 'नरेंद्र मोदी जी, पिछले 10 वर्षों में आपकी सरकार ने हर दिन "संविधान हत्या दिवस" ही तो मनाया है। आपने देश के हर गरीब व वंचित तबके से हर पल उनका आत्मसम्मान छीना है।' इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी और भाजपा सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। खड़गे ने आगे क्या लिखा, नीचे पढ़िए।
खड़गे ने पूछा,
▪️जब मध्य प्रदेश में भाजपा नेता आदिवासियों पर पेशाब करता है, या जब यूपी के हाथरस की दलित बेटी का पुलिस जबरन अंतिम संस्कार कर देती है …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब हर 15 मिनट में दलितों के खिलाफ एक बड़ा अपराध घटता है और हर दिन 6 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब अल्पसंख्यकों पर ग़ैरक़ानूनी बुलडोज़र न्याय का प्रकोप होता है, जिसमें 2 वर्षों में ही 1.5 लाख घरों को तोड़कर 7.38 लाख लोगों को बेघर बनाया जाता है…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा के चपेट में है और आप वहां कदम तक रखना नहीं पंसद करते …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी पोस्ट में आगे कहा कि 'मोदी जी, आपको मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती। BJP-RSS-Jansangh ने संविधान को कभी नहीं माना। क्या ये सच नहीं है कि RSS के मुखपत्र Organiser ने 30 नवंबर, 1949 के अंक में संपादकीय में लिखा था कि — 'भारत के इस नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमे भारतीय कुछ भी नहीं है' और क्या यहां RSS साफ तौर पर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता यानी बाबासहेब डॉ अंबेडकर जी के विरोध में और मनुस्मृति के समर्थन में नहीं खड़ी हुई?' इसके अगले सवाल में खड़गे ने पूछा...
▪️जब आपने मनमाने तरीक़े से नोटबंदी लागू करके, RBI जैसी संस्था को कुचला, बैंकों की लाइनों में खड़ा कर 120 लोगों की जान ली और ताली बजा-बजाकर 'घर में शादी है, पर पैसे नहीं है' कहकर आम जनता का माखौल उड़ाया …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब आपने कोविड महामारी के दौरान लाखों मजदूरों को उनके पैरों के छाले की परवाह न किए बिना, बस-ट्रेन नहीं उपलब्ध कराई और सैंकड़ों किलोमीटर चलने को मजबूर किया, क्योंकि आपके मन में आया कि लॉक-डाउन बिना तैयारी के लगाना जरूरी है …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब सुप्रीम कोर्ट के 5 मौजूदा जजों ने सार्वजनिक रूप से प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर आपकी सरकार की कोर्ट में दखलंदाजी पर सवाल उठाए …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब आपकी सरकार ने ED, CBI, IT का इस्तेमाल कर के 95% विपक्ष के नेताओं पर केस थोपे, कई चुनी हुई सरकारें गिराईं, राजनीतिक दलों को तोड़ा, चुनाव से दो हफ़्ते पहले देश की मुख्य विपक्षी दल के बैंक खाते फ़्रीज़ करवाए, दो-दो चुने मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब अन्नदाता किसानों पर तीन काले क़ानून थोपे जाएं, उनको एक साल तक दिल्ली की दहलीज़ पर दर्दनाक तरीक़े से बैठने को मजबूर किया जाए, उनपर लाठी-डंडे बरसाए जाए, ड्रोन से आँसू गैस व रबर बुलेट बरसाई जाए, जो 750 किसानों की जान ले लें …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब संसद को सत्तारूढ़ दल का मैदान बना दिया जाए, जिसमें एक साथ 146 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर एकतरफ़ा ढंग से, तानाशाह की तरह, महत्वपूर्ण क़ानून पारित करवाए जाएं …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब अधिकतर मीडिया को अपना चाटुकार बनाकर, विपक्ष पर 24x7 उंगलियां उठाई जाएं, कॉरपोरेट दोस्तों से मीडिया को खरीदवाकर संविधान के चौथे स्तंभ को नेस्तनाबूद किया जाए …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब Electoral Bonds Scheme को संसद में जबरन पारित करवाकर भाजपा को 'चंदे के धंधे' व ED, CBI, IT का डर दिखवाकर, भाजपा को ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से मालामाल किया जाए …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
▪️जब विश्वविद्यालयों में छात्रों से लेकर, स्वतंत्र पत्रकारों तक, जब Civil Society संस्थानों से लेकर IIT, IIM, FTII, NCERT, UGC तक और हर वो नागरिक जो स्वायत्तता व स्वतंत्रता से बोलना चाहता है, उस पर तानाशाही की लगाम लगाई जाए …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
खड़गे ने अपने सवालों के बाद ये कहा कि 'मोदी जी, BJP-RSS संविधान को मिटाकर, मनुस्मृति लागू करना चाहती है। जिससे दलितों, आदिवासियों, व पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात किया जा सके! तभी वो 'संविधान' जैसे पवित्र शब्द के साथ 'हत्या' जैसा शब्द जोड़कर बाबासाहेब डॉ अंबेडकर का अपमान कर रही है।'

'संविधान हत्या दिवस' पर क्या बोले पीएम मोदी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' देशवासियों को याद दिलाएगा कि संविधान के कुचले जाने के बाद देश को कैसे-कैसे हालात से गुजरना पड़ा था। यह दिन उन सभी लोगों को नमन करने का भी है, जिन्होंने आपातकाल की घोर पीड़ा झेली। देश कांग्रेस के इस दमनकारी कदम को भारतीय इतिहास के काले अध्याय के रूप में हमेशा याद रखेगा।

क्या है संविधान हत्या दिवस का विवाद?

मोदी सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान अमानवीय पीड़ा झेलने वालों के 'व्यापक योगदान' को याद करने के लिये 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। इसी दिन 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को यह घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने से प्रत्येक भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा की अमर ज्वाला को प्रज्वलित रखने में मदद मिलेगी, जिससे कांग्रेस जैसी 'तानाशाही ताकतों' को 'उन भयावहताओं को दोहराने' से रोका जा सकेगा।

अमित शाह ने साझा की इसकी अधिसूचना

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी, जिसके बाद 'तत्कालीन सरकार द्वारा सत्ता का घोर दुरुपयोग किया गया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए गए।' इसमें कहा गया है कि भारत के लोगों को संविधान और इसके लचीले लोकतंत्र की शक्ति पर अटूट विश्वास है। अधिसूचना में कहा गया, 'इसलिए, भारत सरकार 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में घोषित करती है, ताकि आपातकाल के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग के खिलाफ लड़ने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी जा सके और भारत के लोगों को भविष्य में किसी भी तरह से सत्ता के ऐसे घोर दुरुपयोग का समर्थन न करने के लिए पुनः प्रतिबद्ध किया जा सके।' शाह ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'तानाशाही मानसिकता का खुला प्रदर्शन करते हुए देश में आपातकाल लागू करके भारत के लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया'।
उन्होंने कहा कि लाखों लोगों को बिना किसी गलती के सलाखों के पीछे डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।' उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया।'
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited