बंगाल चुनाव: तरकश में सियासी तीर सजा रही BJP,इस बार 'खेला होबे' या होगा 'खेल खराब', ममता के सामने बड़ी चुनौती
Mamata Banerjee : 2021 के विधानसभा चुनाव में 215 सीटें जीतने वाली ममता मानकर चल रही हैं कि इस बार का चुनाव आसान नहीं रहने वाला है। 37.97 फीसद वोटों के साथ 77 सीटें जीतने वाली भाजपा से उन्हें इस बार पिछली बार से ज्यादा टक्कर मिलने वाली है। भाजपा और टीएमसी के बीच वोट का अंतर 10 फीसदी है। यह कम नहीं तो बहुत ज्यादा भी नहीं है।

बंगाल में 2026 में होंगे विधानसभा चुनाव।
Mamata Banerjee : हरियाणा, महाराष्ट और फिर दिल्ली जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी का उत्साह और जोश चरम पर है। दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद वापसी करते हुए उसने एक दशक से ज्यादा समय से सत्ता में जमे अरविंद केजरीवाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया। मुफ्त की योजनाओं के जरिए केजरीवाल ने दिल्ली में अपने किले को इतना मजबूत बना लिया था कि उसे भेदना किसी के लिए टेढ़ी खीर माना जा रहा था लेकिन भगवा पार्टी ने अपने चुनावी चक्रव्यूह से न केवल केजरीवाल के गढ़ को धाराशायी किया बल्कि उनके जैसे मजबूत विपक्षी एवं क्षेत्रीय नेताओं को यह संदेश भी दिया कि क्षत्रप कितना भी मजबूत हो, सत्ता किसी के लिए स्थायी नहीं है, वह आनी और जानी है। दिल्ली की इस जीत के बाद भाजपा अपने अगले मिशन पर आगे बढ़ चुकी है। इस साल बिहार में और अगले साल बंगाल, असम में विधानसभा चुनाव हैं।
बंगाल में करीब डेढ़ दशक से सत्ता में हैं ममता
भाजपा के बारे में कहा जाता है कि चुनाव जीतने के बाद वह कभी आराम की मुद्रा में नहीं आती। चुनाव खत्म होने के साथ ही वह दूसरे राज्यों के चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत के साथ जुट जाती है। चूंकि बिहार में एनडीए की सरकार और उसका मुकाबला राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन से होना है। यहां उसे अपनी सत्ता और सरकार का बचाव करना है तो बंगाल में उसे ममता बनर्जी को सत्ता चुनौती देनी है। दोनों ही काम आसान नहीं है। लेकिन यहां हम बात बंगाल की करेंगे जहां ममता बनर्जी की टीएमसी करीब डेढ़ दशक से सत्ता में बनी हुई है। 2021 के विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी लेकिन ममता को जीत की हैट्रिक लगाने से रोक नहीं पाई। पूर्व में बंगाल ही एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा अब तक कमल नहीं खिला पाई है। यह कसक उसके दिल में है। चुनावी अखाड़े में इस बार ममता को पटकनी देने के लिए उसने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। अपने दिल्ली वाले जीत के फॉर्मूले को वह यहां भी लागू कर रही है।
सत्ता विरोधी लहर को सुनामी बना सकती है BJP
उन सभी सियासी तीरों को जिन्होंने केजरीवाल के वोट बैंक के ताने-बाने को छिन्न भिन्न किया, उनकी धार तेज कर अपने तरकश में सजा रही है। खास तौर से इस बार चुनाव में ममता के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को वह भुनाने की कोशिश करेगी। बंगाल की सत्ता में ममता साल 2011 से जमी हुई हैं। वह टस से मस नहीं हुई हैं। चुनावी घमासान जब शुरू होगा तो ममता के खिलाफ 15 वर्षों का सत्ता विरोधी लहर होगी। कुछ ऐसा ही दिल्ली में भी थी। टीएमसी को डुबाने के लिए भाजपा इस लहर को सुनामी बनाएगी। दूसरा, भाजपा अभी से हारी हुई सीटों खासकर जहां हार का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था, उन पर अपना फोकस ज्यादा रख रही है। हारी हुई सीटों पर ज्यादा मेहनत की जा रही है। इसके लिए बूथ से लेकर प्रादेशिक स्तर के सांगठनिक स्तर के ताने-बाने को चुस्त-दुरुस्त बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल अपनी देख-रेख में प्रबंधन और सांगठनिक कामकाज देख रहे हैं।
महिला वोटरों को साधेगी भाजपा
भाजपा इस बार ममता के कोर बंगाली वोट बैंक में सेंध लगाने और बांग्लादेशी मुसलमान बनाम बंगाली मुसलमान कराने की रणनीति पर भी काम कर रही है। भाजपा को लगता है कि ममता को मात देने के लिए उसे अपनी इस रणनीति को कामयाब बनाना होगा। वह अभी से बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को खड़ा करने लगी है। यह ऐसा मुद्दा है जो ममता को बैकफुट पर करता है। यह मुद्दा जितना गरम होगा, उसका सियासी फायदा भाजपा को उतना ही ज्यादा होगा। विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के पीछे महिला वोटर बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरी हैं। चूंकि, ममता बनर्जी खुद महिला हैं ऐसे में वह उनकी काट अभी तक निकाल नहीं पाई है। फिर भी वह महिला वोटरों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर मजबूती से काम कर रही है। जानकार मानते हैं कि दिल्ली में अपनी जीत और महिला मुख्यमंत्री बनाने के अपने फैसले का भाजपा बंगाल चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी। वह बताने से नहीं चूकेगी कि पार्टी में शीर्ष पद देने में वह हिचकिचाती नहीं है।
फर्जी मतदाता सूची पर गंभीर हैं ममता
एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि दिल्ली में भाजपा की जीत के बाद ममता बनर्जी अंदर से हिल गई हैं। उन्हें शायद आम आदमी पार्टी और केजरीवाल दोनो की हार की उम्मीद नहीं थी। भाजपा और मोदी विरोधी नेताओं में केजरीवाल की गिनती बड़े नेताओं के रूप में होती है लेकिन इस बार भाजपा ने उनके गढ़ में ही सत्ता की कुर्सी उनके छीन ली। उनका आत्मविश्वास भले ही न डिगा हो लेकिन उनके मन में अंदर ही अंदर सत्ता परिवर्तन की आशंका जरूर घर कर गई होगी। वह अलर्ट हो गई हैं और अभी से चुनाव की तैयारी में लग गई हैं। उन्होंने टीएमसी कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारी में जुट जाने के लिए कह दिया है। ममता मतदाता सूची को लेकर भी डरी हुई हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली में मतदाता सूची में फर्जी नाम शामिल कराने के कांग्रेस और केजरीवाल के आरोपों को उन्होंने गंभीरता से लिया है। टीएमसी सुप्रीमो अपने यहां मतदाता सूची का फिजिकल वेरिफिकेशन कराने के लिए कह चुकी हैं। उन्हें डर है कि भाजपा यहां मतदाता सूची में जोड़-तोड़ करा सकती है।
पिछले चुनाव में टीएमसी ने जीतीं 215 सीटें
2021 के विधानसभा चुनाव में 215 सीटें जीतने वाली ममता मानकर चल रही हैं कि इस बार का चुनाव आसान नहीं रहने वाला है। 37.97 फीसद वोटों के साथ 77 सीटें जीतने वाली भाजपा से उन्हें इस बार पिछली बार से ज्यादा टक्कर मिलने वाली है। भाजपा और टीएमसी के बीच वोट का अंतर 10 फीसदी है। यह कम नहीं तो बहुत ज्यादा भी नहीं है। हाशिए पर जा चुके कांग्रेस और लेफ्ट की थोड़ी सुगबुगाहट और भाजपा का पावर पंच वोटों के इस अंतर को कम कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो उनकी कुर्सी के डगमगाने का खतरा है। हालांकि, ममता अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, उन्होंने एक बार फिर 'खेला होबे' का नारा दिया है। बहरहाल, बंगाल का यह 'खेला' कोई बदलाव लाएगा या सत्ता की पटकथा के किरदार वही रहेंगे जो आज हैं, इसे 2026 का चुनाव बहुत कुछ तय कर देगा।
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