पहले ममता बनर्जी से मोल ली अदावत, अब कांग्रेस को हो रहा पछतावा? रस्सी जल गई पर...

TMC Vs Congress: पश्चिम बंगाल में विपक्षी गठबंधन INDIA की एकता के दावे फुस्स हो गए। कांग्रेस को अब समझ आ रहा है कि ममता बनर्जी के बिना इस गठबंधन को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। मगर अधीर रंजन चौधरी अपनी गलती स्वीकारने के मूड में नहीं है, वो कहते हैं न रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं गया।

Mamata Banerjee Vs Congress

पश्चिम बंगाल में बदल गया सियासी समीकरण।

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत...। इस वक्त ये कहावत पश्चिम बंगाल की सियासत पर सटीक बैठ रही होगी। क्योंकि अब कांग्रेस आलाकमान को अपनी गलतियों का एहसास होने लगा है, पर ममता बनर्जी खेमे के नेताओं के तेवर ये समझा जा सकता है कि टीएमसी अब किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं है। बात सिर्फ नाराजगी की नहीं, अब तो तृणमूल नेताओं ने ये साफ कर दिया है कि INDIA गठबंधन से दूरी बनाने की तीन वजहें हैं- अधीर रंजन चौधरी, अधीर रंजन चौधरी और अधीर रंजन चौधरी। मतलब साफ है, ममता ने कांग्रेस को अपना सियासी दुश्मन सिर्फ एक ही नेता की वजह से माना है, वो पश्चिम बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी हैं।

कांग्रेस और टीएमसी के बीच क्यों छिड़ा घमासान?

वो कहते हैं न- 'रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं गई...', फिलहाल के सियासी समीकरण को देखा जाए तो कांग्रेस के सबसे बड़ी दिक्कत इसी बात की है। पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को महज 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं अगर वोट शेयर का जिक्र करें तो महज 5.7 फीसदी वोट हासिल हुए थे। मगर कांग्रेस के अधीर रंजन के तेवर से ऐसा लगता है कि वो बंगाल की सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं।

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम

पार्टीसीटेंवोट शेयर
तृणमूल कांग्रेस2243.7%
भाजपा1840.6%
कांग्रेस25.7%
इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव 2021 के नतीजों में कांग्रेस की झोली में एक भी सीट नहीं गई थी, विधानसभा चुनाव के नतीजों में तो कांग्रेस के पक्ष में और भी कम वोट पड़े थे। चुनावी नतीजों के अनुसार कांग्रेस को सिर्फ 3 फीसदी वोट ही मिले थे।

विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम

पार्टीसीटेंवोट शेयर
तृणमूल कांग्रेस21348.5%
भाजपा7738.5%
कांग्रेस03.0%
विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) में रहते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन ने टीएमसी के खिलाफ जहर उगलने में उफ्फ तक नहीं की, ऐसे में ममता बनर्जी की नाराजगी की वाजिब है।
डेरेक ओब्रायन ने कहा कि 'पश्चिम बंगाल में गठबंधन के कारगर नहीं होने की वजह कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी हैं। लोकसभा चुनाव के बाद यदि कांग्रेस अच्छी खासी संख्या में सीटों पर भाजपा को हरा देती है तो हम संविधान के लिए लड़ने वाले मोर्चे का हिस्सा बनेंगे।' टीएमसी के राज्यसभा नेता ओ ब्रायन ने बताया कि "INDIA गठबंधन के दो मुख्य विरोधी हैं: बीजेपी और अधीर रंजन चौधरी। वह बीजेपी की भाषा बोलते हैं। गठबंधन के बंगाल में काम नहीं करने के तीन कारण:
1.अधीर चौधरी
2.अधीर चौधरी
3.अधीर चौधरी"

अब कांग्रेस को सता रही है चिंता

तृणमूल के साथ सीट के बंटवारे पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश कह रहे हैं कि हम इस गतिरोध का हल ढूंढ लेंगे। उन्होंने सफाई पेश करते हुए कहा कि हम सब चाहते हैं कि ममता बनर्जी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का हिस्सा बनें क्योंकि हमारा लक्ष्य साझा है। हालांकि अधीर रंजन के सुर में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी कहते हैं, "डेरेक ओ'ब्रायन एक विदेशी हैं, वह बहुत सी चीजें जानते हैं। उनसे पूछें..."

बंगाल में होगा त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के फैसले से त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस मुकाबले में टीएमसी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने वोट समर्थन को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं जबकि कांग्रेस-वाम गठबंधन, टीएमसी और भाजपा के वोटों में सेंध लगाने की क्षमता रखता है, खासकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों और कम अंतर वाली सीट पर। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (INDIA) को बड़ा झटका देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने बुधवार को घोषणा की थी कि उनकी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव राज्य में अकेले लड़ने का फैसला किया है।
लोकसभा में टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, 'हम गठबंधन चाहते थे लेकिन कांग्रेस इस प्रक्रिया में देरी कर रही थी। कांग्रेस को ममता बनर्जी और टीएमसी को बंगाल में मुकाबले का नेतृत्व करने देना चाहिए था। टीएमसी के पास (अब) खोने के लिए कुछ नहीं है। हम बंगाल में भाजपा को हराने के लिए काफी मजबूत हैं।' टीएमसी नेताओं ने बताया कि पश्चिम बंगाल में ‘INDIA’ गठबंधन के टूटने के चुनावी फायदे और नुकसान दोनों हैं। टीएमसी के एक नेता ने कहा, 'वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल में वाम और कांग्रेस गठबंधन टूटने के बाद, चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ था और राज्य में टीएमसी विरोधी वोट भाजपा के पक्ष में चले गये थे। त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में एक बार फिर टीएमसी विरोधी वोटों का बंटवारा होगा।'

'बंटवारे पर गतिरोध का समाधान निकालेंगे'

जयराम रमेश ने कहा कि 'अगर हमें बंगाल और भारत में भाजपा को हराना है तो ममता बनर्जी की बहुत जरूरत है। हमारी नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के मन में ममता जी के प्रति बहुत सम्मान है।' कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'ममता बनर्जी और टीएमसी के बिना कोई भी ‘INDIA’ गठबंधन की कल्पना नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा, 'मैं सीट बंटवारे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन हम चाहते हैं कि यह गतिरोध खत्म हो और हम इसका समाधान ढूंढ लेंगे।'

‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को लेकर पेश की सफाई

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ने बनर्जी को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। यह यात्रा बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल में दाखिल हुई। रमेश के अनुसार, 'हमने यात्रा में शामिल होने के लिए ममता जी को दो बार निमंत्रण भेजा था। हम सभी चाहते हैं कि वह यात्रा का हिस्सा बनें क्योंकि हमारा उद्देश्य एक ही है कि देश में व्याप्त अन्याय के खिलाफ लड़ा जाए।' रमेश की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी ने सवाल किया कि जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी नियमित रूप से ममता बनर्जी का अपमान कर रहे थे तो कांग्रेस आलाकमान चुप क्यों था?
आसान शब्दों में समझा जाए तो अब कांग्रेस को पछतावा तो हो रहा है, लेकिन अधीर रंजन चौधरी अपनी गलती मानने के मूड में नहीं हैं और टीएमसी भी अब जरा भी नरम रुख अपनाना नहीं चाहती। ऐसे में ये कहा जाए कि अब बात बिगड़ चुकी है तो गलत नहीं होगा। विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ पश्चिम बंगाल में खेला हो गया है।
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लेटेस्ट न्यूज

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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