आखिर ममता बनर्जी ने 'INDIA' से क्यों काटी कन्नी? जान लीजिए ये 3 वजहें
Inside Story: लोकसभा चुनाव से पहले एक और बड़ा खेला हो गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी टीएमसी अपने दम पर चुनावी जंग लड़ेगी। आखिर उनके इस फैसले के पीछे का असल कारण क्या है, आपको इनसाइड स्टोरी में समझाते हैं।
दीदी ने विपक्षी गठबंधन को क्यों दिया गच्चा?
Lok Sabha Chunav: खेला होबे नहीं... खेला हो गया। कहते हैं कि इश्क और जंग में सबकुछ जायज है, इश्क की घड़ी खत्म हुई अब जंग की बारी है। ममता बनर्जी की टीएमसी के नेता इस वक्त यही सोच रहे होंगे। पश्चिम बंगाल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के तीखे बयानों पर अब ममता खुलकर जवाब देंगी।
ममता बनर्जी ने गठबंधन को क्यों दिया गच्चा?
राजनीति को शह और मात का खेल कहते हैं और हर कोई इस बात से वाकिफ है कि सियासत के खेल में जान की बाजियां लग जाती हैं। ऐसे में ममता के सामने अब कोई मजबूरी नहीं है। वो इस बात को बेहतर समझ चुकी हैं कि अब चुनावी मौसम में जो भी उनका और उनकी पार्टी का खुलकर विरोध कर रहा है, उसे माकूल जवाब देना अब जरूरी हो गया है। क्या आप जानते हैं कि आखिर ममता के इस फैसले के पीछे का असल कारण क्या है, आपको इनसाइड स्टोरी में 3 वजहें समझाते हैं।
1). कांग्रेस का साथ दीदी को पहुंचा सकता है नुकसान
पश्चिम बंगाल की सीएम भी इस बात को समझती हैं कि कांग्रेस के अलावा सूबे की कोई भी ऐसी बड़ी और दमदार पार्टी गठबंधन में शामिल नहीं है, जो उनकी टीएमसी को चुनावी जंग में फायदा पहुंचा सकती है। मगर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी खुद ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के खिलाफ जहर उगलने में जुटे हुए हैं। ऐसे में ममता ये बात समझ रही थीं कि कांग्रेस से जितना फायदा होगा, उससे कहीं ज्यादा उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता है।
2). सीट शेयरिंग को लेकर बिगड़ सकती थी बात
ममता बनर्जी को पहले ये लग रहा था कि विपक्षी गठबंधन में हर कोई एकसाथ चुनाव लड़ेगा तो भाजपा से मुकाबला करने में आसानी होगी। आखिरकार ऐसे तमाम दावों की हवा निकल ही गई। ममता ने इतना बड़ा फैसला लिया तो इसकी कोई एक वजह नहीं होगी, मगर अगर दीदी की चिंताओं का जिक्र किया जाए तो उनमें सीट बंटवारा एक अहम मुद्दा था। पहले से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि टीएमसी के खाते अगर ममता के मनमाफिक सीटें नहीं आईं तो निश्चित है कि वो नाराज हो सकती हैं। ममता ने इस आशंका को पहले ही भांप लिया और अब वो अकेले अपने दम पर चुनावी मैदान में हुंकार भरती नजर आएंगी।
3). कांग्रेस ने ही बिगाड़ा सारा खेल? समझिए कैसे
लोकसभा चुनाव से पहले ममता शायद कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने गठबंधन में रहते वक्त ऐसी कई कोशिशें करती दिखीं, जिससे सारा मनमुटाव दूर किया जा सके। कांग्रेस के अधीर रंजन बार-बार ममता की खिलाफत करते रहे, खुद लालू यादव ने ये कहा था कि जब दोनों पार्टियां गठबंधन में सहयोगी हैं, तो आखिर अधीर रंजन क्यों बार-बार ऐसी बयानबाजी करते हैं। अधीर की बेलगाम जुबान के चलते ही शायद कांग्रेस पार्टी को ममता बनर्जी अपना शत्रु समझने पर मजबूत हो गईं और उन्होंने गठबंधन से कन्नी काट लिया। बीते कई दिनों से ये चर्चा हो रही थी कि क्या अब ममता दीदी INDIA से अलग राह अपनाने पर विचार कर रही हैं, आखिरकार वहीं हुआ। अब सवाल यही है कि अब 'INDIA' का किया होगा?
पश्चिम बंगाल की सियासत में ममता बनर्जी का एकतरफा जलवा देखने को मिलता है। तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य की सत्ता से टीएमसी को उखाड़ फेंकने में भाजपा कामयाब नहीं हो पाई थी। ममता के सियासी रसूख और ताकत से हर कोई परिचित है, ऐसे में अब उन्होंने विपक्षी गठबंधन INDIA को ये बता दिया है कि वो अकेले ही चुनाव लड़ेंगी। आखिरकार जिस बात का डर था, वही हुआ। दीदी ने गठबंधन को गच्चा दे दिया।
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