मनीष सिसोदिया की रिहाई से लौटा 'आप' का वर्चस्व! हरियाणा-दिल्ली विधानसभा चुनाव में विरोधियों का क्या होगा?
Manish Sisodia Released: 17 महीने बाद तिहाड़ जेल (Tihar Jail) से रिहा होकर बाहर आए मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) में नई जान फूकेंगे। खासकर, हरियाणा और दिल्ली के विधानसभा चुनाव (Haryana-Delhi Assembly Elections) से पहले ‘आप' को बड़ी राहत मिली है। आइये समझते हैं कि दोनों राज्यों के चुनाव में पार्टी के लिए सिसोदिया कितने कारगर साबित होंगे?
मनीष सिसोदिया तिहाड़ से रिहा
Manish Sisodia Released: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने से पार्टी को ऐसे समय में बड़ी राहत मिली है, जब वह अगले कुछ महीनों में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव और दिल्ली चुनाव की तैयारी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट से सिसोदिया को जमानत मिलने का ‘आप’ के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था, क्योंकि पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों में अपने बड़े मुख्य नेताओं के जेल में बंद होने के कारण अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए जूझ रही है। इसका असर, लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2024) में पार्टी देख चुकी है। ऐसे में सिसोदिया के आने से चुनावी प्रक्रिया और रणनीति को धार मिलेगी। हालांकि, पार्टी को अभी सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejariwal) के जेल से बाहर आने का इंतजार है। अगर, ऐसा होता है तो मुख्य विपक्षी पार्टियों के लिए अगला विधानसभा चुनाव एक बार फिर चुनौती पेश करने वाला है।
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बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से संकट में थी 'आप'
दरअसल, दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से पहले, सिसोदिया दिल्ली सरकार का न केवल प्रमुख चेहरा थे, बल्कि महत्वपूर्ण समय में संकट से निपटने और राजनीतिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर पार्टी का रुख सामने रखने के लिए सबसे भरोसेमंद व्यक्ति भी थे। उनके न केवल पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल बल्कि, कई अन्य नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध थे। लिहाजा, उनकी गिरफ्तारी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा था, जो किसी तरह इस स्थिति से निपटने में सफल रही, लेकिन उनकी अनुपस्थिति से कभी पूरी तरह से उबर नहीं सकी।
दिल्ली की आबकारी नीति मामले में हुए थे गिरफ्तार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की आबकारी नीति (Delhi Excise policy) में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में सिसोदिया को शुक्रवार को जमानत देते हुए कहा कि वह 17 माह से हिरासत में हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) और दिल्ली चुनाव (Delhi Assembly Elections) से पहले सिसोदिया को जमानत मिलना संकटग्रस्त पार्टी के लिए बड़ी राहत की बात है। पार्टी नेताओं ने दावा किया कि सिसोदिया की रिहाई ‘आप’ को बदनाम करने के अभियान के लिए झटका है।
वरिष्ठ पार्टी नेता दुर्गेश पाठक ने कहा कि सिसोदिया बहुत अच्छा काम कर रहे थे और उन्हें एक फर्जी मामले में 17 महीने तक जेल में रखा गया। उनकी गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली के लोगों में गुस्सा था और उनकी रिहाई से हमारी पार्टी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हम पिछली बार से दो या चार सीट ज्यादा जीतेंगे। वास्तव में, मुझे लगता है कि हम विपक्ष का सूपड़ा साफ करेंगे।
आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी का ये है लक्ष्य
पार्टी नेताओं का मानना है कि सिसोदिया की मौजूदगी से उनके चुनाव प्रचार अभियान को खासकर दिल्ली में मजबूती मिलेगी, जहां पार्टी लगातार तीसरी बार जीत की उम्मीद कर रही है और 2015 एवं 2020 जैसा प्रदर्शन करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जब उसने कुल 70 सीट में से क्रमश: 67 और 62 सीट जीती थीं।
सिसोदिया की जमानत 'आप' के लिए संजीवनी
‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद आप कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है। इसका असर आने वाले चुनावों में दिखेगा। हमें उम्मीद है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे। वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के कारण पार्टी के लिए 2022 से 2024 तक का समय उथल-पुथल भरा रहा है। इस अवधि के दौरान पार्टी ने चुनावी लाभ और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने तक का सफर देखा है, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सफर अत्यधिक उतार-चढ़ाव भरा रहा है।
ऐसे शुरू हुआ 'आप' नेताओं की गिरफ्तारी का सिलसिला
यह सब मई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के धनशोधन के मामले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ। उसी वर्ष जुलाई में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों को लेकर आबकारी नीति की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की थी। इस घटनाक्रम ने सिसोदिया की गिरफ्तारी की अटकलें को हवा दी थी, जिन्होंने उस नीति को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस नीति के तहत 32 क्षेत्रों में विभाजित राष्ट्रीय राजधानी में 849 दुकानों के लिए निजी बोलीदाताओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए थे।
सिसोदिया ने खुद अपनी गिरफ्तारी के बारे में भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनसे ‘आप’ को तोड़ने और भाजपा से हाथ मिलाने के लिए संपर्क किया था। उन्हें आखिरकार सीबीआई ने 26 फरवरी को और फिर अगले महीने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया।नजैन के साथ उन्होंने पिछले साल दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद आतिशी और सौरभ भारद्वाज को मंत्री बनाया गया।
केजरीवाल भी जेल में कैद
कुछ महीने बाद अक्टूबर में सिंह को आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनकी किस्मत अपनी पार्टी के अन्य सहयोगियों की तुलना में अच्छी रही और उन्हें इस वर्ष अप्रैल में जमानत मिल गई। ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार किया था। उन्हें मई में लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने दो जून को आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें 26 जून को सीबीआई ने तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था।
हालांकि, मुख्यमंत्री को ईडी मामले में उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल गई है, लेकिन सीबीआई मामले के कारण वे अब भी जेल में हैं। सिसोदिया की जमानत से पार्टी में उम्मीद जागी है कि केजरीवाल और जैन भी जल्द ही बाहर आ सकते हैं।
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पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्ष...और देखें
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