दशकों बाद गोलियों से थर्रा उठा चंबल का इलाका, जानिए मुरैना में 6 लोगों की हत्या की कहानी
Morena Murder Case: चंबल के बीहड़ों का इलाका मध्य प्रदेश का मुरैना जिला एक बार फिर गोलियों की गूंज से थर्रा गया। एक बार फर एथलीट से डकैत बने पान सिंह तोमर की कहानी यादें सामने आ गईं। जिसमें एक जमीन विवाद के बाद पान सिंह तोमर के डकैत बनने की कहानी है। ऐसा ही मामला कई दशकों बाद इस इलाके में देखने को मिला। जानिए पूरी कहानी।
चंबल के मुरैना हत्याकांड की कहानी
Morena Murder Case: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के चंबल के बीहड़ों में हिंसा कोई नई बात नहीं है। सत्तर के दशक मे पूर्व सेना के आदमी और एथलीट पान सिंह तोमर एक खूनी संघर्ष प्रसिद्ध है। जिसने अपना खुद का गिरोह चलाया था। 1981 में एक मुठभेड़ में मारे गए। एथलीट से डकैत बने पान सिंह तोमर की कहानी पर इरफान खान अभिनीत फिल्म भी बनी चुकी है। जिसमें एक जमीन विवाद के बाद पान सिंह तोमर के डकैत बनने की कहानी है। कई दशकों बाद चंबल में एक बार फिर से गोलियों की आवाज सुनाई दी। शुक्रवार को लेपा गांव में दिन दहाड़े एक परिवार के 6 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए। इन हत्याओं की जड़ें पुरानी दुश्मनी है। इसकी जड़ें 2013 के जमीन विवाद से है। पुलिस ने बताया कि यह हत्याएं जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर भिडोसा गांव से सटे लेपा गांव में सुबह करीब 10 बजे हुई। भिडोसा गांव एथलीट से डकैत बने पान सिंह तोमर का जन्मस्थान है।
400 वर्ग फुट जमीन को लेकर शुरू हुआ था विवाद
मुरैना के आईजी सुशांत सक्सेना ने बताया कि 2013 में धीर सिंह तोमर और रंजीत तोमर के परिवारों में 400 वर्ग फुट जमीन के टुकड़े पर झगड़ा हुआ था। धीर सिंह भूमि का उपयोग कचरा और गाय के गोबर को निपटाने के लिए कर रहा था। रणजीत और उनके चचेरे भाई गजेंद्र सिंह तोमर ने इसको लेकर आपत्ति जताई थी क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि उनके दादा ने स्थानीय स्कूल के विस्तार के लिए जमीन दान की थी। विवाद बढ़ गया और रंजीत सिंह और तीन अन्य ने कथित तौर पर धीर सिंह के परिवार के दो सदस्यों की हत्या कर दी। इस मामले में चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और अंतरिम जमानत दे दी गई। लेकिन तनाव बरकरार रहा।
2013 में दो लोगों की हुई थी हत्या
गजेंद्र सिंह की पत्नी कुसुमा तोमर ने मीडिया बताया कि उनके परिवार का आरोपियों से 2013 में सरकारी जमीन के एक टुकड़े को लेकर विवाद हुआ था। उन्होंने कहा कि आरोपियों के परिवार के दो लोगों की तब हत्या कर दी गई थी। हत्याओं से हमारा कोई लेना देना नहीं था लेकिन हमारे परिवार के सदस्यों के नाम इस मामले में घसीटे गए थे। उन्होंने कहा कि बाद में कोर्ट के बाहर उनके और हमारे परिवार के बीच समझौता हुआ। हमने उन्हें मुआवजे के तौर पर 6 लाख रुपए दिए और अपनी जमीन धीर सिंह के नाम लिखी।
पीड़ित परिवार 10 साल बाद अहमदाबाद से लौटे थे गांव
उन्होंने कहा कि शुक्रवार की सुबह जब वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ 10 साल बाद अहमदाबाद से गांव लौटी तो आरोपी उनका इंतजार कर रहे थे। लेकिन परिवार के गांव में आने के कुछ ही मिनटों बाद दिन दहाड़े लाठी और पत्थरों से हमला किया गया। इससे पहले कि राइफलों से गोलियां चलतीं। कुछ ही मिनटों के भीतर, गजेंद्र सिंह तोमर, उनके बेटे सत्यप्रकाश और संजू, उनकी बहू लेश कुमारी, बबली और मधु की मौत हो गई। मुरैना के अस्पताल में परिवार के दो अन्य सदस्य वीरेंद्र और विनोद सिंह की हालत गंभीर बनी हुई है।
पहले डंडों से हमला हुआ, फिर चलाईं गोलियां
कुसुमा सिंह ने कहा कि वे शुक्रवार सुबह अपने वाहन से निकले ही थे कि धीर सिंह के परिवार ने उन पर हमला कर दिया। धीर सिंह और उनके बेटे भूपेंद्र ने हम पर डंडों से हमला करना शुरू कर दिया। इसके बाद भूपेंद्र और एक अन्य व्यक्ति ने अपनी राइफलों से हम पर गोली चला दी। उनके परिवार की महिलाएं उन्हें कारतूस थमा रही थीं। मैंने तीन बहुओं, दो बेटों और अपने पति को खो दिया है। एक अन्य बेटा और एक भतीजा अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
आरोपियों को पकड़ने के लिए 6 टीमें गठित
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राय सिंह नरवरिया ने कहा कि मृतकों की पहचान गजेंद्र सिंह (55), संजू (40), सत्यप्रकाश (35), लेस कुमारी (46), बबली तोमर (उम्र ज्ञात नहीं) और मधु कुमारी (36) के रूप में की गई है। आईजी सक्सेना ने कहा कि पुलिस ने हत्या में शामिल आठ लोगों की पहचान की है और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। हमले के बाद धीर सिंह के परिवार के अधिकांश सदस्य गांव छोड़कर भाग गए हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत एक महिला सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। फरार लोगों को गिरफ्तार करने के लिए छह टीमों को सेवा में लगाया गया है।
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