अगर लागू होती स्वामीनाथन कमेटी की ये 6 सिफारिशें, तो बदल जाती हर किसान की किस्मत; होता पैसे वाला

MS Swaminathan Commission Report: प्रो. एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसका नाम राष्ट्रीय किसान आयोग (स्वामीनाथन कमेटी) ने दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 के दौरान पांच रिपोर्ट्स पेश कीं। पांचवें रिपोर्ट में जो सिफारिशें की गई थीं, अगर उसे लागू कर दिया जाता तो किसानों की किस्मत बदल जाती और वो भी पैसे वाला होता।

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स्वामीनाथन कमेटी की वो सिफारिशें, जो बदल सकती थी किसानों की जिंदगी।

MS Swaminathan News: क्या आप जानते हैं कि जब भी अगर खेती, किसान, फसल उत्पादन और किसानों की आमदनी के बारे में चिंता होती है या इसका जिक्र किया जाता है तो आखिर क्यों हरित क्रांति की याद आती है? जिस शख्स को इसके लिए याद किया जाता है, वो प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन नहीं रहे। देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

ऐसा होता तो बदल जाती किसानों की किस्मत

प्रो. एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसका नाम राष्ट्रीय किसान आयोग (स्वामीनाथन कमेटी) ने दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 के दौरान पांच रिपोर्ट्स पेश कीं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए इस कमेटी ने जो सुझाव दिए थे, अगर वो पूरी तरह लागू कर दिया जाता तो निश्चित तौर पर किसानों की किस्मत बदल जाती। मजबूरी में कोई किसान आत्महत्या नहीं करता, वो भी पैसे वाला होता।

अगर लागू हो जाती कमेटी की ये 6 सिफारिशें

सिंचाई के लिए कमेटी की सिफारिश

सभी किसानों को सही मात्रा में पानी मुहैया कराया जाए। वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) के माध्यम से जल आपूर्ति बढ़ाना और जलभृत का पुनर्भरण (Aquifer Recharge) अनिवार्य होना चाहिए। रिपोर्ट में वाटर शेड परियोजनाओं को बढ़ावा देने की बात कही गई।

भूमि सुधार के लिए कमेटी की सिफारिश

भूमि सुधारों की गति को बढ़ाने के लिए रिपोर्ट में काफी जोर दिया गया। सिफारिश की गई की सरप्लस व बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटा जाए। भूमि की मात्रा, प्रस्तावित उपयोग की प्रकृति और खरीदार की श्रेणी के आधार पर कृषि भूमि की बिक्री को विनियमित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की गई। ये भी कहा गया कि आदिवासियों और चरवाहों के लिए जंगलों में चराई के अधिकार और मौसमी पहुंच और सामान्य संपत्ति संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा।

किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए सिफारिश

देश में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है किसानों की आत्महत्या। पिछले कुछ वर्षों में भारी संख्या में किसानों ने खुदकुशी की है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, केरल, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से लगातार आत्महत्या के कई मामले सामने आए हैं। आत्महत्या पर रोकथाम के लिए स्वामीनाथन कमेटी ने राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने व वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर जोर दिया था। सबसे बड़ी सिफारिश ये थी कि औसत लागत से एमएसपी 50 फीसदी ज्यादा रखी जाए। इसमें और भी कई अहम बिंदु शामिल किए गए थे।

फसल बीमा के लिए कमेटी की सिफारिश

किसानों के लिए ये सिफारिश उस वक्त संजीवनी साबित हो सकती थी, जिसके जरिए उन तक कई वित्तीय सुविधाएं पहुंचाने की योजना बनाई गई थी। इस सिफारिश में किसानों तक बैंकिंग पहुंचाने पर जोर दिया गया था। उनसे तब तक कर्ज नहीं वसूलने की सिफारिश की गई थी जब तक वो चुकाने की स्थिति में न आ जाए। कहा गया कि गैर-संस्थागत स्रोतों से ऋण सहित ऋण वसूली पर रोक, और क्षमता बहाल होने तक संकटग्रस्त क्षेत्रों और आपदाओं के दौरान ऋण पर ब्याज की छूट दी जाए। इसमें सुझाव दिया गया कि सरकारी सहायता से फसल ऋण के लिए ब्याज दर घटाकर 4 प्रतिशत सरल की जाए।

खाद्य सुरक्षा के लिए कमेटी की सिफारिश

सभी के लिए भोजन की उपलब्धता बढ़ाया जा सके, इसी लक्ष्य से कुछ सुधारों पर जोर दिया गया। कम्युनिटी फूड व वाटर बैंक बनाने और भोजन गारंट कानून बनाने की सिफारिश भी इस रिपोर्ट में की गई। भुखमरी को खत्म करने के लिए ये सिफारिश काफी अहम थी। गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को इससे काफी फायदा पहुंचता। इसमें कुपोषण को दूर करने के लिए भी प्रयासों का जिक्र किया गया था। 'सामुदायिक खाना और पानी बैंक' स्थापित करने का सुझाव दिया गया था, जो महिला स्वयंसेवी ग्रुप्स की मदद से किया जाता। इसके लक्ष्य था कि अधिक से अधिक लोगों को खाना मिल सके।

एमएस स्वामीनाथन को मिले हैं ये सम्मान

हरित क्रांति ने भारत को उस कलंक से उबार दिया था, जो खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के तौर पर थी। 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बनाया। स्वामीनाथन को वर्ष 1967 में 'पद्म श्री', 1972 में 'पद्म भूषण' और 1989 में 'पद्म विभूषण' पुरस्कार से भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था। एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुम्भकोणम हुआ था।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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